वर्तमान भू – राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रासंगिकता

वर्तमान भू – राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रासंगिकता

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गाजा में युद्ध विराम का आह्वान

 स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन –  अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, संयुक्त राष्ट्र , संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का महत्व एवं शक्तियाँ, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की जरूरत

 

ख़बरों में क्यों ? 

 

 

 

  • हाल ही में 25 मार्च 2024 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने गाजा पर इजराइल के हमला शुरू करने के साढ़े पांच महीने बाद ‘फौरन संघर्ष विराम’ और हमास द्वारा सभी बंधकों की रिहाई का आह्वान किया है। 
  • गाजा – इजराइल युद्ध में लगभग 32,000 फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं और करीब  74,000 लोग जख्मी भी हो गए हैं। 
  • इस युध्द में गाजा की करीब 90 प्रतिशात से अधिक आबादी विस्थापित हो चुकी है और लगभग सभी आबादी एक भयावह भुखमरी के संकट में हैं। 
  • गाजा में फौरन संघर्ष विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र में हर प्रस्ताव पर वीटो लगाने वाला अमेरिका इस  मतदान से अलग ही रहा। यह इस युद्ध को लेकर बाइडेन प्रशासन की नीति में बदलाव का इशारा करता है। 
  • ब्रिटेन समेत यूएनएससी के सभी सदस्यों ने संघर्ष विराम के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। 
  • इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संघर्ष विराम करने के प्रस्ताव के विरोध में गुस्से में  अपने दो करीबी कैबिनेट सहयोगियों की वाशिंगटन की पूर्व – निर्धारित यात्रा रद्द कर दिया है, और संघर्ष विराम के लिए बंधकों की बिना शर्त रिहाई के संदर्भ में  चीन और रूस द्वारा समर्थित इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना भी किया है।
  • 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा सीमा पार युद्ध की घोषणा के बाद करीब 1200 इजराइली नागरिक मारे गये थे। 
  • हमास द्वारा इजराइल पर आक्रमण के दिन पूरी दुनिया की हमदर्दी और एकजुटता इजराइल के साथ थी। लेकिन इसके बाद कुछ महीनों में इजराइल ने हमास की करतूत के लिए गाजा की पूरी आबादी को दंडित करने के लिए जो किया, उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनमत को उसके खिलाफ कर दिया है।
  • ऐसी परिस्थिति में इजराइल अगर इस स्थिति का मानवीय आधार पर एक वस्तुनिष्ठ आकलन करे तो उसे यूएनएससी के प्रस्ताव का तुरंत पालन करना चाहिए और संघर्ष विराम को घोषित कर देना चाहिए। 

 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council – UNSC) : 

 

 

 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों की सुरक्षा के प्रबंधन के लिए  सबसे बड़ा मंच माना जाता है। 
  • विश्व में शांति-व्यवस्था को बनाए रखने और सामूहिक सुरक्षा के सिद्धांत का अनुपालन सुनिश्चित कराने का उत्तरदायित्व संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर ही रहता है। 
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता में समय-समय पर परिवर्तन होता रहता है। 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का परिचय : 

 

 

 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1945 में हुआ था। 
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मुख्यालय न्यूयॉर्क शहर में स्थित है
  • सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्य हैं – संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन)  – जिन्हें सामूहिक रूप से P5 के रूप में जाना जाता है। 
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मूल रूप से 11 सदस्य देश ही थे जिसे वर्ष 1965 में बढ़ाकर 15 देशों के सदस्यों  वाला एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन में परिणत कर दिया गया।
  • सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों के पास वीटो की शक्ति का अधिकार होता है, जबकि इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को जिन्हें दो वर्ष के लिए अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है, उन्हें वीटो करने की शक्ति प्रदान नहीं की जाती है।
  • सुरक्षा परिषद के इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्व युद्ध के बाद के शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करने के लिए किया  गया है।

 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का महत्व एवं शक्तियाँ : 

 

 

 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है जिसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सभी देशों की सुरक्षा को कायम रखना है। 
  • इसकी प्रमुख शक्तियों में शांति अभियानों में योगदान देने में, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करने में तथा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के माध्यम से सैन्य कार्रवाई करना भी शामिल होता है। 
  • यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने का अधिकार वाला संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र निकाय है।
  • इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र के एक चार्टर के माध्यम से  किया गया जिसमें सभी सदस्य देश सुरक्षा परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिए बाध्य होते हैं। 
  • वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों के पास वीटो पॉवर का अधिकार है। वीटो पॉवर का अर्थ होता है – ‘ निषेधाधिकार ’। 
  • स्थायी सदस्यों के निर्णय से अगर कोई भी एक स्थायी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पाॅवर का इस्तेमाल करके उस निर्णय को रोक सकता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लाभ : 

 

 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख निर्णय लेने वाली संस्था है। 
  • किसी भी देश पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने या अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के किसी भी फैसले को लागू करने के लिए सदस्य देशों को सुरक्षा परिषद के समर्थन की आवश्यकता होती है। 
  • भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिलने से भारत वैश्विक भू-राजनीति में अधिक मज़बूती से अपनी बात कहने में सक्षम हो सकता है । 
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलने के बाद भारत को वीटो पॉवर की शक्ति भी मिल जाएगी।
  • सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता वाह्य सुरक्षा खतरों और भारत के खिलाफ राज्य प्रायोजित आतंकवाद के समाधान के लिए  एक तंत्र को मज़बूत करने में सहायक सिद्ध होगी। 

 

वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की जरूरत :

 

 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रमुख वैश्विक निकाय है, लेकिन इक्कीसवीं सदी में वैश्विक स्तर पर उत्पन्न विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना करने के लिए  इसमें वर्तमान समय के सापेक्ष सुधार करने की लगातार जरूरत है।
  • इक्कीसवीं सदी में वैश्विक स्तर पर उत्पन्न विभिन्न प्रकार की साइबर अपराध , जैव – अपराध और परमाणु बमों के बढ़ते प्रसार जैसी चुनौतियों का सामना पूरे विश्व के देशों को करना पड़ रहा है। ऐसी परिस्थिति में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी वर्तमान समय में बढ़ते अपराधों की प्रवृतियों के अनुसार व्यापक परिवर्तन की जरूरत है।  
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थापना वर्ष 1945 की भू-राजनीति के हिसाब से की गई थी। वर्तमान समय की भू-राजनीति द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि से अब काफी अलग प्रकृति के अनुसार हो चुकी है। 
  • विश्व में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से ही इसमें सुधार की ज़रूरत महसूस की जा रही है। इसमें कई तरह के सुधार की आवश्यकता है जिसमें संगठनात्मक बनावट और प्रक्रियागत सुधारों जैसे सबसे महत्वपूर्ण बदलावों की जरूरत है।  
  • वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी देशों में यूरोप का सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व है। जबकि यूरोप में  विश्व की कुल आबादी का मात्र 5 प्रतिशत नागरिक ही निवास करती है।
  • अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका का कोई भी देश सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है। जबकि संयुक्त राष्ट्र का 50 प्रतिशत से अधिक कार्य अकेले अफ्रीकी देशों से संबंधित होता  है।
  • वैश्विक स्तर पर शांति स्थापित करने वाले अभियानों में अहम भूमिका निभाने के बावज़ूद भारत जैसे अन्य देशों के पक्ष को मौजूदा सदस्यों द्वारा नज़रअंदाज़ कर दिया जाना विश्व की सबसे बड़ी और उभरती पांचवी आर्थिक महाशक्ति वाले देश भारत को इसमें स्थायी सदस्यता की जरूरत वर्तमान समय के अनुकूल है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के ढाँचे में सुधार की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि इसमें अमेरिका का वर्चस्व है, जबकि वैश्विक स्तर पर अन्य देश भी अमेरिका के सापेक्ष उभरती आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़ा है। अमेरिका अपनी सैन्य और आर्थिक शक्ति के बल पर संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भी अनदेखी करता रहा है, जिसे वर्तमान में कोई भी आर्थिक महाशक्ति वाला देश बर्दाश्त नहीं कर सकता है। अतः वर्तमान समय की वैश्विक जरूरतों और अपराधों की बदलती प्रकृतियों के अनुसार अब इस संगठन में बदलाव करने की अत्यंत जरूरत है। 

 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता मिलने के लिए पक्ष में दिए जाने वाला  तर्क : 

 

 

  • भारत, दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी करीब एक अरब चालीस करोड़ है। जहाँ विश्व की कुल जनसंख्या का करीब 1/5वाँ हिस्सा निवास करता है। 
  • वर्तमान समय में भारत विश्व की एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति है। वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते आर्थिक महाशक्ति वाले हैसियत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावों को और भी मज़बूत आधार प्रदान करता है। वर्तमान समय में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके अलावा पीपीपी पर आधारित जीडीपी  की दृष्टि से भारत विश्व की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भी शामिल है।
  • भारत को अब विश्व व्यापार संगठन, ब्रिक्स और जी-20 जैसे आर्थिक संगठनों में सबसे प्रभावशाली देशों में गिना जाता है। 
  • भारत ने वर्ष 2023 में जी-20 जैसे आर्थिक संगठन की मेजबानी भी सफलतापूर्वक संपन्न किया है।  
  •  भारत की विदेश नीति ऐतिहासिक रूप से विश्व शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने वाली रही है, तथा भारत सदैव “ वसुधैव कुटुम्बकम ” की अवधारणा में विश्वास करने वाला देश है।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र की सेना में सबसे अधिक संख्या में  सैनिक भेजने वाला देश भी है।

 

निष्कर्ष / समाधान की राह : 

 

 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अस्थायी सदस्यता निश्चित तौर पर स्थायी सदस्यता की दिशा में अग्रसर होने के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रयास होगा। 
  • स्थायी सदस्यता भारत को वैश्विक राजनीति के स्तर पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, चीन और रूस के समकक्ष लाकर खड़ा कर देगा। 
  • अतः संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिये भारत को भी और अधिक गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है। 
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने ऐतिहासिक रूप से इज़राइल को सुरक्षा परिषद के फैसलों से बचाने के लिए अपनी वीटो शक्ति का उपयोग किया है।
  • सन 1972 के बाद से इसके लगभग एक तिहाई नकारात्मक वोट इज़राइल के आलोचनात्मक प्रस्तावों पर लागू होते हैं।
  • चीन ने हाल के वर्षों में वीटो का अधिक बार उपयोग किया है, हालांकि यह ऐतिहासिक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका या रूस की तुलना में अधिक संयमित ही रहा है, लेकिन बीजिंग ने अब बीस प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है। 
  • सोवियत संघ का पूरा नाम सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ था। रूस यूएसएसआर का प्रमुख गणराज्य था।
  • सन 1991 में यूएसएसआर के विघटन के बाद से, चीन और रूस ने एक चौथाई से अधिक बार वीटो किया है। इसके विपरीत, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम ( ब्रिटेन )  ने 1989 से अपनी वीटो शक्ति का प्रयोग नहीं किया है और अन्य P5 सदस्यों से इसका कम उपयोग करने को भी कहा है।
  • इजराइल और हमास के बीच हो रहे जारी युद्ध ने इजराइल  के सबसे करीबी सहयोगी अमेरिका समेत उसके करीबी सहयोगियों के साथ भी उसके संबंधों में तनाव बढ़ रहा है। 
  • अगर इजराइल यह युद्ध जारी रखता है तो इससे उसकी वो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियां और बढ़ेंगी। इसके अलावा, अरक्षित, प्रहार से पस्त, घेराबंदी में फंसे, बमबारी से तबाह गाजा पट्टी में और भी लोगों की जानें जायेंगी। 
  • इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सामने अब दो ही विकल्प मौजूद हैं। 
  • वह यूएनएससी के अपील पर गंभीरतापूर्वक सोचे और इस युद्ध को रोकें, गाजा में त्वरित स्तर पर मानवीय सहायता की इजाजत दें और सभी बंधकों की रिहाई व गाजा पट्टी से अपनी सेनाओं की वापसी के लिए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों के जरिए हमास से बातचीत और आपसी संवाद को  जारी रखें। अथवा 
  • बेंजामिन नेतन्याहू अपने देश इजराइल को स्थायी युद्ध के अंधकार में धकेल दे।
  • इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के द्वारा गाजा में युद्ध विराम करने के आह्वान को मानते हुए अपनी सेनाओं की वापसी के लिए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों के जरिए हमास से बातचीत और आपसी संवाद को  जारी रखना चाहिए , ताकि और अधिक लोगों की जिंदगियों को बचाया जा सके और इस पृथ्वी पर मानवीय संवेदनाओं , मानवीय अस्मिताओं और मानवता की रक्षा की जा सके। 

Download yojna daily current affairs hindi med 27th March 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 

  1. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन डी. सी. शहर में स्थित है।
  2. सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्य हैं – संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन)  – जिन्हें सामूहिक रूप से P5 के रूप में जाना जाता है। 
  3. इसका गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1943 में हुआ था। 
  4. सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों के पास वीटो की शक्ति का अधिकार होता है, जबकि अस्थायी सदस्य देशों को वीटो करने की शक्ति नहीं होती है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A)  केवल 1 और 3 

(B) केवल 2 और 4 

(c) केवल 1 और 2 

(D)  केवल 2 और 4 

 

उत्तर – (B) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. ‘ वीटो की शक्ति ’ की व्याख्या करते हुए यह चर्चा कीजिए कि वर्तमान भू – राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्य एवं शक्तियों की क्या प्रासंगिकता है ? क्या इसके वर्तमान स्वरूप में परिवर्तन करने की आवश्यकता है ? तर्कसंगत उत्तर दीजिए। 

 

No Comments

Post A Comment