स्थानीय भाषाओं का हो सम्मान

स्थानीय भाषाओं का हो सम्मान

स्थानीय भाषाओं का हो सम्मान

संदर्भ- हाल ही में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से तेलंगाना के हैदराबाद जाने वाली फ्लाइट में एक महिला को केवल हिंदी व अंग्रेजी न जानने के कारण 2A से 3C में स्थानांतरित कर दिया गया, महिला की सहयात्री ने इस मामले को ट्विटर में लिखा कि “अटैंडैंट न कहा यह सुरक्षा का मुद्दा है कि वह हिंदी या अंग्रेजी नहीं समझती।” और “गैर हिंदी को अपने ही राज्य में द्वितीयक श्रेणी के नागरिक के रूप में माना जाता है।”

भारत में भाषा की स्थिति– 

भारत विविध संस्कृतियों के साथ विविध भाषाओं व बोलियों से भरा देश है। भारत की सभी भाषाएँ क्षेत्रीय बोलियों से उपजी हैं। बोली का अर्थ वह शब्द पद्धति से लिया जाता है, जिसे बोला तो जा सकता है पर उसके लिए विशेष रूप से कोई लिपि नहीं है। और भाषा जिसके लिए विशेष लिपि का निर्धारण किया गया है।

वर्तमान में भारतीय संविधान में भाषा के लिए प्रावधान-

  • भारतीय संविधान में 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजकीय भाषा का स्थान दिया गया था।
  • संविधान के भाग 17 में अनुच्छेद 343- 351 में भारतीय भाषा के लिए विशेष प्रावधान रखे गए है।
  • अनुच्छेद 343(1) में देवनागरी लिपि युक्त हिंदी भाषा को राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया। इसके साथ अंग्रेजी को 15 वर्ष तक सरकारी कार्यों के लिए बने रहने दिया गया था।
  • अनुच्छेद 344 में हिंदी के विकास के लिए राजभाषा आयोग का गठन करने का प्रावधान था।
  • अनुच्छेद 345 में राज्यों के विधानमण्डल में राजकीय कार्य हेतु स्थानीय भाषा या हिंदी का प्रावधान रखा गया और जब तक यह संभव न हो तब तक अंग्रेजी को ही स्थानीय क्षेत्रों में अंग्रेजी को यथावत बने रहने दिया गया।
  • अनुच्छेद 347 के अनुसार यदि किसी राज्य के जनसमुदाय द्वारा उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राजकीय मान्यता प्रदान करने की मांग की जाती है तो राष्ट्रपति उस भाषा को सभी या कुछ एक शासकीय प्रयोजनों के लिए मान्यता देने के निर्देश देंगे।
  • अनुच्छेद 350 के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपनी व्यथा के निवारण के लिए संघ या राज्य में उस समय प्रयुक्त राजभाषा में अभ्यावेदन दे सकता है।
  • अनुच्छेद 120 संसद में सदन को संबोधित करने के लिए मातृ भाषा को प्रयोग करने की अनुमति देता है।
  • संविधान की आठवी अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है-

 

असमिया उड़ीसा  कन्नड़ कश्मीरी  गुजराती  तमिल
तेलगू पंजाबी बांग्ला मराठी मलयालम सिंधी 
हिंदी संस्कृत  मणिपुरी  कोंकड़ी  संथाली बोडो
डोंगरी मैथिली नेपाली

 

विरोध के कारण- 

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 जिसमें मानव को अपने दायरे में मानव गरिमा व जीवन के सभी पहलुओं के साथ रहने का अधिकार था जो एक व्यक्ति को सार्थक व लायक बनाने के लिए चाहिए। के अनुसार महिला को उसकी सीट पर बैठने का अधिकार था।
  • क्षेत्र विशेष में क्षेत्रीय भाषा के विरुद्ध कार्यवाही, जबकि तेलगू संविधान की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है।
  • महिला सुरक्षा संबंधी नियमों को हिंदी व अंग्रेजी में समझने में असमर्थ थी। जबकि 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा की मांग को अस्वीकार कर दिया था। क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्राप्त करने के बाद क्षेत्र विशेष में क्षेत्रीय भाषा के कारण ही अपमानित होना पड़ा।

कार्यवाही – तेलंगाना के मंत्री के टी रामाराव ने घटना का संज्ञान लेते हुए कहा कि इंडिगों को स्थानीय भाषा के ज्ञान की विशेषज्ञता युक्त अधिक स्टाफ रखने की हिदायत दी है।

सुझाव- 

  • अहिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी को सीखने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • इण्डिगो समेत सभी सेवा क्षेत्रों में क्षेत्रीय भाषा के ज्ञान की विशेषज्ञता युक्त कर्मचारियों की नियुक्ति करना।

स्रोत-

https://www.hindustantimes.com/india-news

https://dfccil.com/upload/1_Constitutional_provision_of_official_language.pdf

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 19th September

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