शिपिंग मूल्य श्रृंखला में भारत की स्थिर दिशा : हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत का पहला उत्कृष्टता केंद्र

शिपिंग मूल्य श्रृंखला में भारत की स्थिर दिशा : हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत का पहला उत्कृष्टता केंद्र

(यह लेख ‘ भारत – सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के आधिकारिक वेबसाइट ’,  ‘द हिन्दू ‘, ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल – डेवेलपमेंट ’ , ‘ संसद टीवी के कार्यक्रम सरोकार ’, ‘ ऊर्जा और पर्यावरण एक अंतःविषय पत्रिका, जो  ऊर्जा नीति विश्लेषकों, प्राकृतिक वैज्ञानिकों और इंजीनियरों, साथ ही वकीलों और अर्थशास्त्रियों को आपसी समझ और सीखने में योगदान देने के लिए आमंत्रित करती है’,  ’भारत – सरकार के इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन इंजीनियर्स के आधिकारिक वेबसाइट ’ के और ‘ पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , पोत,परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी ’  खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत शिपिंग मूल्य श्रृंखला में भारत की स्थिर दिशा : हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत का पहला उत्कृष्टता केंद्र से संबंधित  है।)

सामान्य अध्ययन : भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, पोत,परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी।

चर्चा में क्यों ? 

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओईजीपीएस) की घोषणा की। इस केंद्र का उद्देश्य भारत में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के क्षेत्र में कार्बन उदासीनता और वृत्तीय अर्थव्यवस्था (सीई) को बढ़ावा देने के लिए एक नियामक संरचना और वैकल्पिक प्रौद्योगिकी अपनाने का रोड मैप विकसित करना है। भारत अपने सभी प्रमुख बंदरगाहों में बिजली की कुल मांग में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी, जो कि वर्तमान में 10 प्रतिशत से भी कम है, को बढ़ाकर 60 प्रतिशत करने की इच्छा रखता है, जिसे सौर और पवन ऊर्जा द्वारा उत्पन्न बिजली के माध्यम से पूरा किया जाएगा।

भारत सरकार के द्वारा हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (National Centre of Excellence for Green Port & Shipping-NCoEGPS) की शुरुआत हाल ही में मुंबई में आयोजित “इनमार्को 2022″ (INMARCO 2022) में की गई है ।

उद्देश्य- 

  • भारत में कार्बन उदासीनता और वित्तीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना तथा पत्तन और पोत परिवहन को ज्यादा से ज्यादा पर्यावरण अनुकूल बनाना है।
  • इनमार्को एक चतुर्वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सम्मेलन और प्रदर्शनी है , जिसकी मेज़बानी इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन इंजीनियर्स (भारत – सरकार ) द्वारा की जाती है। अर्थात इनमार्को हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए वैकल्पिक प्रौद्योगिकी अपनाने का रोड मैप विकसित करने पर हर चार वर्षों के अंतराल पर अपना रिपोर्ट पेश कर यह कार्यक्रम आयोजित करता है।

हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत का पहला उत्कृष्टता केंद्र (NCoEGPS):

परिचय:

  • यह पोत, परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (Ministry of Ports, Shipping and Waterways- MOPSW) की एक प्रमुख पहल है, जो पोत, परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय में हरित समाधान प्रदान करने की दिशा में पत्तन, पोत – परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सागरमाला कार्यक्रम की रूपरेखा के तहत काम करेगा।
  • इस परियोजना के लिए सूचना एवं कार्यान्वयन भागीदार, ऊर्जा और संसाधन संस्थान (The Energy and Resources Institute-TERI) है ।

उत्कृष्टता केंद्र का लक्ष्य:

  • केंद्र का उद्देश्य भारत में शिपिंग क्षेत्र में कार्बन तटस्थता और चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy- CE) को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रीन शिपिंग हेतु एक नियामक रूपरेखा तथा वैकल्पिक प्रौद्योगिकी अपनाने का रोड मैप विकसित करना है।
  • जहाज़ों द्वारा उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषकों और ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) से उत्पन्न प्रदूषकों से वैश्विक पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए जहाज़ द्वारा लोगों और वस्तुओं के परिवहन हेतु संसाधनों एवं ऊर्जा के कम उपयोग के अभ्यास को ग्रीन शिपिंग कहा जाता है।
  • भारत अपने प्रत्येक प्रमुख पोतों की कुल बिजली मांग में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को 10% से कम की वर्तमान हिस्सेदारी से बढ़ाकर 60% करने का लक्ष्य रखता है।
  • इसका क्रियान्वयन सौर उर्जा और पवन ऊर्जा के सहयोग से किया जाएगा।

उत्कृष्टता केंद्र: 

  • उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) एक टीम के रूप में , एक साझा सुविधा या एक इकाई के रूप में जानी जाती है, जो एक क्षेत्र विशेष के लिए एक ही स्थान पर सर्वोत्तम नेतृत्व, अभ्यास, अनुसंधान, सहयोग एवं प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • यह नवोन्मेष को बढ़ावा देता है।

इनमार्को का उद्देश्य:

  • इसका मुख्य उद्देश्य ‘मेक इन इंडिया योजना’ के तहत इस क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोग उत्पादों को विकसित करके पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में  ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • नवाचारों को सक्षम बनाकर इन क्षेत्रों में विभिन्न चुनौतियों का सबसे उपयुक्त समाधान प्रदान प्रस्तुत करना है ।
  •  इसका एक प्रमुख उद्देश्य सक्षम जनशक्ति का पुल तैयार करके अत्याधुनिक सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान से सक्षम उद्योग के लिए एक सक्षम कार्य – बल करना भी है
  • वैज्ञानिक अध्ययन द्वारा प्रौद्योगिकी विकास तथा तकनीकी शाखा के माध्यम से अल्पकालिक समाधान प्रदान करने में भारत को आत्मनिर्भरता प्रदान करने के लिए तहस इस क्षेत्र की जटिल समस्याओं की पहचान और उसका विश्लेषण करना तथा मुद्दों को हल करने में सहायता प्रदान करना भी इसका एक प्रमुख्य उद्देश्य है

इनमार्को का महत्त्व:

  • इनमार्को मिशन पर्यावरण के अनुकूल उचित जीवनशैली ( Lifestyle for the Environment – LiFE ) आंदोलन को साकार करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है क्योंकि इसका उद्देश्य बंदरगाहों को पर्यावरण के अनुकूल बदलना और शिपिंग के क्षेत्र को पर्यावरण के अनुकूल बनाना है।
  • हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र भारत के सभी बंदरगाहों, नौवहन, समुद्री राज्यों के साथ उनकी स्थानीय समस्याओं को समझने एवं उसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से समाधान की पेशकश प्रस्तुत करेगा।

भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया संबंधित पहल:

  • बंदरगाहों ने वर्ष 2030 तक प्रति टन कार्गो के कार्बन उत्सर्जन को 30% तक कम करने का भी लक्ष्य रखा है।
  • मैरीटाइम विज़न डॉक्यूमेंट 2030 एक स्थायी समुद्री क्षेत्र और जीवंत नीली अर्थव्यवस्था के भारत के दृष्टिकोण पर 10 साल का खाका है।
  • ग्रीन शिपिंग से संबंधित एक पायलट परियोजना का संचालन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization – IMO) की ग्रीन वॉयज 2050 (GreenVoyage2050) प्रोजेक्ट के तहत भारत को पहले देश के रूप में चुना गया है।

ग्रीन वॉयज 2050 प्रोजेक्ट:

  • ग्रीन वॉयज 2050 प्रोजेक्ट नॉर्वे सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के बीच मई 2019 में शुरू की गई परियोजना है, जिसका उद्देश्य शिपिंग उद्योग को भविष्य में कम कार्बन उत्सर्जक में बदलना है।
  • वैश्विक साझेदारी प्रारंभिक IMO ग्रीनहाउस गैस (GHG) रणनीति का समर्थन करके अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग के लिए प्रासंगिक जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा दक्षता लक्ष्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (Small Islands Developing States-SIDS) एवं अल्प विकसित देशों (Least Developed Countries-LDC) सहित विकासशील देशों का समर्थन कर रही है।
  • ग्रीन वॉयज 2050 के महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक प्रौद्योगिकी समाधानों के प्रदर्शन और परीक्षण के लिए वैश्विक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।

स्थायी समिति द्वारा राष्ट्रीय अंतर्देशीय जलमार्ग पर रिपोर्ट प्रस्तुत:

  • अंतर्देशीय जलमार्ग एक नौगम्य नदी और नहर प्रणाली है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) अंतर्देशीय शिपिंग और नेविगेशन के लिए राष्ट्रीय जलमार्गों को विनियमित तथा विकसित करता है।

समिति के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

राष्ट्रीय जलमार्गों का परिचालन: 

  • भारत में वर्तमान समय में कुल 111 अधिसूचित राष्ट्रीय जलमार्ग हैं जिनमें से 23 को चालू कर दिया गया है। 
  • वित्तीय एवं कर्मचारियों की कमी के कारण बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय ने कहा है कि मंत्रालय द्वारा फ़िलहाल 63 राष्ट्रीय जलमार्गों का विकास नहीं किया जा रहा है। 
  • भारत के बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने सुझाव दिया है कि फिलहाल इन 63 जलमार्गों का विकास न किया जाए क्योंकि ये अव्यावहारिक है।

कार्गो के परिवहन  के लिए इंटरमॉडल कनेक्टिविटी: 

  • कार्गो के परिवहन के लिए इंटरमॉडल कनेक्टिविटी के तहत समिति ने कहा है कि प्रमुख बंदरगाहों, रेलमार्गों और सड़कों के साथ जलमार्गों की कनेक्टिविटी से कार्गो के परिवहन का बोझ कम होने के साथ ही लॉजिस्टिक्स की लागत में भी कमी आएगी।
  • समिति ने सुझाव दिया है कि नए अधिसूचित जलमार्गों के मामले में रेल, सड़क और बंदरगाहों के साथ कनेक्टिविटी के कार्य को परियोजना के पूरे होने के चरण में ही निपटाया जाना चाहिए ।

जलमार्गों की कम हिस्सेदारी: 

  • भारत में माल ढुलाई में जलमार्गों की औसत हिस्सेदारी लगभग 2% है, जबकि USA में यह आँकड़ा 4%, चीन में 14%, वियतनाम में 48% और नीदरलैंड्स में 49% है। 
  • भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र की हिस्सेदारी  को 5% तक बढ़ाना है। 
  • स्थायी पारगमन विकल्प और पर्यटन सेवा  के रूप में जलमार्गों की क्षमता का दोहन और विकास  के लिए समिति ने यह सुझाव दिया है कि मंत्रालय त्वरित स्तर पर एक कार्य योजना बनाए।

महत्वपूर्ण तथ्य-

  • यह केंद्र पोत और पोत परिवहन क्षेत्र का समर्थन करने के लिए कई तकनीकी उपायों का उपयोग करेगा और वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से उद्योग में आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान करेगा।
  • यह स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समुद्री परिवहन में मूल्यवान शिक्षा, अनुप्रयुक्त अनुसंधान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी करेगा।

यह केंद्र 5 व्यापक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा-

  • नीति, नियामक और अनुसंधान,
  • मानव संसाधन विकास,
  • नेटवर्क- प्रमुख भागीदार और रणनीतिक सहयोगी,
  • अन्वेषण- कार्य का क्षेत्र, परिणाम, परियोजनाएं और संसाधन,
  • संलग्न- कार्य का क्षेत्र, परिणाम, परियोजनाएं और संसाधन।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q. 1. हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र ( इनमार्को ) के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1. इनमार्को एक चतुर्वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सम्मेलन और प्रदर्शनी है , जिसकी मेज़बानी इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन इंजीनियर्स (भारत – सरकार ) द्वारा की जाती है।
  2. इनमार्को मिशन पर्यावरण के अनुकूल उचित जीवनशैली – आंदोलन को साकार करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है
  3. ग्रीन वॉयज 2050 प्रोजेक्ट नॉर्वे सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के बीच मई 2019 में शुरू की गई परियोजना है
  4. भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक माल ढुलाई में जलमार्गों की औसत हिस्सेदारी क्षेत्र की हिस्सेदारी  को 5% तक बढ़ाना है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 2 और 3 

B. केवल 2 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. इनमें से सभी ।

उत्तर – D

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

Q.1 . सागरमाला – परियोजना क्या है? भारत में कार्बन उदासीनता और वित्तीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने तथा पत्तन और पोत परिवहन को ज्यादा से ज्यादा पर्यावरण अनुकूल बनाने में  इनमार्को किस प्रकार सहायक है। तर्कसंगत विवेचना कीजिए । 

 

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