शून्य अभियान

शून्य अभियान

 

  • सदियों पहले भारत ने इस दुनिया को एक अनोखा तोहफा दिया था जो शून्य था। महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट की इस खोज ने संपूर्ण ज्ञान को एक नई दिशा दी-विज्ञान और तकनीकी खोजों ने हमारी दुनिया को बदल कर रख दिया।
  • इससे प्रेरणा लेते हुए अभी कुछ दिन पहले नीति आयोग और कुछ अन्य संगठनों ने संयुक्त रूप से ‘जीरो कैंपेन’ शुरू किया था और अब 25 जनवरी को इन संगठनों ने इस अभियान पर आधारित एक ब्रांड फिल्म रिलीज की है|
  • ईंधन की खपत और उपयोग के कारण देश में वायु प्रदूषण का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में पिछले कुछ सालों से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने पर ध्यान दिया जा रहा है.
  • इसे बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग ने पिछले साल एक ‘जीरो’ अभियान शुरू किया था। सीधे शब्दों में कहें तो इस अभियान का उद्देश्य वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को शून्य पर लाना है।
  • 15 सितंबर, 2021 को नीति आयोग ने रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) और आरएमआई इंडिया के सहयोग से एक ‘जीरो’ अभियान शुरू किया।
  • इस अभियान का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में डिलीवरी के मामले में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और लोगों को शून्य प्रदूषण वितरण के लाभों के बारे में जागरूक करना है।
  • यानी अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को ऐसी कंपनियों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है जो शहरों में माल ढुलाई के काम में लगी हुई हैं.
  • इनमें ई-कॉमर्स कंपनियां, फ्लीट एग्रीगेटर, मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) और माल ढुलाई में लगी कंपनियां शामिल हैं। इनमें ओला, उबर और जोमैटो जैसी कंपनियां शामिल हैं।

जीरोअभियान के तीन चरण हैं –

  • पहले चरण के तहत कॉर्पोरेट ब्रांडिंग की जाएगी; दूसरे के तहत लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के फायदों के बारे में जागरूक किया जाएगा;  और तीसरे चरण के तहत लोगों को ऑनलाइन टूलकिट उपलब्ध कराई जाएगी।
  • जिससे वे अपने लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों की गणना करने में सक्षम होंगे और साथ ही ‘जीरो’ अभियान के अब तक क्या लाभ हैं, इस तीसरे घटक के तहत जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी।

कॉर्पोरेट ब्रांडिंग चरण में-

  • इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के वाहनों पर ‘जीरो’ कैंपेन का लोगो होगा और उस ड्राइवर को भी ऐसा ही बैज मिलेगा.
  • इससे इन कंपनियों की विश्वसनीयता और ब्रांडिंग बढ़ेगी और उन्हें और अधिक इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • दूसरे घटक में-
  • लोगों को वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाएगा और साथ ही बताया जाएगा कि किस प्रकार इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाकर वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  • महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में माल ढुलाई से होने वाले कुल CO2 उत्सर्जन में केवल शहरी मालवाहक वाहन ही 10 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि 2030 तक यह उत्सर्जन बढ़कर 114 प्रतिशत हो सकता है।

दूसरे चरण में-

  • लोगों को वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाएगा और साथ ही बताया जाएगा कि किस प्रकार इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाकर वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  • महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में माल ढुलाई से होने वाले कुल CO2 उत्सर्जन में केवल शहरी मालवाहक वाहन ही 10 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि 2030 तक यह उत्सर्जन बढ़कर 114 प्रतिशत हो सकता है।

तीसरे चरण में-

  • टूलकिट का अर्थ है कि आप किसी इलेक्ट्रिक वाहन के ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर या अन्य प्रकार के वाहनों का उपयोग करके यह गणना करने में सक्षम होंगे कि क्या आप ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान विभिन्न साइटों पर उपलब्ध समान खरीद सकते हैं, उत्पाद की कीमतों की तुलना करें।

 

 

  • बढ़ता शहरीकरण ऊर्जा और परिवहन बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ा रहा है; वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है;  ईंधन के लिए अन्य देशों पर भारत जैसे देश की निर्भरता और बैटरी प्रौद्योगिकी में हालिया सुधार, ये सभी कारक इस बात का संकेत दे रहे हैं कि हमें अब इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की जरूरत है।
  • लेकिन सवाल यह है कि क्या हम सभी अभी भी इसे अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, क्योंकि अभी भी कई ऐसी चुनौतियाँ हैं जिन पर इस समय देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की तरह बहुत गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है। चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बहुत कम है और जो भी हैं वह बंद पड़े हैं।
  • इसके अलावा आज की दौड़ को देखते हुए कंपनियों को ऐसी बैटरियां बनानी पड़ती हैं जिनकी रेंज ज्यादा हो यानी उनका माइलेज ज्यादा हो। साथ ही इन इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत कम करना भी जरूरी है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इन्हें खरीद सकें।
  • भारत के पास घरेलू उत्पादन के लिए लिथियम और कोबाल्ट जैसी सामग्रियों का कोई ज्ञात भंडार नहीं है, जबकि ये चीजें बैटरी उत्पादन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
  • आज भारत लिथियम आयन बैटरी के आयात के लिए जापान और चीन जैसे देशों पर निर्भर है। यानी हमें बैटरी के क्षेत्र में और अधिक शोध करने की जरूरत है।
  • इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों की मरम्मत के लिए कुशल श्रमिकों की कमी भी एक बड़ी समस्या है। इस दिशा में, सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं जैसे राष्ट्रीय विद्युत गतिशीलता मिशन योजना, फेम योजना, परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय मिशन और वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना आदि।

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