विश्व ओजोन दिवस।

विश्व ओजोन दिवस।

विश्व ओजोन दिवस 

विश्व ओजोन दिवस प्रति वर्ष 16 सितंबर को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। जो 1987 को लागू हुआ था। ओजोन परत के क्षरण और क्षरण को कम करने के  उपायों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है। 

विश्व ओजोन दिवस 2022 का विषय : मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल @35 : पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाला वैश्विक सहयोग।

मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल- मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिसे ओजोन सतह की रक्षा के लिए डिजाइन किया गया था। जो लगभग 100 मानव निर्मित रसायनों के उत्पादन व खपत को नियंत्रित करता है, जिन्हें ओजोन क्षयकारी पदार्थ (Ozone Depleting Substance) कहा जाता है। जब ये क्षयकारी पदार्थों को वातावरण में छोड़ा जाता है तो यह समताप मण्डल की ओजोन परत को नुकसान पहुँचाते हैं। ओजोन परत हानिकारक पराबैगनी किरणों से पृथ्वी में जीव जंतुओं की रक्षा करती है।

मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल 16 सितंबर 1987 को गठित एकमात्र ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संधि है। जिसकी पुष्टि विश्व में लगभग हर देश (198 देश और संयुक्त राष्ट्र ) ने की थी। भारत जून 1992 से मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल कार्ययोजना पर कार्य कर रहा है।

मॉन्ट्रियाल प्रोटोकॉल में देशों की प्रतिबद्धताएँ- प्रटोकॉल विकसित व विकासशील देशों के लिए अलग अलग समय सारणी के साथ चरणबद्ध तरीके से विभिन्न ODS की खपत को कम करता है।

  • ओडीएस व्यापार पर नियंत्रण
  • ओडीएस डेटा की वार्षिक रिपोर्ट
  • ओडीएस आयात निर्यात को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय लाइसेंसिंग सिस्टम
  • प्रोटोकॉल के दौरान विकासशील देशों ने दावा किया है कि वे वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पूर्ण रूप से तैयार व सक्षम हैं।
  • संधि में हानिकारक पदार्थों को विस्थापित करने का प्रयास भी किया गया है।

हाइड्रोजन क्लोरो फ्लोरो कार्बन HCFC- मॉण्ट्रियाल संशोधन-

  •  HCFC गैसें वातानिकूलन, एरोसोल और फोम में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली गैसें हैं। जिन्हें वातावरण से पूरी तरह से निकालने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इन्हीं में से एक प्रयास है मॉण्ट्रियाल संशोधन।
  •  HCFC, सामान्य कार्बन डाइ ऑक्साइड से 2000 गुना अधिक हानिकारक होने के कारण 2007 में सभी देशों ने इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए समयसीमा का निर्धारण किया जिसमें विकसित देश 2020 तक और विकासशील 2030 तक HCFC मुक्त होने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 हाइड्रोजन फ्लोरो कार्बन HFC- किगाली संशोधन

  • क्लोरो फ्लोरो कार्बन(CFC)और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरो कार्बन के अत्यधिक उत्सर्जन के कारण समताप मण्डल में ओजोन परत के अत्यधिक क्षय को रोकने के लिए इन्हें हाइड्रोजन फ्लोरो कार्बन द्वारा विस्थापित कर दिया गया। यह विस्थापन आधुनिक वातानुकूलन, एरोसोल और फोम में किया गया है।
  • HFC समताप मण्डल की ओजोन को नष्ट नहीं करती है। लेकिन HFC उत्सर्जन भी 8% और CO2 उत्सर्जन 7-19% की दर से बढ़ रहा है। 
  • अत्यधिक बढ़ते ODS पदार्थों के कारण वैश्विक तापमान में निरंतर हो रही वृद्धि में इसे 2 डिग्री तक कम करना एक चुनौती है।
  • 1 जनवरी 2019 को हुआ किगाली संशोधन, मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल को आगे बढ़ाता है। 

मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल की सफलता-

  • ओजोन रिक्तीकरण के वृद्धिदर में कमी।
  • ओजोन क्षय के कारण होने वाले विभिन्न त्वचा व आँखों के रोगों से सुरक्षा।
  • वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संरक्षण में योगदान।
  • 2022 तक ग्रीन हाउस गैसों में कमी 465 मिलियन टन CO2 के उत्सर्जन के बराबर है।
  • भारत में 1 जनवरी 2010 तक नियंत्रित उपयोग के लिए क्लोरो फ्लोरो कार्बन, कार्बन टेट्रा क्लोराइड, हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, मिथाइल क्लोरोफॉर्म को चरण बद्ध तरीके से समाप्त कर दिया है।
  • HCFC कार्ययोजना को भारत में 2012 से 2016 तक सफलता पूर्वक लागू किया गया, 2023 तक HCFC की चरण प्रक्रिया पूरी तरह से समाप्त होने की उम्मीद है।

मॉण्ट्रियाल प्रोटोकॉल की चुनौतियाँ-

  • HFC के सीमित उपयोग की कार्यवाही से वातावरण से 105 मिलियन टन CO2 के उत्सर्जन को रोकना।
  • वर्ष 2100 तक 0.5 डिग्री तापमान को कम करना। 
  • इण्डिया कूलिंग एक्शन प्लान के कार्यान्वयन के लिए ऊर्जा दक्षता प्लान को महत्ता।
  • पंचामृत योजना का लक्ष्य- जिसमें 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन होना है। 

 

स्रोत

https://www.unep.org/ozonaction/who-we-are/about-montreal-protocol

https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1859829

yojna daily current affairs hindi med 17 September

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