हीरोस्टोन : एक ऐतिहासिक स्मारक

हीरोस्टोन : एक ऐतिहासिक स्मारक

हीरोस्टोन : एक ऐतिहासिक स्मारक

संदर्भ- हाल ही में आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में इतिहासकार व शोधकर्ता बोम्मिसेट्टी रमेश को नल्लमाला जंगल से सटे थिपिरेड्डी गांव के पश्चिम में स्थित पुट्टकनुमा के पास एक हिरोस्टोन मिला है। इतिहासकारों के अनुसार इसे नौवीं शताब्दी का माना जाता है। इस पत्थर में एक क्रूर बाघ के साथ एक व्यक्ति के संघर्ष को दर्शाया गया है। कडप्पा जिले में इस तरह के अनेक पत्थर अब तक प्राप्त हो चुके हैं। 

हीरोस्टोन- 

  • हीरोस्टोन जिसे वीर पत्थर या वीर गैलस भी कहा जाता है, 
  • एक वीरगैलस, युद्ध में नायक की वीरता के साथ सम्मानीय मृत्यु का स्मरण कराता है, इसके साथ ही कई ऐसी हीरोस्टोन भी हैं जो समाज के कल्याणकारी कार्य जैसे मवेशियों व स्त्रियों की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान करने वाले नायकों की स्मृति में बनाए गए हैं।
  • यह एक अंत्येष्टि स्मारक की एक लघु प्रतिकृति है और अवधारणा में एक संरचनात्मक, आकार में लघु, और वैचारिक और कलात्मक दोनों तरह से क्लासिक परंपराओं का उत्पाद है।
  • इतिहासकार उपेन्दर सिंह की पुस्तक अ हिस्ट्री ऑफ एन्शिएंट एण्ड अर्ली मैडिविएल इण्डिया फ्रॉम स्टोन एज टू द 12 सेंचुरी  के अनुसार 5वी-13वी शताब्दी के अब तक लगभग 2659 हीरोस्टोन प्राप्त हो चुके हैं।
  • अधिकांश पत्थर दक्षिण भारत के कोलार (कर्नाटक), शिवमोग्गा (कर्नाटक), तुमकुरु (कर्नाटक), बैंग्लुरु (कर्नाटक), हावेरी (कर्नाटक), मुरुगमंगलम (तमिलनाडु),नरसिंहपुरम (तमिलनाडु), ओलक्करावदी (तमिलनाडु), मल्लम(आंध्र प्रदेश) में प्राप्त होते हैं।

हीरोस्टोन के प्रकार-

  • केवल शिलालेख युक्त हीरोस्टोन प्रमुखतः दक्षिण भारत के तमिलनाडु में मिलते हैं। इस प्रकार के वीर-पत्थर बहुत कम मात्रा में हनुमंतपुरमिन सलेम जिले से और एक अन्य धर्मपुरी के मेरुरतालुक के चिन्नाकुप्पम से प्राप्त हुए हैं। इनमें केवल मृत वीरों के साहसिक कृत्यों का उल्लेख किया गया है।
  • केवल मूर्तिकला युक्त हीरोस्टोन अच्छी मात्रा में पाए गए हैं। इनमें केवल मूर्तिकला के माध्यम से वीरों को दर्शाया गया है। मूर्ति में वीरों को हथियार जैसे तीर धनुष, तलवार आदि लिए हुए या दुश्मुया जानवर से युद्ध करते दर्शाया गया है।
  • शिलालेख व मूर्तिकला दोनों युक्त हीरोस्टोन दक्षिण भारत में फैले हुए हैं, इसमें मूर्ति द्वारा दर्शाए गए वीर की पहचान करना संभव हो जाता है, उसके वीरतापूर्ण कार्यों की जानकारी, उसके मृत्यु व प्रतिद्वंदी की जानकारी प्राप्त होती है, यह इतिहास के उत्तम स्रोत हैं।

हीरोस्टोन ऐतिहासिकता

संगम कालीन साहित्य तिरुक्कुरल में वीर पत्थरों का उल्लेख है जो युद्ध में मारे गए वीरों की स्मृति में बनाए जाते थे। तोलकाप्पियम में वीरों की मृत्यु के उपलक्ष्य में नाडुकल्टो(हीरोस्टोन) का निर्माण किया जाता था, नाडुकल की स्थापना नायकों के गौरवशाली कार्यों को दर्ज करने की एक विधा थी। जिनके निर्माण से जुड़े अनुष्ठान समारोहों में शामिल छह अलग-अलग चरणों को रेखांकन करता है- 

  1. कटसी का अर्थ है हीरोस्टोन के रूप में खड़ा किए जाने के लिए उपयुक्त पत्थर की खोज करना। 
  2. कल्कोलम का अर्थ है पत्थर को खड़ा करने के लिए निमंत्रण और शुभ मुहूर्त तय करना।
  3. निरपदाई पत्थर का औपचारिक रूप से स्नान है।
  4. नाडुकल शिला स्थापना से संबंधित है।
  5. पेरुमपदाई का अर्थ है खड़े किए गए पत्थर को उत्सव और दावत देना।
  6. अंतिम चरण वलताल का अर्थ है मंगल गीत गाकर पत्थर की स्तुति और पूजा करना।

अतिरिक्त विषयों पर हीरोस्टोन

  • मस्तिकल्लु नामक वीर पत्थर उन वीर महिलाओं की याद में बनाए गए हैं, जिन्होंने महासती(पति की मृत्यु के बाद आत्मदाह) किया है।
  • इतिहासकार उपिंदर सिंह के अनुसार “सिद्दनहल्ली और केम्बालु के दो शिलालेखों में एक महिला और एक रानी की वीरतापूर्ण मौत का उल्लेख है, जिसने मवेशियों पर हमला किया था । “
  • मांड्या में अतकुर में 939 ईस्वी में एक शास्त्रीय कन्नड़ काव्य शिलालेख के साथ हीरोस्टोन प्राप्त हुआ है, जो गंगराज बुटुगा द्वितीय के पसंदीदा शिकारी कुत्ते का है जो एक जंगली सूअर से लड़ते हुए मर गया था।

अतः युगों से स्थापित यह पत्थर बीते युग के जीवन में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

डेक्कन हेराल्ड

rspsciencehub.com

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