साबरमती आश्रम

साबरमती आश्रम

 

  • गुजरात सरकार द्वारा 1,200 करोड़ रुपये लागत से अहमदाबाद में साबरमती आश्रम को पुनर्विकसित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
  • महात्मा गांधी के पड़पोते ‘तुषार गांधी’ ने इस योजना के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया है।

 परियोजना से संबद्ध विवाद:

  • पुनर्विकास योजना के तहत ‘साबरमती आश्रम’ के क्षेत्र में पांच से 55 एकड़ तक विस्तार किया जाना, और इस विस्तारित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अन्यत्र स्थानों में बसाया जाना प्रस्तावित है।
  • तुषार गांधी का कहना है, कि यह योजना महात्मा गांधी की वैयक्तिक इच्छाओं के बिल्कुल विपरीत है।
  • इस परियोजना से स्वतंत्रता आंदोलन के मंदिर और स्मारक की महत्ता कम होगी और आश्रम को एक व्यावसायिक पर्यटक आकर्षण स्थल में बदल दिया जाएगा।

सरकार द्वारा अपने निर्णय के पक्ष में दिए जाने वाले तर्क:

  • गुजरात सरकार का कहना है, आश्रम परिसर में स्थित किसी भी इमारत में कोई बदलाव या परिवर्तन नहीं किया जाएगा। सभी धरोहर भवनों को गांधीवादी लोकाचार के अनुसार पुनःस्थापित / बहाल किया जाएगा।
  • सरकार का यह भी कहना है, कि आश्रम के पुनर्विकास प्रस्ताव का उद्देश्य ‘अधिग्रहण’ करना नहीं है, इसके क्षेत्र में विस्तार और न्यूनतम बुनियादी ढांचे का निर्माण करके इसका पुनर्विकास करना है।

साबरमती आश्रम’ के बारे में:

  • ‘साबरमती आश्रम’ की स्थापना महात्मा गांधी द्वारा की गयी थी और वर्ष 1917 से 1930 तक यही उनका निवास स्थान रहा था।
  • इसी जगह से गांधी ने 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा का नेतृत्व किया था, जिसे ‘नमक सत्याग्रह’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • शुरुआत में इसे ‘सत्याग्रह आश्रम’ कहा जाता था, जोकि महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए ‘सत्याग्रह’ / ‘निष्क्रिय प्रतिरोध’ आंदोलन को दर्शाता है। यह आश्रम, भारत को स्वतंत्र कराने वाली विचारधारा का घर बन गया था।

 स्वतंत्रता संग्राम’ में इसकी भूमिका:

  • जीवन जीने की पद्धति, खेतीपशुपालनगौ पालनखादी और संबंधित रचनात्मक गतिविधियों की प्रयोग-भूमि: गांधी के लिए स्वतंत्रता का मतलब, केवल ब्रिटिश शासन से आजादी नहीं था, बल्कि सामाजिक बुराइयों से मुक्ति और सत्याग्रही जीवन-शैली जीने की स्वतंत्रता था। साबरमती में उन्होंने इस जीवन-शैली को विकसित किया था।
  • श्रम में गरिमा का विचार: आम जनता का उत्थान, स्वतंत्रता आंदोलन में अंतर्भूत था। ‘स्वच्छता अभियान’, एक नए भारत के गांधीवादी विचार का एक हिस्सा बन गया और गांधी जी एवं कस्तूरबा जी दोनों साबरमती आश्रम में स्वयं सफाई करते थे।
  • विद्यालय: आश्रम में रहते हुए, गांधी ने आत्मनिर्भरता संबंधी अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए शारीरिक श्रम, कृषि और साक्षरता पर ध्यान केंद्रित एक विद्यालय की स्थापना की। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, ब्रिटिश स्कूलों के विकल्प के रूप में कई भारतीय स्कूल खोले गए।
  • दांडी मार्च: 12 मार्च 1930 को, साबरमती आश्रम से गांधी जी ने ब्रिटिश नमक कानून के विरोध में प्रसिद्ध दांडी मार्च (78 साथियों के साथ) शुरू किया।
  • नेताओं का घर: विनोबा भावे और मीराबेन जैसे स्वतंत्रता सेनानी यहां रहते थे।

वर्तमान में आश्रम की प्रासंगिकता:

  • साबरमती आश्रम, हमें आशावान और आशावादी होने की याद दिलाता है। यह बताता है कि, हमें अत्यधिक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी महात्मा की परिकल्पना को विफल नहीं होने देना है।
  • यह आश्रम गांधी की सच्ची स्मृति, उनके शुद्ध सत्य और उनके जीवन के तरीके के रूप में, उनकी अत्यंत विनम्रता का प्रतीक है।
  • यह आश्रम, आज भी एक ऐसे व्यक्ति के सत्य और नम्रता के आदर्शों का प्रतीक है जो कभी वहां रहा और राष्ट्र के लिए जिया और राष्ट्र के लिए मर गया। वह व्यक्ति जो चाहता था, कि भारत जैसे महान राष्ट्र द्वारा इन उच्च आदर्शों को हमेशा ऊंचा रखा जाए।
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