संविधान की नौवी अनुसूची

संविधान की नौवी अनुसूची

संविधान की नौवी अनुसूची

संदर्भ- हाल ही में झारखण्ड विधानसभा ने दो विधेयकों को मंजूरी दी है जिसमें –

  • रिक्त सरकारी पदों में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस आरक्षण को बढ़ाकर 77% कर दिया। वर्तमान तक यह प्रतिशत 66 था।
  • 1932 से किसी भूमि में रहने वाले वहां के स्थायी निवासियों के कुछ अधिकार, लाभ और अधिमान्य उपचार” प्रदान करना है।
  • अधिनियम, संविधान की नौवी अनुसूची में शामिल होने के बाद प्रभावी होगा। 

संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करने की आवश्यकता 

उपर्युक्त मांग सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1992 के इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ के फैसले में निर्धारित आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक(77%) है। हालाँकि, नौवीं अनुसूची में एक कानून रखने से यह न्यायिक जांच से बच जाता है।

जैसे तमिलनाडु राज्य में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (शैक्षणिक संस्थानों में सीटों का आरक्षण और राज्य के तहत सेवाओं में नियुक्ति या पद) अधिनियम, 1993, राज्य सरकार के कॉलेजों और नौकरियों में 69 प्रतिशत सीटें आरक्षित करता है।

नौंवी अनुसूची- 

  • केंद्रीय व राज्य कानूनों की एक सूची है जिसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
  • अनुसूची के तहत अधिकांश कानून भूमि व कृषि से संबंधित हैं। वर्तमान में 9वी अनुसूची में 284 कानून सुरक्षित हैं जो न्यायिक समीक्षा से सुरक्षित हैं।
  • नौवी अनुसूची का प्रावधान अनुच्छेद 31B के तहत लाया गया और अनुच्छेद 31B को कृषि सुधार से संबंधित कानूनो की रक्षा करने व जमींदारी प्रथा में सुधार करने हेतु लाया गया था। अनुच्छेद 31B, अनुच्छेद 31 A में निहित है। 

अनुच्छेद 31

अनुच्छेद 31 में किए गए संशोधन, संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1951 के तहत अनुच्छेद 31 A, 31B और 31C को संविधान में शामिल किया गया। इसे संविधान के मौलिक अधिकार के अपवाद के रूप में भी जाना जाता है।

अनुच्छेद 31 A-इसमें सम्मिलित कानूनों को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। जो हैं-

  • किसी संपत्ति या अधिकार के राज्य द्वारा अधिग्रहण करने से संबंधित
  • किसी समपत्ति को लोकहित या उचित प्रबंधन हेतु परिसीमन समय के लिए अधिग्रहण
  • लोकहित मे दो निगमों को समामेलित करना
  • निगमों के प्रबंध निदेशकों व शेयरधारकों आदि के अधिकारों के अधिग्रहण हेतु
  • खनन पट्टे का पुनर्निर्धारण या समाप्त करना।

अनुच्छेद 31 B- यह नौवी अनुसूची के नियमों व अधिनियमों को व्यावृत्ति प्रदान करती है।

  • “अनच्छेद 31क में अंतर्विष्ट उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, नवीं अनसुची में विनिर्दिष्ट अधिनयमों और विनियमों 39 में से और उनके उपबंधों में से कोई इस आधार पर शून्य या कभी शून्य हुआ नहीं समझा जाएगा कि वह अधिनियम, विनियम या उपबंध इस भाग के किन्हीं उपबंधों द्वारा प्रदत्त अधिकारों में से किसी से असंगत है या उसे छीनता है या न्यून करता है और किसी न्यायालय या अधिकरण के किसी प्रतिकूल निर्णय, डिक्री या आदेश के होते हुए भी, उक्त अधिनियमों और विनियमों में से प्रत्येक, उसे निरसित या संशोधित करने की किसी सक्षम विधान-मडं ल की शक्ति के अधीन रहते हुए, प्रवृत्त बना रहेगा।”
  • यह नौवी अनुसूची में अधिसूचित नियमों को मौलिक अधिकारों व अनुच्छेद 31 B से उन्मुक्ति प्रदान करती है।

क्या नौंवी अनुसूची न्यायिक जाँच से पूरी तरह मुक्त है?

  • नौंवी अनुसूची, कानूनों को न्यायिक समीक्षा से मुक्ति प्रदान करती है लेकिन इसका क्षेत्र सीमित है।
  • कोएल्हो केस 2007 केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नौवी अनुसूची में वर्णित विषयों को न्यायिक समीक्षा से उन्मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती और किसी विधि को नौवी अनुसूची के अंतर्गत रखकर संविधान की प्रमुख विशेषता यानि न्यायिक समीक्षा को समाप्त नहीं किया जा सकता। 

स्रोत

https://indianexpress.com/article/explained/jharkhand-new-quota-bill-what-is-ninth-schedule-of-constitution-8265015/

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 16th November

 

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