सेमीकंडक्टर उद्योग

सेमीकंडक्टर उद्योग

सेमीकंडक्टर उद्योग

संदर्भभारतीय केंद्र सरकार ने अब तक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं के लिए प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) में लगभग ₹1,645 करोड़ का वितरण किया है, जो कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला को और अधिक लाने के अपने प्रयासों के तहत है। प्रत्येक इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस में सेमीकंडक्टर चिप्स की अनिवार्यता भारत में सेमीकंडक्टर उद्योगों की वर्तमान आवश्यकता को भी निर्देशित करती है।

अर्धचालक/सेमीकंडक्टर – 

  •  उन पदार्थों को कहा जाता है जिनकी विद्युत चालकता, चालकों व अचालकों की विद्युत चालकता के मध्य होती है। 
  • अर्धचालक पदार्थों जैसे- सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलेनियम आर्सेनाइड आदि से चिप का निर्माण किया जाता है। सिलिकॉन व जर्मेनियम इसके लिए सबसे सुग्राह्य अर्धचालक माने जाते हैं।
  • इसकी विद्युत उपयोग व न्यूनतम लागत, अधिक विश्वसनीयता व दीर्घ जीवनकाल के कारण अर्धचालक पदार्थों को इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस में प्रयोग करने के लिए आदर्श बनाता है। 
  • अर्धचालकों को आवश्यकतानुसार डोपिंग के माध्यम से परिवर्तित किया जा सकता है।
  • सिलिकॉन का प्रयोग अधिकतर इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस व चिप्स के निर्माण में तथा गैलियम व आर्सेनाइड का प्रयोग लेजर डायोड व सौर सेल में प्रयुक्त किया जाता है। 
  • वर्तमान में सेमीकंडक्टर, स्मार्टफोन से लेकर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) में कनेक्टेड डिवाइस तक लगभग हर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में बिल्डिंग ब्लॉक के समान कार्य कर रहे हैं। 
  • वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग वर्तमान में $500-$600 बिलियन का है और वर्तमान में लगभग $3 ट्रिलियन मूल्य के वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को पूरा करता है।

सेमीकंडक्टर उद्योग

  • सेमीकंडक्टर चिप के लिए मुख्य घटक सिलिकॉन को माना जाता है, जो असंख्य ट्रांजिस्टरों में प्रयोग किया जाता है। 
  • आज उपलब्ध सबसे उन्नत अर्धचालक प्रौद्योगिकी नोड 3 नैनोमीटर (एनएम) और 5 एनएम वाले हैं। उच्च नैनोमीटर मान वाले अर्धचालक ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में लागू होते हैं, जबकि कम मान वाले सेमीकंडक्टर स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं।

सेमीकंडक्टर चिप आपूर्ति श्रृंखला –  चिप बनाने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल व सटीक होती है। इसके लिए कुछ प्रमुख चरण हो सकते हैं-

  • चिप डिजाइनिंग
  • चिप के लिए सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग
  • कोर बौद्धिक संपदा(IP) के माध्यम से पेटेंट तैयार करना।
  • चिप निर्माण मशीनरी का निर्माण अथवा व्यवस्था करना।
  • चिप निर्माण हेतु कारखाने की आवश्यकता।
  • ATMT अर्थात चिप की असैंबलिंग, टैस्टिंग, मार्किंग व पैकेजिंग करना इसक प्रमुख चरण हैं।

वैश्विक चिप उद्योग 

  • वैश्विक स्तर पर चिप निर्माण उद्योग में ताइवान, अमेरिका व दक्षिणी कोरिया अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुमान के अनुसार, ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) द्वारा ताइवान में 5nm (नैनोमीटर) चिप्स का 90% बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। 
  • सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार 2022 में चीन सबसे अधिक उत्पादन करने वाला देश बन गया है।
  • वर्तमान वैश्विक अर्धचालक उद्योग का मूल्य 500-600 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग

सरकार की इन्वेस्ट इंडिया एजेंसी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 तक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण कुल मिलाकर $300 बिलियन का हो जाएगा। इनके लिए भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयों या फैब को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके अंतर्गत सिलिकॉन तत्वों को सेमीकंडक्टर सर्किट में परिवर्तित किया जाता है। जिनका प्रयोग इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस में किया जाता है। SIA की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार भारत को इलैक्ट्रॉनिक उद्योगों में अपनी भूमिका प्रबल करनी चाहिए।

भारत में सतत विकास व राजकोषीय व्यवहार्यता के लिए सेमीकंडक्टर आधारित उद्योग को स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है। 

सेमीकंडक्टर और इलैक्ट्रॉनिक उद्योगों के लिए अत्यधिक बौद्धिक संपदा(उत्कृष्ट इंजीनियर्स) की आवश्यकता है और विश्व के सर्वश्रेष्ठ बौद्धिक कार्यों में भारतीय नागरिक शामिल हैं। भारत में इस प्रकार के उद्योगों को बढ़ावा देने से भारतीय बौद्धिक क्षमताओं का भारत में ही प्रयोग किया जा सकेगा। इसके साथ ही बौद्धिक पलायन को रोकने में भी यह एक कदम साबित हो सकता है। 

भारत द्वारा सेमीकंडक्टर उद्योगों के लिए की गई पहल

  • सेमीकॉन इण्डिया कार्यक्रम- भारत सरकार ने 15 सितंबर 2021 को भारत के सतत विकास के लिए सेमीकॉन इण्डिया कार्यक्रम की शुरुआत की। जिसका उद्देश्य सिलिकॉन सेमीकंडक्टर फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स और सेमीकंडक्टर डिजाइन में लगी कंपनियों/कंसोर्टिया को आकर्षक प्रोत्साहन सहायता प्रदान करना है।
  • भारत सेमीकंडक्टर मिशन – इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन के भीतर एक विशेष और स्वतंत्र व्यवसाय प्रभाग है, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में भारत के उद्भव को सक्षम करने के लिए एक जीवंत सेमीकंडक्टर और प्रदर्शन पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
  • इसी प्रकार भारत सेमीकंडक्टर से जुड़ी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता का प्रावधान करती है।

सेमीकंडक्टर उद्योंगों की चुनौतियाँ-

  • निर्माण में उच्च स्तर की सटीकता की आवश्यकता। पूर्व में संचालित फैब को वर्तमान टैक्नोलॉजी के आधार पर उच्च स्तर की गुणवत्ता प्रदान करने की आवश्यता है।
  • बिजली पानी व इंसुलेशन की अत्यधिक विश्वसनीय व गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति।
  • लागत हेतु पूँजी। 

स्रोत

Yojna IAS daily current affairs hindi med 24th March 2023

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