21 Nov हांथीदांत
हांथीदांत
संदर्भ- जापान के हाथीदांत बाजार में हांथी दांत की मांग में कमी की गई है जो विलुप्त होते हाथियों के लिए एक अच्छी खबर है।
- हाथियों के अवैध शिकार से पिछले 40 वर्षों में 70% अफ्रीकी हाथियों की संख्या में गिरावट आई है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध व घरेलु आर्थिक मंदी के कारण जापान में हाथी दांत की मांग में कमी देखने को मिल रही है।
भारत में हाथी को मात्र पशु नहीं शांति, सुख समृद्धि का प्रतीक माना गया है। भारत के प्राचीन ग्रंथों में हाथी का स्थान विशेष रहा है, पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हाथियों की उत्पत्ति ऐरावत नामक हाथी से हुई जो समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था।
- हाथी जमीन पर रहने वाला विशाल स्तनपायी है।
- 2017 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल 27312 हाथी थे।
- भारत में हाथियों की प्रजाति ऐतिहासिक है, मोहनजोदड़ो से हाथी के कपालखण्ड के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- सोनपुर मेला- गण्डक नदी के तट पर बिहार में सोनपुर मेले का आयोजन किया जाता है, यह विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला है, इतिहास में जब पशु यातायात व युद्धों के साधन थे इस मेले से बहुतायत रूप से राजा महाराजा पशुओं की खरीद करते थे। कहा जाता है कि चन्द्रगुप्त से लेकर अकबर और अंग्रेजों ने भी इस मेले से हाथियों की खरीद की थी।
हांथी दांत के ऐतिहासिक साक्ष्य-
- हांथी के वे दांत जो उसके मुंह से बाहर निकले होते हैं, उनका प्रयोग प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है।
- सैंधव काल में लोथल से हांथी दांत का पैमाना प्राप्त हुआ था। यह हांथी दांत का प्राचीनतम साक्ष्य माना जाता है। इसके साथ ही लोथल में हाथी दांत से संबंधित उद्योग भी था जो हांथीदांत से बनी वस्तुओं का निर्माण करता था।
- राजस्थान की गिलुंद से हांथी दांत की चूड़ी मिली हैं।
हाथी दांत का वर्तमान में प्रयोग
- हाथी दांत का वर्तमान में औषधीय प्रयोग किया जाता है।
- इसे बीजों के साथ बीजरक्षक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- प्लास्टिक के उपयोग से पहले ये कई सजावटी व उपयोग की वस्तुओं जैसे- बॉक्स, चूड़ी, गेंद, वाद्ययंत्र आदि के निर्माण में प्रयोग किया जाता था। इसके साथ साथ मनुष्य़ के नकली दांत के लिए भी हाथी दांत का प्रयोग किया जाता था।
हाथियों का संरक्षण
संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कंवेंशन(CITES) 1989 के तहत हाथीदांत के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। इस समझौते में 184 देशों ने समझौता किया है। लेकिन कुछ देश घरेलू बाजारों में इसका व्यापार कर रहे हैं जिससे यह पहल का असर कम हो रहा है, इससे जापान में हाथी दांत के व्यापार में 1989 से 2014 में 13% की कमी देखी गई है।
CITES एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य जंगली जानवरों व पौंधों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्रजातियों के अस्तित्व को होने वाले खतरे को कम किया जाता है।
संविधान का अनुच्छेद 48(क) और अनुच्छेद 51(क) में वनों व वन्य जीवों की सुरक्षा करना और प्राणी मात्र के लिए दया भाव रखना भारतीय नागरिक का कर्तव्य बताया गया है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972-
- कोई भी व्यक्ति किस भी वन्य प्राणी का शिकार नहीं कर सकता है। जब तक वह जीव किसी के प्राणों के लिए खतरा न हो या फिर किसी असाध्य बिमारी से ग्रस्त हो और इसका कोई अन्य उपाय जैसे स्थानांतरण से समाधान न किया जा सकता हो इसके लिए भी मुख्य वन्य जीव संरक्षक की अनुमति अनिवार्य है।
- अनुज्ञप्ति के बिना वनय् जीवों का शिक्षा, अनुसंधान व वैज्ञानिक परीक्षण के लिए प्रयोग निषेध किया गया है।
- भारत में आयातित हाथी दांत और ऐसे हाथी दांत से बनी कोई वस्तु किसी वन्य जीव के आखेट से या भूल से किए गए वध के द्वारा प्राप्त हाथी दांत राज्य सरकार या केंद्र सरकार की सम्पत्ति होगा।
- उपरोक्त अधिनियम में हाथी को संरक्षण प्रदान किया गया है।
फ्लोरा व फोना के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सम्मेलन- 1976 में भारत ने फ्लोरा व फौना के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को पुनः शुरु करने के लिए मतदान नहीं किया था। भारत ने विलुप्त होती प्रजाति का उस समय संरक्षण करने का प्रयास किया था।
भारतीय विरासत पशु- भारत सरकार ने 2010 में हाथी को भारतीय विरासत पशु का दर्जा दिया, यह हाथियों के संरक्षण के लिए भारत सरकार का एक अन्य कदम था।
वन्यजीव कार्ययोजना- यह वन्यजीव कार्ययोजना वन्यजीव संरक्षण के लिए क्षेत्र केंद्रित दृष्टिकोण पर आधारित है। वर्तमान में तीसरी कार्ययोजना (2017-2031) प्रचालित है। इसके तहत ड्रोन व इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों की सहायता से शिकार व अवैध कार्यों पर रोक लगायी जा सकेगी।
स्रोत
https://www.thehindu.com/sci-tech/energy-and-environment/japans-ivory-market-is-no-longer-a-threat-to-elephant-populati
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