सीडीएसएल व साइबर अपराध

सीडीएसएल व साइबर अपराध

सीडीएसएल व साइबर अपराध

संदर्भ- हाल ही में संदिग्ध साइबर हमले के कारण सीडीएसएल की कुछ सेवाएं बाधित हुई, जिन्हें कुछ समय बाद ठीक कर लिया गया।

सेंट्रल डिपॉजिटरीज सर्विसेज इंडिया लिमिटेड

  • सीडीएसएल सरकार द्वारा पंजीकृत शेयर डिपॉजिटरी है, इसके साथ ही यह अन्य राज्य के स्वामित्व वाली समकक्ष नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के साथ है।
  • सीडीएसएल की स्थापना 1999 में की गई थी यह बाजार आधारित संरचनात्मक इंस्टीट्यूट(market Infrastructure Institute) है। 
  • इसके मूलभूत लक्ष्य सुविधाजनक, भरोसेमंद और सुरक्षित डिपॉजिटरी सेवाएं देना है।

शेयर डिपॉजिटरी एक इलेक्ट्रॉनिक या कागज रहित फॉर्म में शेयर रखते हैं और प्रतिभूतियों के सुरक्षित लेनदेन के लिए सहायक हैं, जो बैंकों द्वारा नकद और सावधि जमा को संभालने में कुछ हद तक समान भूमिका निभाते हैं। जबकि बैंक ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में अपनी नकदी रखने में मदद करते हैं, शेयर डिपॉजिटरी उपभोक्ताओं को शेयरों को डीमैटरियलाइज्ड रूप में स्टोर करने में मदद करते हैं।

साइबर हमला- 

  • इण्टरनेट के माध्यम से किए जाने वाले हमलों को साइबर हमला कहा जाता है। 
  • कम्प्यूटर सिस्टम की कमी को समझकर उससे लाभ लेने की प्रक्रिया इसी का हिस्सा है इसे हैकिंग भी कहा जाता है।इसके लिए कम्प्यूटर वायरस का प्रयोग किया जाता है।
  • इससे हैकर, किसी व्यक्ति की इजाजत के बिना उसके कम्प्यूटर के महत्वपूर्ण डेटा को प्राप्त कर सकता है। और उश डेटा की सहायता से बड़े अपराधों को अंजाम दे सकता है। 

साइबर अपराध- सामान्य तौर पर साइबर अपराध को “कोई भी गैरकानूनी कार्य जहां कंप्यूटर या संचार उपकरण या कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग अपराध करने या अपराध करने की सुविधा के लिए किया जाता है” के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। साइबर अपराध जैसे- साइबर फिशिंग, बुलिंग, स्टॉकिंग, जॉब फ्रॉड, रैनसमवेयर सिम स्वैप, डेबिट/ क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, वेबसाइट विरूपण आदि।

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति- 

  • साइबर अपराधों के मामलों को देखते हुए 2013 में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति प्रारंभ की गई।  
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति के तहत सरकार ने अत्यंत संवेदनशील मामलों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र की स्थापना की गई है।
  • कम्प्यूटर की सुरक्षा के लिए कम्प्यूटर एमरजोंसी विन्यास टीम का गठन किया गया है जो राष्ट्रीय स्तर पर मॉडल एजेंसी है।
  • वर्तमान में साइबर सुरक्षा नीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय इसकी नोडल एजेंसी है।
  • इसके साथ ही साइबर अपराधों से निपटने के लिए भारत सरकार ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना की है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 में साइबर अपराधों के निपटान के लिए अनुच्छेद 43, 43A, 66, 66B, 66C, 66D,66F,67A, 67B,70, 72,72A,74 आदि  उपबंध तैयार किए गए हैं।

साइबर अपराधों पर दण्ड

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के 66B में दण्ड का प्रावधान किया गया है, इसमें भारत की एकता अखण्डता व शांति को भंग करने के लिए किसी अधिकृत व्यक्ति को कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने से रोकता है।  बिना अधिकार के किसी कम्प्यूटर के इस्तेमाल की कोशिश करता है। इस प्रकार की गतिविधि जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है में अपराधी को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
  • आइपीसी की धारा 292 के तहत डिजीटल माध्यम से अश्लील सामग्री की बिक्री करने पर 2 साल तक की सजा व 2000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। दोबारा वही अपराध करने पर 5 साल की सजा व 5000 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया गया है।
  • आईपीसी धारा 379 के तहत मोबाइल फोन से डेटा चोरी होने पर तीन साल तक की सजा व जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
  • आईपीसी की धारा 419 व 420 के तहत धोखाधड़ी के अपराधों को अंजाम देने के लिए पासवर्ड चोरी या फिशिंग व फर्जी वैबसाइटों का निर्माण शामिल है। धारा 419 के तहत 3 साल की जेल व जुर्माना व 420 के तहत 7 साल की कैद व जुर्माना हो कता है।
  • आईपीसी की धारा 465 के तहत फर्जी दस्तावेज बनाने के संबंध में 2 साल की कैद हो सकती है।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/explained/everyday-explainers/what-is-cdsl-indias-registered-share-depository-8281310/

https://cybercrime.gov.in/Webform/CrimeCatDes.aspx

 

  

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