वारसॉ में भारतीय महाराजा के नाम पर बने स्कूल में पढ़े हैं पोलैंड के वर्तमान राजदूत।

वारसॉ में भारतीय महाराजा के नाम पर बने स्कूल में पढ़े हैं पोलैंड के वर्तमान राजदूत।

वारसॉ में भारतीय महाराजा के नाम पर बने स्कूल में पढ़े हैं पोलैंड के वर्तमान राजदूत।

संदर्भ- हाल ही में भारत में पोलैण्ड के राजदूत बुराकोव्स्की ने कहा कि जब 1941 में जब जर्मनी ने सोवियत संघ पर आक्रमण कर दिया तब गुजरात के नवानगर(जामनगर) के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह रंजीतसिंह जी ने निर्वासित 1000 पोलैण्डवासियों को आश्रय दिया।

नवानगर- सौराष्ट्र के हालार क्षेत्र में अवस्थित एक देसी राज्य था। जिसके केंद्र में वर्तमान जामनगर था। जामनगर को वर्तमान में रिलायंस की सबसे बड़ी पैट्रोलियम रिफायनरी के लिए जाना जाता है। नवानगर राज्य की स्थापना 1540 में जामश्री रावलजी द्वारा हुई थी जो कच्छ राज्य के जडेजा वंश से संबंधित हैं। नवानगर ने मुगलों के खिलाफ लड़ी गई भूचरमोरी की लड़ाई में सौराष्ट्र का नेतृत्व किया था। इस युद्ध में सौराष्ट्र पराजित हुए थे। 22 फरवरी 1812 में नवानगर ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गई।  

नवानगर की मुद्रा कोरी थी, नवानगर की चांदी की कोरी 4.4 ग्राम की थी।नवानगर के शासक 11 तोपों की सलामी के हकदार थे, अतः ये एक छोटी रियासत के हकदार थे।

जामसाहब रणजीत सिंहसौराष्ट्र के रणजीत सिंह भारत के महान क्रिकेटर रहे हैं उन्होंने क्रिकेट में ऑक्टेट सिद्धांत का आविष्कार किया था।, इन्हीं के नाम पर रणजी ट्रॉफी, क्रिकेट जगत का भारत में श्रेष्ठ सममान है।

महाराजा जामसाहब दिग्विजय सिंह-  राजा दिग्विजय सिंह के लिए आज भी पोलैण्ड के निवासी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

1 सितम्बर 1939 में जब जर्मनी के हिटलर ने बिना किसी चेतावनी के पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया था। इसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई। और मात्र 16 दिन बाद रूसी तानाशाह स्टालिन ने भी पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया। फ्रांस, ब्रिटेन और राष्ट्रमण्डल देशों के चेतावनी के बावजूद जर्मनी ने पोलैण्ड से अपनी सेना नहीं हटाई। कोई मदद न मिलने के कारण पोलैण्ड बुरी तरह पराजित हुआ। हजारों अनाथ बच्चे व महिलाएँ कैम्प में रह रहे थे, 1941 में सोवियत रूस ने इन्हें कैम्प से जाने के लिए कह दिया। 

पराजित पोलैण्ड के लगभग 1000 महिलाओ और बच्चों ने ईरान से मदद मांगी गई, ईरान द्वारा मदद न करने पर भारत के नवानगर के राजा जामसाहब दिग्विजय सिंह ने पोलैण्ड निवासियों को जामनगर के बालाचड़ी गांव में शरण दी। दिग्विजय सिंह ने शरण देने के साथ बच्चों के लिए स्कूल, कॉलेज, चिकित्सा व्यवस्थाएं की। पटियाला व बड़ौदा के शासकों को शरणार्थी शिविर खोलने के लिए प्रेरित किया।  

राजा जामसाहब दिग्विजय सिंह से कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए पोलैण्ड के वारसा में उनके नाम का चौक है। पोलैण्ड के तत्कालीन प्रधानमंत्री व्लादिस्ला सिलोर्स्की के आग्रह पर वारसा में राजा जामसाहब के नाम का विद्यालय बनाया गया, जिसमें पोलैण्ड के भारत में वर्तमान राजदूत ने शिक्षा प्राप्त की है। 

स्रोत-

https://www.dw.com/hi/why-are-schools-parks-and-roads-in-poland-named-after-indian-maharaja-digvijay-singhji/a-53373388

jagran.com/

https://www.tezbid.com/blogs/blogs/know-your-india-nawanagar-state-and-its-coins

 

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