स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण द्वितीय चरण : ग्रामीण भारत में स्वच्छता चमत्कार का एक समीक्षात्मक दृष्टिकोण

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण द्वितीय चरण : ग्रामीण भारत में स्वच्छता चमत्कार का एक समीक्षात्मक दृष्टिकोण

स्त्रोत्र – द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन –  ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रबंधन, स्वच्छ भारत मिशन, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), राज्य की जन कल्याणकारी योजनाएं, सामाजिक न्याय।

ख़बरों में क्यों ? 

  • दुनिया की सबसे बड़ी स्वच्छता पहल स्वच्छ भारत मिशन को भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन की श्रद्धांजलि के रूप में, 2 अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच मुक्त भारत को प्राप्त करने के लिए 2014 में भारत के प्रधान मंत्री द्वारा शुरू की गई थी। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 10 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण हुआ। जिससे भारत में वर्ष 2014 में जो 39 % थी वह वर्ष 2019 में लगभग 100% हो गया। क्योंकि तब तक भारत के लगभग 6 लाख गांवों ने खुद को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया।
  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत किए गए स्वच्छता सर्वेक्षणों के अध्ययनों से यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) अभियान ने भारतीय समाज में आर्थिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है और इस अभियान ने विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण और महिलाओं के ईज्जत रूपी स्वाभिमान में योगदान दिया है। इससे एसडीजी 6.2 (स्वच्छता और स्वच्छता) की उपलब्धि भी निर्धारित समय सीमा से 11 साल पहले ही पूरी हो गई । 
  • भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण को 2024-25 तक के लिए मंजूरी दे दी है। इसमें खुले में शौच से मुक्ति के बाद सार्वजनिक शौचालयों में बेहतर सुविधाओं (ओडीएफ प्लस) पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा जिसमें खुले में शौच मुक्त अभियान को जारी रखना और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) भी शामिल होगा। इस कार्यक्रम में यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य किया जायेगा कि एक व्यक्ति भी न छूटे और हर व्यक्ति शौचालय का इस्तेमाल करे।
  • भारत में स्वच्छता की कमी को एक प्रमुख समस्या के रूप में माना गया है। भारत की आजादी के 67 साल बाद भी, 2014 में, भारत में लगभग 10 करोड़ ग्रामीण और लगभग एक करोड़ शहरी परिवारों के पास स्वच्छ शौचालय नहीं थे और 55 करोड़ लोग अर्थात देश की लगभग आधी आबादी  उस समय तक खुले में शौच जाते थे।
  • पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने सभी राज्यों को यह सलाह दी है कि वे इस बात की पुनः पुष्टि कर लें कि ऐसा कोई ग्रामीण घर न हो, जो शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहा हो और यह सुनिश्चित करने के दौरान अगर ऐसे किसी घर की पहचान होती है तो उसको व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के निर्माण के लिए जरूरी सहायता प्रदान की जाये ताकि इस कार्यक्रम के अंतर्गत कोई भी पीछे न छूटे।
  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (फेज 2) का मुख्य उद्देश्य सभी 6 लाख ग्रामीण गांवों की ओडीएफ स्थिति को बनाए रखना और 2024-25 तक ओडीएफ प्लस के रूप में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था करके स्वच्छता के स्तर में सुधार करना है।
  • पिछले दशक में, स्वच्छता कवरेज में सुधार करना भारत में प्रमुख सार्वजनिक नीति चमत्कारों में से एक रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा परिकल्पित 17 सतत विकास लक्ष्यों में पानी और स्वच्छता तक पहुंच का लक्ष्य 6 है।
  • सार्वजनिक स्वच्छता कार्यक्रमों का देश में एक लंबा इतिहास रहा है, जिसकी शुरुआत 1986 में अत्यधिक सब्सिडी वाले केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (सीआरएसपी) के शुभारंभ के साथ हुई थी। 
  • 1999 में संपूर्ण स्वच्छता अभियान ने उच्च सब्सिडी वाली व्यवस्था से कम सब्सिडी वाली व्यवस्था में बदलाव को चिह्नित किया। 
  • सार्वजनिक स्वच्छता कार्यक्रम 2014 में स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) के तहत एक मिशन के रूप में विकसित हुआ, ताकि अक्टूबर 2019 तक भारत को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाया जा सके।एसबीएम के तहत उपलब्धियों से उत्साहित होकर, सरकार ने एसबीएम-जी के दूसरे चरण की शुरुआत की। यहां ध्यान ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देकर और पहले छूट गए घरों को कवर करके प्रारंभिक उपलब्धियों की स्थिरता पर था। सरकार का लक्ष्य 2024-25 तक भारत को ओडीएफ से ओडीएफ प्लस में बदलना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 85% गाँव ओडीएफ प्लस बन गए हैं। फिर भी, इस प्रभावशाली प्रदर्शन को व्यवहारिक परिवर्तन के नजरिए से भी देखने की जरूरत है, जो सही मायने में स्थिरता लाएगा।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अभियान के मुख्य प्रावधान : 

  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) चरण- दो को वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक की अवधि के लिए 1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से मिशन मोड में कार्यान्वित किया जाएगा। यह वित्त पोषण के विभिन्न आयामों के बीच तालमेल का एक अच्छा मॉडल होगा क्योंकि इसमें से 52,497 करोड़ रुपये पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के बजट में से आवंटित किए जाएंगे जबकि शेष धनराशि को विशेष कर ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 15वें वित्त आयोग, मनरेगा और राजस्व सृजन मॉडलों के तहत जारी की जा रही धनराशियों से वित्त पोषित किया जाएगा।
  • ओडीएफ प्लस गांवों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छूटे हुए और नए उभरते परिवारों को आईएचएचएल तक पहुंच प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस अभियान के तहत  खाद बनाने और बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के माध्यम से बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट प्रबंधन; प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए संग्रहण, पृथक्करण और भंडारण सुविधाएं; ग्रेवाटर प्रबंधन के लिए सोख्ता गड्ढों, अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब आदि का निर्माण; और इस कार्यक्रम के तहत शहरी क्षेत्रों में मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्रों/मल कीचड़ उपचार संयंत्रों (एसटीपी/एफएसटीपी) में सह-उपचार के माध्यम से मल कीचड़ प्रबंधन और एफएसटीपी की स्थापना करना भी शामिल है। 
  • ओडीएफ प्लस गांवों के तीन प्रगतिशील चरण होते हैं। जिसमें एक गांव जो अपनी ओडीएफ स्थिति को बरकरार रखता है और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था करता है, उसे ओडीएफ प्लस आकांक्षी गांव माना जाता है। वहीं एक ऐसा गांव जो अपनी ओडीएफ स्थिति को बनाए रखता है और जिसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था है, उसे एक उभरताओडीएफ प्लस गांव माना जाता है। दूसरी ओर, एक ओडीएफ प्लस मॉडल गांव वह है जो अपनी ओडीएफ स्थिति को बरकरार रखता है और इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा मानदंडों के अनुसार नये पात्र घरों को 12,000 रुपये की राशि प्रदान करने का प्रावधान जारी रहेगा। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) के लिए वित्त पोषण मानदंडों को युक्तिसंगत बनाया गया है और घरों की संख्या को प्रति व्यक्ति आय से बदल दिया गया है। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों (जीपी) को ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर के निर्माण (सीएमएससी) के लिए वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 2 लाख से 3 लाख रुपये कर दिया गया है।

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) के तहत फंड शेयरिंग का ढांचा : 

  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) कार्यक्रम को परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा, जो शीघ्र ही राज्यों को जारी किए जाएंगे। केन्द्र और राज्यों के बीच सभी घटकों के लिए फंड शेयरिंग का ढांचा पूर्वोत्तर राज्यों एवं हिमालयी राज्यों और जम्मू एवं कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश के बीच 90:10, अन्य राज्यों के बीच 60:40 और अन्य केन्द्र शासित प्रदेश के बीच 100:00 है ।

ओडीएफ प्लस की निगरानी का संकेतक आधार : 

ओडीएफ प्लस के एसएलडब्ल्यूएम घटक की निगरानी निम्नलिखित चार प्रमुख क्षेत्रों के आउटपुट-आउटकम संकेतकों के आधार पर की जाती है  – 

  1. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन।
  2. जैव अपघटित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid and Liquid Waste Management- SLWM) (जिसमें पशु अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है)।
  3. धूसर जल प्रबंधन और 
  4. मलयुक्त कीचड़ प्रबंधन।
  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) का दूसरा चरण रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के क्षेत्र को घरेलू शौचालय एवं सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से प्रोत्साहन देना जारी रखेगा, साथ ही एसएलडब्ल्यूएम के लिए बुनियादी ढांचे जैसे कि खाद के गड्ढे, सोखने वाले गड्ढे, अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब, शोधन संयंत्र आदि को प्रोत्साहन देना जारी रखेगा।
  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) चरण दो के लिए मंत्रिमंडल के अनुमोदन से ग्रामीण भारत को ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती का प्रभावी रूप से सामना करने और इससे देश में ग्रामीणों के स्वास्थ्य में पर्याप्त सुधार करने में मदद मिलेगी।

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी)  के तहत शौचालय निर्माण के लिए आवश्यक अहर्ताएं : 

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) के तहत शौचालय निर्माण के लिए निम्नलिखित अहर्ताएं आवश्यक है  –

  1. शौचालय का निर्माण एक बार में ही पूरा करना होगा, जिसमें डबल पिट शौचालय, पानी की टंकी,  हाथ धोने के लिए एक वाश बेशिन  तथा डबल पिट शौचालय,अवश्य हो।
  2. पिट यानि गड्ढ़े में ईटों से चिनाई या सीमेंट का गोल खंड डाला जरूर होना चाहिए।
  3. डबल पिट के शौचालय में प्रत्येक गड्ढ़े का साइज 4 फुट गहरा, 4 फुट लम्बा तथा 4 फुट चौड़ा  होना चाहिये तथा एक गड्ढ़े से दूसरे गड्ढ़े की दूरी कम से कम 3 फीट होनी चाहिए।
  4. इन दोनों पिट शौचालय के नजदीक होने चाहिए जो कि एक सेंक्शन बॉक्स से जुड़े होने चाहिए। जिनकी आपस में दूरी कम से कम एक मीटर होनी चाहिए तथा ये पिट किसी नल या पानी के स्त्रोत से कम से कम 15 मीटर यानि 40-45 फीट की दूरी पर अवश्य होना चाहिए।
  5. शौचालय के लाभार्थी का बैंक में खाता अवश्य खुला होना चाहिए ताकि शौचालय निर्माण के लिए आबंटित राशि डी बी टी के माध्यम से सीधे उसके बैंक खाते में भेजी जा सके। 
  6. एक राशन कार्ड पर केवल एक ही शौचालय का निर्माण होगा।

शौचालय निर्माण में आर्थिक सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया  : 

  1. आवेदक को शौचालय बनवाने से पहले गांव के सरपंच या ग्राम सचिव को जानकारी देना अनिवार्य हैं। शौचालय निर्माण के उपरान्त आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदक सर्वप्रथम गाँव के सरपंच या अतिरिक्त उपायुक्त (ए.डी.सी.) कार्यालय से फॉर्म प्राप्त कर सकता है ।
  2. आवेदक फॉर्म में मांगी गई सम्पूर्ण जानकारी को भरकर सरपंच के द्वारा प्रमाणित करवाने के उपरांत या तो सरपंच के पास या सीधे अतिरिक्त उपायुक्त (ए.डी.सी.) कार्यालय में जमा कर सकता है। आवेदक को फॉर्म के साथ शौचालय के साथ अपनी एक रंगीन फोटो भी लगानी पड़ती है।
  3. प्राधिकृत अधिकारी द्वारा शौचालय का सर्वेक्षण किया जाता है तथा यह देखा जाता है कि शौचालय ठीक से बना है या नहीं।  इसके साथ ही यह भी जांच की जाती है कि शौचालय का प्रयोग किया जा रहा है या नहीं। जांच के उपरांत संतुष्ट होने पर प्राधिकृत अधिकारी द्वारा आर्थिक सहायता की राशि को व्यक्ति के बैंक खाते में जमा करा दिया जाता है।

निष्कर्ष  / समाधान : 

  • अगर सरकार 2024-25 तक भारत को खुले में शौच मुक्त से खुले में शौच मुक्त प्लस स्थिति में बदलना चाहती है तो उसे मौजूदा कार्यक्रम में व्याप्त कमियों की पहचान करने की जरूरत है।
  • स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-2 के लिये मंत्रिमंडल का अनुमोदन प्राप्त होने से ग्रामीण भारत को ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती का प्रभावी रूप से सामना करने और देश में ग्रामीणों के स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायता मिलेगी।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1 भारत में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. भारत में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने महिलाओं के सशक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
  2. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत भारत को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) प्लस गांवों के सात चरण  होते हैं।
  3. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के द्वितीय चरण में एक राशन कार्ड पर केवल एक ही शौचालय का निर्माण होगा।
  4. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के द्वितीय चरण में लाभार्थियों को शौचालय निर्माण के लिए एकमुश्त पचास हजार की राशि प्रदान की जाती है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?  

(A) केवल 1, 2 और 3 

(B) केवल 2, 3 और 4 

(C) केवल 2 और 4 

(D) केवल 1 और 3 

उत्तर – (D) 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

Q. 1. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के द्वितीय चरण के प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि इस कार्यक्रम  ने किस प्रकार भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण, आर्थिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण निभाई है ? 

 

 

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