पश्चिमी घाट : वन अधिकार अधिनियम व विश्व विरासत स्थल 

पश्चिमी घाट : वन अधिकार अधिनियम व विश्व विरासत स्थल 

पश्चिमी घाट : वन अधिकार अधिनियम व विश्व विरासत स्थल 

संदर्भ- पश्चिमी घाट को 2012 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में अधिसूचित किया गया। विश्व विरासत स्थल घोषित करने से पूर्व यूनेस्को उस क्षेत्र से संबंधित निवासियों से राय लेता है, जो उस क्षेत्र से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते हैं।  द हिंदू के अनुसार संबंधित क्षेत्र के निवासियों ने कहा कि वे विश्व विरासत स्थल की प्रक्रिया से अवगत नहीं थे। 

वन अधिकार अधिनियम 2006

अधिनियम का उद्देश्य एक ओर वन संरक्षण व दूसरी ओर आदिवासियों या वनवासियों जो वन भूमि पर निर्भर हैं किंतु उनके अधिकारों को अभिलिखित नहीं किया गया है, को उनके वन संबंधी अधिकार व वन भूमि से संबंधित अधिकार दिलाना है।

अधिकार

  • भूमि पर अधिकार- निवास या खेती करने हेतु भूमि का अधिकार।(अधिकतम 4 हैक्टेयर की भूमि)
  • वनभूमि पर गौण वन उत्पादों के संग्रहण, उपयोग व व्ययन का अधिकार।
  • सामुदायिक वन संसाधनों को संरक्षित व प्रबंधित करने का अधिकार।
  • जैव विविधता तक पहुँच का अधिकार, जैव विविधता से संबंधित ज्ञान का सामुदायिक अधिकार।

वनाधिकार मान्यता के लिए पात्रता

  • अनुसूचित जनजाति के ऐसे समुदाय जो प्राथमिक रूप से जंगलों में निवास करते हों।
  • अन्य वनवासी के लिए ऐसे समुदाय जो 13 दिसंबर 2005 स पूर्व कमसे कम तीन पीढ़ियों से वनों पर रहते हों या आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हों।

विश्व विरासत स्थल की सूची के नामांकन की प्रक्रिया-

अस्थायी सूची- राज्य सरकार द्वारा राज्य के प्राकृतिक या सांस्कृतिक स्थलों की सूची तैयार करना।

नामांकन फाइल – अस्थायी सूची में से विरासत हेतु स्थलों का चयन कर फाइल बनाई जाती है जिसमें यूनेस्कों राज्यों की मदद करता है।

सलाहकार निकाय- वर्ल्ड हैरिटेज कंवेंशन द्वारा दो सलाहकार निकाय इण्टरनेशनल काउंसिल ऑन मोन्यूमेंट एंड साइट्स(ICOMOS) और इण्टरनेशनल यूनियन फॉर कन्सरवेशन फॉर नेचर (IUCN) प्रदान किए जाते हैं। 

विश्व विरासत समिति- विश्व विरासत समिति सभी साइट्स की जानकारी कर यह निर्धारित करती है कि सूची में किस का नाम आएगा। यह सम्पत्तियों के संरक्षण की स्थिति पर रिपोर्ट की जाँच भी करती है।

चयन के लिए मानदण्ड-चयन के लिए 10 मानदण्ड तैयार किए गए हैं। जिनके आधार पर विश्व विरासत स्थल का चयन किया जाता है। जिसमें – 

  1. मानव रचनात्मक प्रतिभा, 
  2. वास्तुकला, 
  3. एक सांस्कृतिक परंपरा या सभ्यता,
  4.  मानव इतिहास के विशिष्ट चरणों को प्रदर्शित करने वाली कला या परिदृश्य़,
  5.  पर्यावरण के साथ मानव संपर्क रखने का उदाहरण, 
  6. असाधारण प्रकृति, 
  7. कला,इतिहास, विचार, विश्वास से प्रत्यक्ष भागीदारी
  8. पृथ्वी के इतिहास के प्रमुख चरणों का प्रतिनिधित्व करने वाली विशेषताएं,
  9. स्थलीय या जलीय पारिस्थितिक परिस्थितियाँ
  10. उत्कृष्ट सारवभौमिक मूल्य की सार्वभौमिक प्रजातियाँ

पश्चिमी घाट- 

  • भारत के पश्चिमी तट पर 30-50 किमी की समानांतर दूरी पर स्थित पर्वत श्रृंखलाओं को पार कर जाते हैं।
  • पश्चिमी घाट प्रारंभिक गोंडवाना लैंड के प्राचीन भूभाग से विभक्तिकरण से उद्भव, अलग भू भाग के निर्माण व तीसरे विशाल भारतीय भूभाग को यूरेशिया के साथ धकेले जाने को प्रदर्शित करता है।
  • यहां से किसी महाद्विपीय भाग में उत्पन्न जीव जंतुओं की प्रजातियाँ प्राप्त होती हैं, इस क्षेत्र की लुप्त प्राय प्रजातियों में शेरपूँछ वाले मैकाक, नीलगिरि टार और नीलगिरि लंगूर आदि मिलते हैं।
  •  विश्व विरासत के मानदण्ड 9 व 10 के तहत इसे विश्व विरासत सूची में स्थान दिया गया है।

वैधानिक संरक्षण

  • पश्चिमी घाट के सभी तत्व , वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, भारतीय वन अधिनियम, वन संरक्षण अधिनियम के तहत कड़ी सुरक्षा में रखे गए गए हैं।
  • इस सम्पत्ति का 40% भाग औपचारिक संरक्षण प्रणाली के बाहर है। शेष क्षेत्र कानूनी रूप से प्रतिबंधित है।
  • स्थानीय निवासियों की आजीविका वन संरक्षण अधिनियम 2006 द्वारा प्रबंधित किया गया है।
  • शासन में उनकी भागीदारी को विलेज इको डेवलपमेंट कमेची के माध्यम से सुनिश्चित किया गया है।

आगे की राह

  •  सभी जैविक अजैविक प्रजातियों के संरक्षण के साथ जंगल में रहने के इच्छुक वनवासियों को वहां रहनेकी अनुमति दी जानी चाहिए।
  • क्योंकि वनवासी मोबाइल फोन या फिर उर्वरकों का प्रयोग नहीं करते इसलिए वे स्थानीय प्रजातियों के लिए हानिकारक सिद्ध नहीं होंगे।
  • वनवासियों में प्रजातियों के महत्व के विषय में जागरुकता का ज्ञान करना चाहिए, इससे वे अप्रत्यक्ष रूप से भी कोई हानि न पहुँचा सके।

स्रोत

द हिंदू

https://whc.unesco.org/en/committee/

https://indianculture.gov.in/hi/unesco/heritage-sites/pasacaimai-ghaata

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