शिवाजी की तलवार

शिवाजी की तलवार

शिवाजी की तलवार 

संदर्भ- हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की कि वे शिवाजी की तलवार जो लंदन संग्रहालय में है को भारत लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

सास्कृतिक मंत्रालय के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि वे राज्य सरकार मराठा राजा के राज्याभिषेक 350 साल पूरे होने पर 2024 तक उनकी ‘जगदम्बा’ तलवार को लंदन से भारत लाने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सोनक से वार्ता करेंगे।

शिवाजी- 

  • भारत के एक महान राजा व रणनीतिकार माने जाते हैं। जिन्होंने अपने सैन्य कौशल व रणनीतिक बुद्धि से मराठा साम्राज्य की स्थापना की।
  • शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी के किले में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर सल्तनत के अधीन पूना व सूपा के जागीरदार थे। तथा माता जीजाबाई एक धर्मपरायण महिला थी।
  • 1645 में पहली बार तोरण किले को जीत कर सैन्य कौसल का प्रदर्शन किया।
  • विभिन्न युद्धों जैसे प्रतापगढ़ का युद्ध(1656ई.), पवनखिंड का युद्ध (1660ई.) सूरत का युद्ध(1664ई.) पुरंदर का युद्ध(1665 ई.), सिंहगढ़ का युद्ध (1670 ई.), संगमनेर का युद्ध( 1679 ई.) और कल्याण का युद्ध को लड़ते हुए लगभग सारा जीवन उनका युद्धो में व्यस्त रहा। 
  • 1674 में पुरंदर के युद्ध में मुगलों द्वारा छीने गए प्रदेशों को शिवाजी ने वापस पा लिया और अपना राज्याभिषेक करवाया। राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही माता की मृत्यु होने के बाद पुनः 4 अक्टूबर 1674 को राज्याभिषेक करवाया।

अष्टप्रधान शिवाजी ने राज्य के प्रशासन के लिए अष्ट प्रधान संस्था की स्थापना की। इस संस्था में 8 मंत्री होते थे तथा प्रत्येक मंत्री, विशिष्ट क्षेत्र का मंत्री होता था। ये मंत्री थे-

  • पेशवा- मंत्रियों का प्रधान होता था। इसकी वर्तमान प्रधानमंत्री से तुलना की जा सकती है।
  • अमात्य- राजस्व संबंधी मुद्दों के लिए उत्तरदाय़ी वित्त मंत्री।
  • सचिव- राजा के पत्र व्यवहार व दफ्तर संबंदी कार्यों का संचालन करता था।
  • सुमंत- विदेश मंत्री
  • सेनापति- सैनिक प्रधान
  • पण्डितराव- धार्मिक मामलों का अध्यक्ष, यह दान इत्यादि के कार्य बी देखता था।
  • न्यायाधीश- न्यायप्रशासन का प्रमुख
  • वाकियानवीस या मंत्री- यह राजा की निजी सुरक्षा व निजी कार्यों का प्रमुख था।

शिवाजी की तलवार-

  • शिवाजी ने जगदम्बा तलवार की ब्लेड का निर्माणकार्य स्पेन के कारीगरों को सौंपा और तलवार की मुठिया मराठा कारीगरों द्वारा निर्मित की गई। 
  • इस प्रकार तलवार की ब्लेड का वजन 800 ग्राम व मुठिया का वजन 400 ग्राम था। कुल 1200 ग्राम की यह तलवार साढ़े चार फीट लम्बी थी। 
  • तलवार की यात्रा लिखने वाले इतिहासकार इंद्रजीत सावंत के अनुसार शिवाजी चतुर्थ ने यह तलवार 1875-76 में  वेल्स के राजकुमार एडवर्ड सप्तम को दी थी।
  • इण्डियन एक्सप्रैस के अनुसार वह कोई भेंट नहीं थी, यह अंग्रेजों द्वारा भारतीय राजाओं से लिए गए जबरन उपहार थे, क्योंकि शिवाजी चतुर्थ उस समय मात्र 11 वर्ष के थे और ब्रिटिश अधिकारी द्वारा तलवार देने के लिए उन्हें मजबूर किया गया था। जिसके बदले में उन्हें एक अन्य तलवार दी गई जो वर्तमान में कोल्हापुर के न्यू पैलेस संग्रहालय में है।

वर्तमान में तलवार

  • सावंत के अनुसार, तलवार लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट का हिस्सा है। 
  • इतिहासकार सावंत के अनुसार  एडवर्ड सप्तम के हथियारों की सूची में शिवाजी महान के अवशेष का उल्लेख किया गय़ा है।
  • रॉयल कलैक्शन ट्रस्ट की वेबसाइट पर तलवार और म्यन की एक तस्वीर है जिसमें में उल्लेखित है कि एटवर्ड सप्तम को उनकी 1875-76 की भारत यात्रा पर भेंट है।

 तलवार को वापस लाने के प्रयास-

  • पहला प्रयास लोकमान्य तिलक ने किया जब वैलेंटाइन चिरोल की पुस्तक ‘इण्डियन अनरेस्ट’ में किए गए अपमान संदर्भों के परिवाद का मुकदमा लड़ने के लिए लंदन गए।
  • गोविंदागराज के उपनाम से लिखने वाले मराठी कवि और नाटककार राम गणेश गडकरी ने एक कविता में तलवार का जिक्र किया।
  • आजादी के बाद महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण ने इस मामले को आगे बढ़ाया।
  • मुख्यमंत्री एआर अंतुले ने भी तलवार वापस लाने के प्रयासों की घोषणा की और भारत के लिए मामला बनाने के लिए दस्तावेज एकत्र करना शुरू कर दिया। हालाँकि, उस समय तलवार को “भवानी” तलवार कहा जाता था, और अंग्रेजों ने तर्क दिया कि उस नाम की तलवार पहले से ही महाराष्ट्र के सतारा जिले में है।
  • “भवानी” तलवार का उपयोग छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा भी किया जाता था, जिनके पास कम से कम तीन तलवारें थीं। लेकिन यह तलवार लंदन की तलवार से अलग है, जिसे करवीर के छत्रपति की सूची में “जगदंबा” कहा जाता है।

प्रयासों के लाभ

  • भारतीय सांस्कृतिक वस्तुओं के भारत में रहने से भारतीय इतिहास की समृद्धि में वृद्धि होगी।
  • ऐतिहासिक धरोहरों को उनके ऐतिहासिक स्थलों में वापस करना या न करना पूर्णतः वस्तुओं के वर्तमान अधिकृत देश पर निर्भर करता है। लेकिन इन प्रयासों से देश के इतिहास को जानने समझने में मदद मिली है।
  •  ये ऐतिहासिक अवशेष संग्रहालयों को भी समृद्ध करे हैं जो देश की आय के लिए अच्छे साधन हैं।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/explained/sword-shivaji-maharashtra-govt-uk-india-8263452/

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