वर्तमान भू – राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भारत – बांग्लादेश संबंध : अवसर और चुनौतियाँ

वर्तमान भू – राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भारत – बांग्लादेश संबंध : अवसर और चुनौतियाँ

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी। 

सामान्य अध्ययन –  अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारत – बांग्लादेश संबंध दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, रोहिंग्या शरणार्थी, वन बेल्ट वन रोड पहल, मिशन इंसानियत। 

खबरों में क्यों ? 

  • वर्ष 2024 के जनवरी महीने में भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में हुए आम – चुनाव में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी ‘अवामी लीग’ को बड़ी जीत मिली है। कुल 299 सीटों में से अवामी लीग ने 222 सीटें जीती हैं। दूसरे बड़े राजनीतिक दल ‘जातीय पार्टी’ को सिर्फ 11 सीटें मिलीं। 65 सीटों पर स्वतंत्र उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। बांग्लादेश में किसी भी बहुनत प्राप्त दल / दलों को सरकार बनाने के लिए 151 सीटों की जरूरत होती है।
  • चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले 14 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज किया है, जिनमें से 12 उम्मीदवार हिंदू समुदाय से हैं। गौरतलब है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय ‘ अल्पसंख्यक धर्म / समुदाय कि श्रेणी में आते हैं। इस आम चुनाव से दूर रही मुख्य विपक्षी पार्टीबांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP)’  ने इस चुनावी जीत को  को खारिज कर दोबारा से मतदान करने / चुनाव करने की मांग की है।
  • आम चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को कहा कि – ‘ भारत बांग्लादेश का एक ‘घनिष्ठ मित्र’ है और दोनों पड़ोसियों ने द्विपक्षीय रूप से कई समस्याओं का समाधान किया है।’ 
  • प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली ‘अवामी लीग पार्टी’ ने इस आम चुनाव में लगातार चौथी बार जीत दर्ज की है।
  • सन 1971 ई. में भारत ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान एक स्वतंत्र देश के रूप में बांग्लादेश के उद्भव और उदय में एक महान भूमिका निभाई थी। भारत बांग्लादेश को एक अलग और स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश था। 
  • बांग्लादेश मुक्ति दिवस, 16 दिसंबर को भारत में ” विजय दिवस “ ​​के रूप में मनाया जाता है।
  • भारत – बांग्लादेश संबंधों के अनूठे संबंध इनके आपसी साझा बलिदानों से निर्मित हुए हैं।
  • भारत के प्रधानमंत्री ने हाल ही में भारत – बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति को ‘सोनाली अध्याय’ (सुनहरा चरण) कहा था।

बांग्लादेश की संसद : 

  • बांग्लादेश में एक संसद है जिसे ‘जातीय संसद’  या “हाउस ऑफ द नेशन” कहा जाता है।  इस संसद में 350 सदस्य होते हैं।  इन 350 सदस्यों में से 300 सदस्य वोटिंग( मतदान )  के माध्यम से चुने जाते हैं जबकि 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित वोट शेयर के आधार पर बांटी जाती है। बांग्लादेश में सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक पार्टी को 151 सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी होता है और यहाँ हर पांच साल में संसदीय चुनाव होते हैं।

बांग्लादेश का इतिहास : 

  • सन 1947 ई. से पहले बांग्लादेश, भारत का ही हिस्सा था। उस समय बांग्लादेश को ‘ ईस्ट बंगाल ( पूर्वी बंगाल )’ कहा जाता था। भारत पाकिस्तान के विभाजन के 8 साल बाद यानी साल 1955 में पूर्वी बंगाल के नाम को बदलकर ‘पूर्वी – पाकिस्तान’ रख दिया गया था। सन 1971 के भारत – पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बाद ‘ पूर्वी –  पाकिस्तान ’ ‘ बांग्लादेश’ नामक स्वतंत्र देश बना। उस समय बांग्लादेश की सत्ता ‘अवामी लीग पार्टी के हाथों में आई और शेख मुजीर्बुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री भी बने। उन्हें बांग्लादेश का संस्थापक’ भी कहा जाता है। शेख मुजीर्बुर रहमान 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक बांग्लादेश के प्रधानमंत्री रहे,  लेकिन बाद में  उनकी हत्या कर दी गई। शेख मुजीर्बुर रहमान की हत्या के बाद ‘अवामी लीग पार्टी’ की बागडोर उनकी बेटी शेख हसीना ने संभाली थी। साल 1981 में शेख हसीना ‘आवामी लीग पार्टी’ की नेता चुनी गईं। उन्होंने साल 1996 से 2000 और 2008 से 2013 तक दो बार बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। साल 2014 के चुनाव में जब विपक्षी दल ने चुनाव लड़ने से बहिष्कार कर दिया था, उस वक्त भी शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद पर कार्यरत थी। सन 1971 ई. में पाकिस्तान से स्वतंत्र  होने के बाद बांग्लादेश में अभी तक 12 आम चुनाव हो चुके हैं।

भारत और बांग्लादेश के साथ सीमा मुद्दे : 

  • भारत – बांग्लादेश का आपसी संबंध परंपरा, संस्कृति, भाषा और आपसी मूल्यों जैसे धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और अन्य समानताओं में निहित हैं। सन 1947 से सन 1971ई. तक बांग्लादेश पाकिस्तान का ही हिस्सा था। यह ब्रिटिश भारत के बंगाल और असम के विभाजित क्षेत्रों ’  से बना था। इस क्षेत्र के लोगों ने पश्चिमी पाकिस्तान के वर्चस्व ,  प्रभुत्व और उर्दू भाषा को थोपने का विरोध करना शुरू कर दिया था। समकालीन विश्व राजनीति में उन्होंने बंगाली संस्कृति और भाषा के अनुचित व्यवहार के खिलाफ विरोध करना प्रारंभ कर दिया था। वहां के नागरिकों ने वहां की सरकार में अपना समान प्रतिनिधित्व और अपनी राजनीतिक शक्ति के उचित हिस्से की भी मांग की थी। ध्यान देने वाली बात यह है कि शेख मुजीबुर्रहमान ने पश्चिमी पाकिस्तानी प्रभुत्व के लोकप्रिय प्रतिरोध का नेतृत्व किया था।

भारत के लिए बांग्लादेश का महत्व : 

  • वर्तमान ‘ भू-राजनीतिक दृष्टिकोण’ से ‘ बांग्लादेश ’ भारत के लिए कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश के साथ आपसी संबंधों में लापरवाही बरतना भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए हानिकारक सिद्ध होगा। बांग्लादेश की भारत के साथ सबसे लंबी भूमि सीमा है, जो लगभग 4,096 किलोमीटर तक फैली हुई है। इसके साथ – ही – साथ  बांग्लादेश भारतीय राज्यों असम, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के साथ अपनी सीमा साझा करता है। इन दोनों देशों के बीच में स्थित एक समुद्री सीमा भी है । भारत के साथ बांग्लादेश कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम भी कर रहा है।
  • बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति भी हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक आवश्यक भूमिका निभाती है। बांग्लादेशी नौसेना यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि संचार के समुद्री चैनल समुद्री व्यापार के लिए समुद्री लुटेरों और अन्य खतरों से मुक्त रहें।
  • बांग्लादेश भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए प्रवेश द्वार ( प्रवेश – बिंदु) भी है। इस तरह के महत्वपूर्ण पहलों से भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद मिलेगी । बांग्लादेश भारत के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण है।
  • भू-राजनीतिक: बांग्लादेश भारत का पड़ोसी है और एक लंबी भूमि, नदी और समुद्री सीमा साझा करता है। यह इसे भारत की सुरक्षा और विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। उदाहरण के लिए, ‘ चीनी ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ का मुकाबला करने के लिए भारत को बांग्लादेश से सहयोग की आवश्यकता है।
  • आर्थिक: भारत-बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंध हैं। भारत बांग्लादेश के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। उदाहरण के लिए, 2021-2022 में द्विपक्षीय व्यापार 18.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • सांस्कृतिक: भारत और बांग्लादेश का साझा इतिहास, संस्कृति और विरासत है। दोनों देशों के लोग मजबूत सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों से जुड़े हुए हैं और बांग्लादेश में भारतीय मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी रहती है। 
  • रणनीतिक: बांग्लादेश दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के चौराहे पर स्थित है और भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाना है । 
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: बांग्लादेश और भारत सीमा पार नदियों और पारिस्थितिक प्रणालियों को साझा करते हैं, जिससे दोनों देशों के लिए जल प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण जैसे मुद्दों पर सहयोग करना महत्वपूर्ण हो जाता है। उदाहरण के लिए, सुंदरवन के संरक्षण के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।

वर्तमान  भू – राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भारत – बांग्लादेश संबंधों में चुनौतियाँ : 

भारत और बांग्लादेश के बीच वर्तमान समय में निम्नलिखित अड़चनें और चुनौतियाँ हैं – 

बांग्लादेश का चीन फैक्टर :  

  • चीन बांग्लादेश में बुनियादी ढांचे के विकास, ऊर्जा और दूरसंचार के क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ा रहा है। उदाहरण के लिए –  बीआरआई और चटगांव बंदरगाह के निर्माण में चीन अपना निवेश बढ़ा रहा है। बांग्लादेश के दूसरे परमाणु ऊर्जा संयंत्र और बंगबंधु संचार उपग्रह सहित 25 से अधिक ऊर्जा परियोजनाओं को चीन द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। कई बंदरगाह विकास परियोजनाएं चल रही हैं। चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड पहल’ ने बांग्लादेश को भी उलझा दिया है, और चीन की निकटता भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से चिंताओं का कारण बनती जा रही है।

रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या : 

  • बांग्लादेश लगभग 11 मिलियन रोहिंग्या मुसलमानों का घर है। म्यांमार में आये आपदा ने वहां के नागरिकों को प्रस्थान और प्रवासन के लिए प्रेरित किया है। भारत का म्यांमार और बांग्लादेश के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं और वह ऐसी स्थिति में आपसी रिश्तों को खतरे में नहीं डालना चाहता है। मानवीय सहायता अभियान के तहत ‘मिशन इंसानियत’ को चलाने के अलावा, भारत का इस संघर्ष को सुलझाने में कोई प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं है। परिणामस्वरूप, बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण विचलन आया है। फलतः भारत और बांग्लादेश के बीच के द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण अंतर आया है।

अवैध घुसपैठ और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा : 

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने हाल ही में बांग्लादेश के तस्करों और अवैध प्रवासियों को निशाना बनाकर मार गिराया है। बांग्लादेश में, इससे सार्वजनिक आक्रोश फैल गया और ‘बांग्लादेश राइफल्स ने  उकसावे में बीएसएफ से जुड़े भारतीय सेना के सदस्यों को गोली मार दी। अनेक रक्षा विशेषज्ञों ने इस वर्तमान घटना को कट्टर धार्मिक संगठन आईएसआई के प्रभाव में बांग्लादेशी सेना के धार्मिक सिद्धांत या धार्मिक अंधभक्तता से प्रेरित होने से जोड़ा है।

भारत – बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी विवाद : 

 

  • सन 2011 ई. में दोनों देशों में आपसी  समझौता के तहत नदी के जल प्रवाह को न्यूनतम रखने के लिए एक समझौता किया गया, उस समझौते के अनुसार भारत को 42.5% पानी, बांग्लादेश को 37.5% और शेष 20% नदी के जल प्रवाह को मुक्त करने का अधिकार दिया गया। कुछ असहमतियों के कारण, यह समझौता अब तक लागू नहीं किया जा सका है।
  • तीस्ता नदी, गंगा नदी की एक सहायक नदी है और यह नदी बंगाल और बांग्लादेश से होकर गुजरने से पहले सिक्किम से शुरू होती है। नदी के जल में 55 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की है।
  • बांग्लादेश पहले से प्राप्त जल राशि से भी और अधिक महत्वपूर्ण अनुपात में जल – राशि भारत से चाहता है।
  • बांग्लादेश की चौथी सबसे बड़ी सीमा पार नदी तीस्ता नदी है।
  • बांग्लादेश में, तीस्ता बाढ़ क्षेत्र में सिंचाई और मछली पकड़ने के लिए 2,750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है।
  • इस नदी का 83 प्रतिशत जलक्षेत्र – भूमि क्षेत्र जहां पानी जमा होता है – भारत में है, जबकि 17 प्रतिशत बांग्लादेश में है। 
  • तीस्ता नदी विवाद में संघर्ष का एक अन्य महत्वपूर्ण विषय जलविद्युत है।
  • इस नदी पर कम से कम 26 परियोजनाएँ संचालित हैं, जिनमें से अधिकांश भारत सिक्किम राज्य में स्थित है। दोनों देशों के बीच तीस्ता नदी जल – विवाद आपसी साझेदारी पर कहर ढाने का महत्वपूर्ण कारण है।

भूराजनीतिक चुनौतियाँ :

  • भारत-बांग्लादेश संबंध आम तौर पर सौहार्दपूर्ण रहे हैं, लेकिन इसमें कुछ सीमा विवाद जैसी कुछ भूराजनीतिक चुनौतियाँ:भी शामिल हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच विशेष रूप से असम और त्रिपुरा के क्षेत्रों में साझा सीमा के सीमांकन पर लंबे समय से विवाद चल रहा है ।

अवैध आप्रवासन : 

  • बांग्लादेश की सीमा से लगे भारतीय राज्यों के निवासियों को प्रवासियों की महत्वपूर्ण आमद के परिणामस्वरूप पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। जिससे भारत में बांग्लादेशी सीमा के पार प्रवासियों का अवैध प्रवासन और अनवरुद्ध  प्रवाह ने दोनों देशों के बीच के आपसी संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। 

बुनियादी अवसंरचनात्मक ढांचे की कमी : 

  • अपर्याप्त बुनियादी अवसंरचनात्मक ढांचे और कनेक्टिविटी, दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों के विकास में बाधा बन रही है। फलतः बांग्लादेश और भारत के बीच सीमा पर तनाव कोई नई बात नहीं है। 4,096 किमी लंबी भूमि सीमा और 180 किमी लंबी समुद्री सीमा भारत को बांग्लादेश से अलग करती है। कोमिला-त्रिपुरा भूमि सीमा, जो 6.5 किलोमीटर तक फैली हुई है, का सीमांकन नहीं किया गया है, जिससे सीमा विवाद अनसुलझा हुआ है और दोनों देशों के बीच अभी भी कनेक्टिविटी चुनौतियाँ बरक़रार है  ।

आर्थिक क्षेत्र में उत्पन्न होनेवाली चुनौतियाँ :

भारत और बांग्लादेश के बीच गैर-टैरिफ बाधाएं : भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों के बीच एक – दूसरे को गैर-टैरिफ बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे लंबी सीमा शुल्क प्रक्रियाएं और नौकरशाही लालफीताशाही, जिसने दोनों ही देशों के बीच होने वाले  व्यापार में बाधा उत्पन्न किया है, जिसे अत्यंत जल्द ठीक करने और तर्कसंगत बनाने कि जरूरत है।  

 सुरक्षा चुनौतियाँ :

  • आतंकवाद : भारत ने बांग्लादेश स्थित आतंकवादी समूहों पर भारत में हमले करने का आरोप लगाया है और बांग्लादेश को आतंकवाद से निपटने में भारत को और अधिक सहयोग देने का आह्वान किया है।
  • उग्रवाद: रक्षा विशेषज्ञ सूत्रों के अनुसार, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा सभी बांग्लादेश में शिविर चलाते हैं।
  • भारत के पास इस बात के भी पुख्ता सबूत हैं कि उल्फा के पास बांग्लादेश में कई सफल आय-सृजन उद्यम हैं जिसका  उपयोग वह भारत में अपने उग्रवादी / विद्रोही अभियानों को वित्तपोषित करने के लिए करता रहता है।

ऊर्जा चुनौतियाँ :

फरक्का बैराज विवाद:

 

  • गंगा से हुगली नदी में पानी का मोड़ बांग्लादेश द्वारा अतीत में कई बार उठाई गई चिंता का एक प्रमुख कारण रहा है जिसका दोनों ही देशों को आपस में त्वरित समाधान खोजना चाहिए।
  • भारत और बांग्लादेश के बीच ब्रह्मपुत्र और गंगा नदी के जल के वितरण पर भी तनाव अभी तक बरक़रार है ।

निष्कर्ष / समाधान की राह : 

भारत-बांग्लादेश संबंधों के बीच अनसुलझे और विवादित वर्तमान मुद्दों को निम्नलिखित माध्यमों से हल किया जा सकता है – 

  • तीस्ता नदी जल विवाद काआपस में समाधान करना : भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों को आपसी समझबूझ से तीस्ता नदी जल बंटवारे की सीमा का आपस में ही सीमांकन करने और समयबद्ध तरीके से आपसी समझौते पर पहुंचने की दिशा में आम सहमति स्थापित करना चाहिए।
  • बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित करने की दिशा में बढ़ना : भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों को अपनी समुद्री या तटीय कनेक्टिविटी, सड़क मार्ग, रेलमार्ग और अंतर्देशीय जलमार्गों में सहयोग को और अधिक सुदृढ़ करके एक मजबूत और स्थायी संचार और संवहनीय मार्गों को   बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा :  संपूर्ण विश्व में जैसे – जैसे वैश्विक ऊर्जा संकट बढ़ता जा रहा है, ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशिया को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वच्छ और हरित ऊर्जा का उपयोग करने में सहयोग करें।
  • भारत – बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन : जो भारत से उत्तरी बांग्लादेश तक हाई-स्पीड डीजल ले जाने में मदद करेगी, उसे और मजबूत करने की जरूरत है। 
  • व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) वार्ता की ओर ध्यान केंद्रित करना :  2018 से शुरू हुए भारत – बांग्लादेश  व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) वार्ता की ओर ध्यान केंद्रित कर भारत और बांग्लादेश के बीच के आपसी आर्थिक संबंध और मजबूत करने होंगे जिससे भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और अधिक मजबूत होंगे। 
  • चीन का मुकाबला : महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और वित्तीय सहायता के साथ बांग्लादेश की सहायता करने से भारत के रिश्ते और मजबूत होंगे और भारत को चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में काफी हद तक मदद मिलेगी।
  • शरणार्थी संकट से निपटना : भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के अन्य देशों को शरणार्थियों पर एक सार्क घोषणा विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जिसमें शरणार्थियों और आर्थिक प्रवासियों की स्थिति निर्धारित करने के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित करने की घोषणा किया जाए।
  • वर्तमान में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की काफी गुंजाइश है। सहयोग और समेकन कनेक्शन की नींव होनी चाहिए। प्रगति के लिए शांति सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। नतीजतन, शांतिपूर्ण, सुरक्षित और अपराध मुक्त सीमा प्रदान करने के लिए सक्षम सीमा प्रबंधन की आवश्यकता है।
  • बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग इसकी ताकत है, जो इसे अपनी प्रतिस्पर्धा में बढ़त बनाए रखने में मदद करता है। 
  • भारत के बड़े घरेलू बाजार के कारण किसी भी देश की ओर भारत का झुकाव महत्वपूर्ण होगा, जिससे निर्यातक देश को फायदा होगा। 
  • भारत को अपनी प्राथमिकताओं को संतुलित करना चाहिए और एक मित्र राष्ट्र के उद्योग को रणनीतिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. वर्तमान भू – राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भारत – बांग्लादेश संबंध के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी का नाम ‘अवामी लीग’ है जिसने 2024 के आम चुनाव में 222 सीटें जीती है।
  2. बांग्लादेश मुक्ति दिवस, 16 दिसंबर को भारत में ” विजय दिवस ” ​​के रूप में मनाया जाता है।
  3. शेख मुजीर्बुर रहमान को ‘ बांग्लादेश का संस्थापक ’ भी कहा जाता है। 
  4. भारत के प्रधानमंत्री ने हाल ही में भारत – बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति को ‘सोनाली अध्याय’ (सुनहरा चरण) कहा था।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A) केवल 1, 2 और 3 

(B)केवल 2, 3 और 4 

(C ) इनमें से कोई नहीं।

(D) इनमें से सभी।

उत्तर – (D) 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. वर्तमान भू – राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भारत – बांग्लादेश संबंध के विभिन्न आयामों की चर्चा करते हुए क्षेत्रीय स्थिरता के संदर्भ में भारत – बांग्लादेश के बीच के आर्थिक , राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामरिक संबंधों की व्याख्या कीजिए 

 

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