हिमस्खलन आपदा

हिमस्खलन आपदा

हिमस्खलन आपदा

संदर्भ- भारत के पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के डाण्डा 2 शिखर पर हिमस्खलन में 20 से अधिक लोगों के फँसे होने की आशंका है।

हिमस्खलन- किसी ढलान वाले क्षेत्र में तेजी से हिम के भारी प्रवाह को हिमस्खलन कहा जाता है। एक बड़े पैमाने का हिमस्खलन बर्फ के टुकड़ों, पेड़ व पहाड़ी को स्थानांतरित करने की क्षमता रखती हैं। 

स्लैब हिमस्खलन- पहाड़ों में कम तापमान के कारण बर्फ पिघलती नहीं है इसका जमाव होता रहता है। यह विभिन्न भागों में टूटकर हिमखण्ड का रूप धारण कर लेते हैं। इन हिमखण्डो का तीव्र गति से खिसकना स्लैब हिमस्खलन कहलाता है।  

शिथिल हिमस्खलन- हिमपात के तुरंत बाद बर्फ का तुरंत ढाल के अनुरूप प्रवाहित हो जाना, शिथिल हिमस्खलन कहलाता है।

मिश्रित हिमस्खलन–  स्लैब व शिथिल का मिश्रित रूप है, जिसमें ताजी बर्फ, स्लैब को तेज बहाव के साथ प्रवाहित करता है।

नम हिमस्खलन- यह बर्फ व पानी का कम वेग निलंबन होता है। कम वेग के बावजूद गीले हिमस्खलन बड़े द्रव्यमान व घनत्व के कारण शक्तिशाली बल पैदा करने में सक्षम होते हैं। सर्दियों के अंत में जब दिन के तापमान में वृद्धि होती है, नम हिमस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है। नम हिमस्खलन लंबे समय तक ठोस हो जाने के कारण अधिक खतरनाक होते हैं। इसका एक उदाहरण 7 फरवरी 2021 में उत्तराखण्ड का भूस्खलन था। जिसने भीषण बाढ़ का रूप धारण कर लिया था।

भारत में हिमस्खलन-  भारत में हिमस्खलन की घटनाएँ हिमालय की श्रृंखलाओं में सर्दियों और अतिवृष्टि के समय होती हैं। कुछ घटनाएं जिसमें मानव संसाधनों को अधिक हानि पहुँचती है, इसे व्हाइट डेथ कहा जाता है। हिमस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र-

  • जम्मू कश्मीर में कुलगाम, पहलगाम,अनंतनाग और शोपिया, त्राल के पर्वतीय क्षेत्र हिमस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील माने जाते हैं। इसके साथ ही गुलमर्ग, यसमर्ग,जोजिला,बाल्टाल,राजदान पास और उत्तरी कश्मीर में LOC से जुड़े क्षेत्रों में प्रतिवर्ष हिमस्खलन के कारण जनधन की हानि हो जाती है। फरवरी 2005 में हिमस्खलन के कारण कश्मीर में 278 लोगों की जान चली गई थी।
  • हिमांचल प्रदेश में चम्बा, कुल्लू व किन्नौर घाटी के उच्च पर्वतीय क्षेत्र हिमस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील माने जाते हैं। मार्च 1979 में लाहोल में 237 लोगों की मृत्यु हो गई।
  • उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिलों के पर्वतीय क्षेत्र हिमस्खलन की घटनाओं के प्रमुख केंद्र हैं। 7 फरवरी 2021 को चमोली में हिमस्खलन की बाढ़ के कारण 200 से अधिक लोग मारे या लापता हो गए। 

एक हिमस्खलन के कई कारक हो सकते हैं-

  • अतिवृष्टि या अतिहिमपात के कारण हिमपैक पर अधिक भार पड़ता है, जिससे हिमस्खलन की घटना घटित होती है। इसका ताजा उदाहरण उत्तराखण्ड के डंडा 2 श्रेणी का हिमस्खलन है।
  • पर्वतीय क्षेत्र में प्राकृतिक या मानव जनित कम्पन या भूकंप के कारण हिम स्लैब टूट सकते हैं।
  • बर्फीले तूफान के कारण भी हिमस्खलन की घटना हो सकती है।
  • तात्कालिक कारणों के अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन भी भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हुई है। जो मानव जनित कृत्यों का परिणाम है, 2011 से 2020 के मध्य वैश्विक तापमान में वृद्धि देखी गई है। जो हिमालयी बर्फ को पिघलने में मदद करता है।

आपदा में बचाव कार्य- आपदा प्रबंधन के कार्य हेतु राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया गया है। जिसके तहत राज्य सरकार, NDRF, SDRF, सेना ITBP के जवानों द्वारा तेजी से कार्य किया जाता है। 

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लेख https://yojnaias.com/hindi/राष्ट्रीय-आपदा-प्रबंधन-प/ 

स्रोत

https://indianexpress.com/article/india/uttarakhand-avalanch-danda-draupadi-peak-rescue-operations-8189105/

https://www.downtoearth.org.in/hindistory/natural-disasters/flood/another-disaster-in-uttarakhand-78009

https://www.aicte-india.org/sites/default/files/HINDI_BOOKS/BOOK%2010.pdf

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