संसद में विपक्षी सांसदों का निलंबन

संसद में विपक्षी सांसदों का निलंबन

संदर्भ क्या है ?

  • हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा के कुछ विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है जिसके कारण इस संदर्भ में विवाद उत्पन्न हो गया है।
  • संविधान के अनुच्छेद 105(2) के तहत, कोई सांसद संसद में कही गयी किसी बात के लिए भारत में किसी भी न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं है। सदन में कही गई किसी भी बात को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि सांसदों को संसद में कुछ भी करने की आजादी है।
  • सांसद जो कुछ भी कहता है वह राज्यसभा और लोकसभा की नियम पुस्तिका द्वारा शासित होता है। केवल लोकसभा के अध्यक्ष और राज्य सभा के सभापति ही इस पर कार्य कर सकते हैं।

विपक्षी सांसद ही क्यों निलंबित किये जाते हैं ?

  • लोकसभा की नियम पुस्तिका के अनुसार सदन को चलाने की जिम्मेदारी स्पीकर की होती है। आमतौर पर विपक्षी सांसद सरकार की नीति या किसी कानून का विरोध करते हैं। ऐसे में यदि कोई टिप्पणी, व्यवहार या ऐसी कोई बात विरोध में कही जाती है, जिसे स्पीकर अशोभनीय मानता है तो वह उस सांसद को निलंबित कर सकता है। इसी तरह राज्यसभा का सभापति भी सांसदों के खिलाफ नियम पुस्तिका के अनुसार कार्रवाई कर सकता है ।
  • देखा जाए तो ज्यादातर मामलों में विपक्ष ही सरकार की नीति या कानून का नकारात्मक रूप से विरोध करता है। ऐसे में उन्हीं पर कार्यवाही की संभावना रहती है।
  • संसद के सदनों में जानबूझकर शोर शराबा और अनावश्यक नकारात्मक टिप्पड़ी करने या किसी कार्य में बाधा डालने वाले सांसदों को निलंबित किया जा सकता है।

सांसदों पर कार्यवाही के नियम और प्रक्रिया 

लोकसभा में नियम और प्रक्रिया

  • सदन का संचालन नियम पुस्तिका से होता है। इस नियम पुस्तिका के नियम 373 के तहत यदि लोकसभा अध्यक्ष को लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से निष्कासित कर सकता है या उसे शेष सत्र के लिए निलंबित भी कर सकता है।
  • वहीं, इससे ज्यादा नकारात्मक व्यवहार होने पर अध्यक्ष सदस्यों से निपटने के लिए नियम 374 और 374ए के तहत कार्रवाई कर सकता है।

नियम 374

  • लोकसभा अध्यक्ष उन सांसदों के नामों की घोषणा कर सकते हैं जिन्होंने सदन की मर्यादा को तोड़ा है या नियमों का उल्लंघन किया है और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा डाली है।
  • जब अध्यक्ष ऐसे सांसदों के नामों की घोषणा करता है, तो वह सदन के पटल पर एक प्रस्ताव रखता है। प्रस्ताव में हंगामा करने वाले सांसद का नाम लेते हुए उसके निलंबन का उल्लेख किया जाता है।
  • इसमें निलंबन की अवधि का उल्लेख है। यह अवधि अधिकतम सत्र के अंत तक हो सकती है। सदन चाहे तो किसी भी समय इस प्रस्ताव को रद्द करने का अनुरोध कर सकता है।

नियम 374ए

  • 5 दिसंबर 2001 को नियम पुस्तिका में एक नियम जोड़ा गया है। इसे नियम 374 A कहा जाता है। यदि कोई सांसद जानबूझकर अध्यक्ष के आसन के पास आकर या नारे लगाकर या किसी अन्य तरीके से कार्यवाही में बाधा डालकर नियमों का उल्लंघन करता है तो इस नियम के तहत कार्रवाई की जाती है। ऐसे सांसद को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा  5 बैठकों के लिए या सत्र की शेष अवधि (जो भी कम हो) के लिए स्वतः निलंबित कर दिया जाता है।

राज्यसभा में नियम और प्रक्रिया

  • लोकसभा के अध्यक्ष की तरह, राज्यसभा की भी अपनी नियम पुस्तिका होती है। इसके नियम 255 के तहत, सभापति किसी भी सदस्य को जिसका व्यवहार सदन के लिए नकारात्मक है और वह जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहा है, उसे तुरंत सदन छोड़ने के लिए कह सकता है। दूसरे शब्दों में सांसद को उस दिन की कार्यवाही से निलम्बित किया जा सकता है।
  • वहीं नियम 256 के तहत सभापति उस सांसद के  नाम का उल्लेख कर सकता है जिसने जानबूझकर नियमों की अवहेलना की हो। ऐसे में सदन उस सांसद को निलंबित करने का प्रस्ताव ला सकता है। यह निलंबन मौजूदा सत्र तक के लिए हो सकता है। सदन दूसरे प्रस्ताव के माध्यम से सांसद के निलंबन को रद्द कर सकता है।
  • हालांकि, लोकसभा के अध्यक्ष के विपरीत, राज्यसभा के सभापति के पास  सांसद को निलंबित करने की शक्ति नहीं होती है। राज्यसभा में सांसदों पर निलंबन की कार्रवाई सदन द्वारा की जाती है।

निलंबन समाप्त करने की प्रक्रिया

  • अध्यक्ष को एक सांसद को निलंबित करने का अधिकार है, लेकिन उसके पास निलंबन को रद्द करने की शक्ति नहीं है। यह अधिकार सदन के पास है। सदन चाहे तो एक प्रस्ताव के जरिए सांसदों का निलंबन वापस ले सकता है।
  • निलंबित सांसद को सदन में अव्यवस्था फ़ैलाने के वावजूद  पर पूरा वेतन मिलता है। केंद्र में एक के बाद एक कई सरकारों की ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ की नीति दशकों से विचाराधीन है। हालांकि इसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।

yojna daily current affairs hindi med 27 July

 

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