सरोजिनी नायडू

सरोजिनी नायडू

  • एक प्रसिद्ध कवयित्री, महान स्वतंत्रता सेनानी और नारीवादी आंदोलन की मजबूत नेता के रूप में सरोजिनी नायडू का नाम भारतीय इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
  • सरोजिनी नायडू देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी नेताओं में से एक थीं और उन्होंने अपने सहयोगियों और भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में काम किया।
  • सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और माता का नाम वरदा सुंदरी था।
  • उनके पिता उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे, लेकिन उन्हें इस क्षेत्र में कोई दिलचस्पी नहीं थी। 12 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया।
  • इंग्लैंड में उन्होंने लंदन में ‘किंग्स कॉलेज’ और ‘कैम्ब्रिज के गार्टन कॉलेज’ में शिक्षा प्राप्त की। गौरतलब है कि 13 साल की उम्र में उन्होंने ‘द लेडी ऑफ द लेक’ कविता लिखी थी।
  • उनकी प्रसिद्ध कृतियों में गोल्डन थ्रेशोल्ड, द बर्ड ऑफ टाइम, द ब्रोकन विंग, नीलाम्बु, ट्रैवलर्स सॉन्ग आदि शामिल हैं। सरोजिनी नायडू के कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम और ब्रोकन विंग ने उन्हें एक प्रसिद्ध कवि बना दिया।
  • एक महान कवयित्री की तरह सरोजिनी नायडू भी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। 1902 में एक बार सरोजिनी नायडू ने कलकत्ता में एक जोशीला भाषण दिया, जिससे गोपालकृष्ण गोखले बहुत प्रभावित हुए। इस तरह गोखले ने उन्हें राजनीति में आगे बढ़ने को कहा।
  • बाद में वर्ष 1914 में, सरोजिनी नायडू गांधी से लंदन में मिलीं। गांधी से मिलने के बाद सरोजिनी नायडू की राजनीतिक सक्रियता काफी बढ़ गई और वह कांग्रेस की जोरदार प्रवक्ता बन गईं। उन्होंने कांग्रेस की कई समितियों में काम किया और पूरे देश में स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जागरूकता फैलाने का काम किया।
  • उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में अपनी ‘कैसर-ए-हिंद’ की उपाधि लौटा दी। सरोजिनी नायडू ने 1925 के कानपुर कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की। इसके अलावा, उन्होंने रॉलेट एक्ट का विरोध किया।
  • सरोजिनी नायडू 1930 के प्रसिद्ध नमक सत्याग्रह में गांधीजी के साथ गई स्वयंसेवकों में से एक थीं। गौरतलब है कि जब महात्मा गांधी को ‘गोलमेज सम्मेलन’ में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था, तो उनके साथ प्रतिनिधिमंडल में सरोजिनी नायडू भी शामिल थीं।
  • जब गांधीजी को 1932 में जेल भेजा गया तो उन्होंने आंदोलन को गति और दिशा देने की जिम्मेदारी सरोजिनी नायडू को दी। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जब गांधी समेत कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया तो इसमें सरोजिनी नायडू को भी गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा सरोजिनी ने कई मौकों पर कांग्रेस के भीतर विवादों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई।
  • भारत की स्वतंत्रता के बाद, उन्हें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया और राज्यपाल के पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
  • एक महान कवयित्री, एक महान स्वतंत्रता सेनानी के अलावा, सरोजिनी नायडू महिला मुक्ति आंदोलन की शीर्ष नेता भी थीं। वह भारत की सबसे पुरानी और महत्वपूर्ण महिला संगठन ‘अखिल भारतीय महिला परिषद’ से भी जुड़ी थीं। आज भारतीय महिलाओं को जितने भी राजनीतिक, आर्थिक और कानूनी अधिकार मिले हैं, उसमें इस संस्था का बहुत बड़ा योगदान है।
  • भारत माता की इस अमर पुत्री का 2 मार्च 1949 को निधन हो गया। भारतीय इतिहास में इस महान नायिका को आने वाली पीढ़ियां ‘भारत कोकिला’, ‘राष्ट्रीय नेता’ और ‘महिला मुक्ति आंदोलन की समर्थक’ के रूप में हमेशा याद रखेंगी।

yojna ias daily current affairs 15 feb 2022 hindi

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