विश्व व्यापार संगठन (WTO) की अपीलीय प्राधिकरण

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की अपीलीय प्राधिकरण

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की अपीलीय प्राधिकरण के तीन में से दो सदस्य इसी माह (दिसंबर) में कार्यमुक्त हो गए हैं, ज्ञात हो कि अब प्राधिकरण में मात्र एक ही सदस्य बचा है। विश्व व्यापार संगठन के पास मतदान शक्ति की प्रणाली नहीं है, फिर भी अन्य तंत्र हैं जिनके माध्यम से अमेरिका ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में अनुचित प्रभाव डाला है, मसलन, पिछले कुछ वर्षों में, ट्रंप प्रशासन के दौरान, अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय निकाय (एबी) में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी. डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान प्रणाली में एबी अपील का सर्वोच्च निकाय है. न्यायाधीशों की नियुक्ति को अवरुद्ध करने के कारण, वर्तमान में एबी कार्य नहीं कर रहा है क्योंकि मामले की सुनवाई के लिए न्यायाधीश नहीं हैं.”

  • डब्ल्यूटीओ का गठन 1995 में टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (गैट) को बदलने के लिए किया गया था, जिसे 1948 में शुरू किया गया था.
  • गैट को डब्ल्यूटीओ में बदलने की वजह ये थी कि गैट के ख़िलाफ़ शिकायत थी कि ये विकसित देशों के पक्ष में फ़ैसले करता था.

WTO के नियमों के अनुसार

  •  विवाद निपटान तंत्र या अपीलीय प्राधिकरण को कार्य करने के लिये कम-से-कम तीन सदस्यों की आवश्यकता होती है।
  • दो सदस्यों की सेवानिवृत्ति से अब केवल एक सदस्य बचा है जिससे कार्यप्रणाली स्थगित है ।
  • अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष मौजूद इस चुनौती से स्वयं WTO के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि विवादों को निपटाने की व्यवस्था संगठन का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य माना जाता है।
  • अमेरिका द्वारा बीते वर्ष नए सदस्यों की नियुक्ति और 4 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके सदस्यों की पुनर्नियुक्ति पर रोक लग दी गयी थी ।
  • अमेरिका द्वारा WTO पर पक्षपात करने का आरोप लगते हुए प्रतिबन्ध लगाया गया है।
    • अमेरिका और उसके समर्थकों का मानना है कि WTO ने चीन को उसकी अर्थव्यवस्था मज़बूत करने का अवसर दिया है। साथ ही वह चीन द्वारा व्यापक रूप से प्रयोग की जा रहीं अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिये भी कुछ नहीं कर रहा।

WTO की विवाद निपटान प्रणाली 

  • सदस्य देशों के बीच व्यापर सम्बंधित विवाद को परामर्श के माध्यम से निपटाने की कोशिश की जाती है।
  • उपाय सफल  न होने की सूरत में  मामला एक विवाद पैनल (Dispute Panel) के पास जाता है। विवाद पैनल का निर्णय अंतिम होता है, लेकिन उसके निर्णय के खिलाफ अपील अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Body-AB) के समक्ष की जा सकती है।
    • WTO का विवाद निस्तारण तंत्र दुनिया में सबसे सक्रिय तंत्रों में से एक है।
  • अपीलीय प्राधिकरण द्वारा विवाद पैनल के निर्णयों की समीक्षा की जाती है और अपीलीय प्राधिकरण द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने के पश्चात् यह अंतिम होती है तथा सदस्य देशों पर बाध्यकारी होती है।
  • WTO प्रणाली के अनुसार, AB में सात सदस्य होने चाहिये जो WTO के सदस्य देशों के बीच आम सहमति से नियुक्त किये जाते हैं। WTO के विवाद पैनल से किसी भी अपील को AB के सात सदस्यों में से तीन द्वारा सुना जाता है।
  • सदस्इयों का कार्नयकाल 4 वर्ष का होता है। एक बार जब किसी AB सदस्य का कार्यकाल पूरा हो जाता है तो AB की सदस्य क्षमता को सात बनाए रखने के लिये एक नए सदस्य की नियुक्ति की आवश्यकता होती है।

निष्क्रियता का प्रभाव

  • यदि अपीलीय प्राधिकरण को निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है तो WTO के समक्ष अपने अंतर्राष्ट्रीय विवादों को ले जाने वाले सदस्य  देशों को पैनल द्वारा लिये गए निर्णय को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा, चाहे उसमें किसी प्रकार भी प्रकार की त्रुटी क्यों न हो।
  • वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद को कम करने के लिये बीते कुछ वर्षों से चले आ रहे प्रयासों के मद्देनज़र प्राधिकरण की निष्क्रियता WTO के ढाँचे को कमजोर कर सकती है।
  • अमेरिका-चीन एवं अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक तनाव के बढ़ने से वर्तमान में व्यापार तनाव एक प्रमुख चिंता है।
  • इस प्राधिकरण की समाप्ति से  अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवादों में उलझे देशों को निस्तारण के लिये कोई मंच नहीं बचेगा।

भारत पर पड़ने वाले प्रभाव

  • WTO के अपीलीय प्राधिकरण की निष्क्रियता बिलकुल भी भारत के हित में नहीं है, क्योंकि इसके कारण भारत के कई विवाद अधर में रह जाएँगे।
  • वर्ष 1995 से अब तक भारत कुल 54 विवादों में प्रत्यक्ष भागीदार रहा है, जबकि 158 विवादों में तीसरे पक्ष के रूप में शामिल रहा है।
  • इसी वर्ष फरवरी में अपीलीय प्राधिकरण ने भारत और जापान के मध्य चल रहे एक विवाद में अपील के लिये कर्मचारी उपलब्ध कराने की असमर्थता व्यक्त की थी।
    • यह विवाद भारत द्वारा लोहे और इस्पात उत्पादों के आयात पर लगाए गए कुछ सुरक्षा उपायों से संबंधित है।
  • पिछले एक वर्ष में विश्व व्यापार संगठन में भारत के खिलाफ चार शिकायतें दर्ज़ कराई गई हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि भारत अपने चीनी और गन्ना उत्पादकों के लिये WTO के नियमों के दायरे से बाहर जाकर समर्थन जुटाने के प्रयास कर रहा है।

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi Med 28th June

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