सिनेमैटोग्राफी बिल

सिनेमैटोग्राफी बिल

सिनेमैटोग्राफी बिल

संदर्भ- हाल ही में केंद्रीय मंत्रालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फिल्मों में पायरेसी को रोकने के लिए सिनेमैटोग्राफी विधेयक को मंजूरी दे दी है। 

बिल की आवश्यकता- 

  • पायरेसी के खतरे से निपटने के लिए – अकामाई व MUSO रिपोर्ट के अनुसार पायरेसी सामग्री, वैश्विक मांग के तीसरे स्थान पर रही और भारत 2021 में पायरेटेड सामग्री की खपत के लिए विश्व में तीसरा स्थान रखता है। 
  • पायरेसी के कारण प्रति वर्ष भारत के फिल्म उद्योग को 1000 करोड़ की हानि हो रही है। 

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी और सिनेमैटोग्राफी हेतु उपबंध- भारत में फिल्म उद्योग को 70 से भी अधिक का समय हो गया है। फिल्मों का समाज पर गहरा असर पड़ता है इसलिए फिल्मों के विषय व प्रसारण को समाज में नैतिकता बनाए रखने के लिए प्रमाणित किया जाता है। समाज में लैंगिकता, साम्प्रदायिकता, राजनीतिक विवाद, हिंसा , अश्लीलता के आधार पर या किसी भी व्यक्ति का अनुचित चित्रण पर रोक लगाने के लिए कानूनी प्रावधानों की आवश्यकता होती है। वर्तमान में सिनेमैटोग्राफी से संबंधित मामलों के लिए केवल एक कानून है- 

सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952-

  • अधिनियम के तहत 12 वर्ष या अधिक उम्र के बच्चों पर फिल्मों के दुष्प्रभाव को कम करने का प्रयास किया गया है। 
  • फिल्म को प्रसारित करने से पूर्व इसे तीन चरणों से होकर गुजरना होता है- जाँच समिति,पुनरीक्षण समिति और FCAT। इस प्रक्रिया में पास न होने पर फिल्म पर रोक लगायी जा सकती है। 
  • किसी भी अनुचित सामग्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा उचित जाँच की जाती है। उसके आधार पर ही फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुमति प्रदान की जाती है। वयस्क आधारित फिल्मों (18 वर्ष से अधिक) के लिए A सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है। यह प्रमाण पत्र भारत के राजपत्र में सूचित किया जाता है। 
  • एक्ट के तहत निर्धारित की गई अधिसूचना के उल्लंघन पर दण्ड प्रक्रिया संहिता 1972 के तहत दण्ड का प्रावधान भी किया है। 

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021

ऑनलाइन समाचार, ओटीटी व डिजीटल प्लेटफॉर्म, विश्व भर में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है जिसमें अपने डेटा व फिल्म अंश को सुरक्षित कर पाना जटिल हो गया है। इसके तहत निम्नलिखित कानूनी प्रावधान किए गए हैं। 

  • प्राधिकरण की अनुमति के बिना किसी फिल्म या वीडियो के किसी अंश की प्रतिरूप बनाने की अनुमति नहीं है। 
  • ऑनलाइन समाचार, ओटीटी व डिजीटल प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध के लिए निर्देश जारी किए हैं। 
  • डिजीटल माध्यम द्वारा समाचार प्रकाशित कर रहे प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद के प्रावधानों का पालन करना होगा। 
  • एक शिकायत निवारण तंत्र की व्यवस्था की गई है। 

सिनेमैटोग्राफी संशोधन बिल

  • सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 में पायरेसी या डेटा चोरी या कॉपीराइट से संबंधित कोई भी प्रावधान नहीं दिया गया था। यह केवल फिल्मों के नियमन से संबंधित है। 
  • विधेयक में UA प्रमाणन को आयु के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है- UA7+, UA13+, UA16+
  • अवैध सामग्री रिकॉर्ड करने से संबंधित वेबसाइट पर रोक।
  • किसी भी व्यक्ति को लेखक के लिखित प्राधिकरण के बिना किसी फिल्म या उसके हिस्से की प्रतिलिपि बनाने या प्रसारित करने या प्रसारित करने के लिए किसी भी ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग डिवाइस का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 
  • सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा 5बी(1) के उल्लंघन की शिकायतों पर सरकार को एक प्रमाणित फिल्म की “पुनः जांच” का आदेश देने का अधिकार दिया गया है।
  • डिजीटल माध्यमों के लिए सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा 5बी(1), संविधान के अनुच्छेद 19 (B) को समर्थन करती है। जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हितों में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाती है। 

बिल हेतु समितियाँ

मुद्गल समिति- 

  • पूर्व न्यायाधीश मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में मुद्गल समिति का गठन 4 फरवरी 2013 को किया गया था।
  • समिति के अंतर्गत लैंगिकता, साम्प्रदायिकता, राजनीतिक विवाद, हिंसा, अश्लीलता के आधार पर किसी भी व्यक्ति का अनुचित चित्रण करने से संबंधित मामलों पर प्रतिबंध की सिफारिश की गई थी। 

श्याम बेनेगल समिति-

 सीबीएफसी केवल एक फिल्म प्रमाणन निकाय होना चाहिए जिसका दायरा प्रमाणीकरण से इनकार करने के निम्नलिखित मामलों को छोड़कर आयु और परिपक्वता के आधार पर दर्शकों के समूहों के लिए फिल्म की उपयुक्तता को वर्गीकृत करने तक सीमित होना चाहिए –

  • जब किसी फिल्म में कुछ भी हो जो सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा 5बी (1) के प्रावधानों का उल्लंघन करता हो।
  • जब किसी फिल्म की सामग्री प्रमाणन की उच्चतम श्रेणी में निर्धारित सीमा को पार कर जाती है।

स्रोत

Indian Express

https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=142288

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