सेंगोल

सेंगोल

संदर्भ-

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन उद्घाटन के मौके पर तमिलनाडु के ऐतिहासिक राजदंड व पवित्र सेंगोल की स्थापना की जायेगी।

प्रमुख बिन्दु-

  • प्रधानमंत्री द्वारातमिलनाडु के अधीनम (मठ) से सेंगोल स्वीकार करने के बाद इसे  लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा।
  • यह न्याय, धार्मिकता और सुशासन के प्रति भारतीय संसद की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। यह भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की भी याद दिलाता है।
  • यह वही सेंगोल है, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई आधीनम (मठ) से विशेष रूप से पधारे आधीनमों (पुरोहितों) से ग्रहण किया था।
  • इसेअंग्रेज़ों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर लार्ड माउंटबेटन ने  जवाहर लाल नेहरू को सौपा था।
  • स्वतंत्रता के बाद इसेप्रयागराज स्थित आनंद भवन संग्रहालय में रखा गया था।

“सेंगोल” राजदंड क्या है?

  • सेन्गोल एक पांच फीट लंबा जटिल नक्काशीदार, सोने की परत चढ़ा हुआ चांदी का राजदंड है।
  • राजदंड में शीर्ष पर एक बैल की नक्काशी है, जिसे नंदी कहा जाता है। जो न्याय का प्रतीक है।
  • सेन्गोल, तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है, इसका अर्थ है “नीतिपरायणता”। इसका निर्माण स्वर्ण या चांदी से किया जाता था तथा इसे कीमती पत्थरों से सजाया जाता था।
  • तमिल संस्कृति में सेन्गोल का महत्वपूर्ण स्थान है, एक नए राजा के रूप में जब किसी का राज्याभिषेक किया जाता है, तो उन्हें राज्याभिषेक समारोह के दौरान सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में “सेन्गोल” भेंट किया जाता था।
  • यह प्रथा संगम युग के बाद से अस्तित्व में है और इसका उल्लेख पुराणनूरु, कुरुन्थोगई, पेरुम्पानात्रुपदाई और कलिथोगई जैसे ग्रंथों में मिलता है।

चोल साम्राज्य

  • चोलों ने 9वीं से 13वीं शताब्दी तक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा तथा श्रीलंका के कुछ हिस्सों पर शासन किया।
  • यह दक्षिण भारत में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले और सबसे प्रभावशाली राजवंशों में से एक चोल राजवंश से जुड़ा है।
  • चोल राजवंश को इनके सैन्य कौशल, समुद्री व्यापार, प्रशासनिक दक्षता, सांस्कृतिक संरक्षण और मंदिर वास्तुकला के लिये जाना जाता है।
  • सेंगोल, शाही शक्ति का प्रतीकहै, इसका प्रयोग चोल शासन के दौरान एक शासक से दूसरे शासक को सत्ता हस्तांतरण के समय किया जाता था।
  • सेंगोल को ग्रहण करने वाले व्यक्ति कोन्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का ‘आदेश’ तमिल में‘आणई’ प्राप्त होता है।

अर्थ

  • संसद भवन के उद्घाटन में ‘सेंगोल’ को शामिल करने का उद्देश्य इस प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करना और भारत की स्वतंत्रता का जश्न मनाना है क्योंकि राष्ट्र अपनी लोकतांत्रिक यात्रा में एक नए अध्याय में प्रवेश कर रहा है।

स्त्रोत-इंडियन एक्स्प्रेस

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