राम मंदिर की संरचना : नागर शैली

राम मंदिर की संरचना : नागर शैली

राम मंदिर की संरचना : नागर शैली

संदर्भ- हाल ही में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की निर्माण समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि राम मंदिर को अगले 1000 वर्ष के लिए डिजाइन किया गया है निर्माण के लिए प्रसिद्ध निर्माणकर्ताओं व इंजीनियर्स को नियुक्त किया गया है। 

अयोध्या राम मंदिर निर्माण कार्य

  • सर्वोच्च न्यायालय में वर्षों से चल रहे राम मंदिर विवाद का 2019 में निर्णय आने के बाद राम मंदिर निर्माण कार्य की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया, जिसके निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में दिए थे। 
  • अगस्त 2020 में मंदिर के शिलान्यास के बाद मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
  • मंदिर में गुलाबी बलुआ पत्थर का प्रयोग किया जा रहा है। 
  • मंदिर निर्माण के लिए प्राचीन स्थापत्य शैली, नागर को चुना गया है। 

भारतीय मंदिर 

भारत की स्थापत्य कला में मंदिरों का बहुत बड़ा योगदान है। प्रारंभ में इन संरचनाओं को देवालय, देवायतन, देवगृह आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता था। सर्वप्रथम मंदिर शब्द का उल्लेख शतपथ ब्राह्मण में मिलता है। भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुखतया मंदिर निर्माण के लिए तीन शैलियों का प्रयोग किया गया।

  • नागर शैली
  • बेसर शैली 
  • द्रविड़ शैली।

अय़ोध्या के राम मंदिर के लिए नागर शैली का प्रयोग किया जा रहा है। जो अपने विशाल शिखर, स्तंभ व जटिल नक्काशी के लिए जाना जा रहा है।

  • मंदिर में तीन मंजिलें और पांच गुंबद होंगे, जिसमें मुख्य गुंबद 161 फीट ऊंचा होगा।
  • मंदिर में भगवान राम के दर्शन (दर्शन) करने के लिए भक्तों के लिए एक भव्य सीढ़ी, एक प्रार्थना कक्ष और एक प्रदक्षिणा पथ भी होगा।
  • मंदिर के डिजाइन की अवधारणा वास्तुकारों के सोमपुरा परिवार द्वारा तैयार की गई है, जो मंदिर वास्तुकला में अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध हैं।

नागर शैली की विशेषताएं

भारत में नागर शैली का प्रयोग हिमालय से विंध्य पर्वत तक के क्षेत्र के मंदिरों में हुआ है। सर्वप्रथम इस प्रकार की संरचनाओं का प्रयोग नगरों में हुआ इसलिए इन्हें नागर की संज्ञा दी गई। शिल्प शास्त्र के अनुसार नागर मंदिरों की विशेषतता निम्नलिखित है-

  • गर्भगृह का शाब्दिक अर्थ गुहा मंदिर होता है, जिसे मंदिर के प्रमुख देवता का आवास भी कहा जाता है जहां प्रमुख देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है।
  • मंडप, गर्भगृह से संलग्न एक अन्य कक्ष होता है, जो एक आयाताकार कक्ष या स्तंभ युक्त हॉल हो सकता है। मंदिरों में कई मंडप हो सकते हैं जिन्हें मंडप, अर्धमंडप, महामंडप आदि कहा जाता है। क्योंकि गर्भगृह का आकार केवल भगवान के लिए सुनिश्चित होता था अतः उपासकों के लिए मंडप का निर्माण किया जाता था।
  • शिखर, नागर शैली के मंदिरों में गर्भगृह का ऊपरी भाग शिखर कहलाता है, जो पर्वत शिखरों से प्रेरित है। इसे पिरामिडाकार भी कहा जा सकता है। 
  • आमलक, मंदिर के शीर्ष पर एक डिस्क के आकार के पत्थर की संरचना स्थापित की जाती है। जिसके किनारे अलंकृत किए जाते हैं। 
  • कलश, मंदिर के शिखर के ऊपर कलश स्थापित किया जाता है, इसका प्रयोग नागर शैली में सर्वाधिक हुआ है। 
  • अंतराल, मंदिर के गर्भगृह व मंडप के बीच एक रिक्त स्थान दिया जाता है जिसे अंतराल कहा जाता है किंतु सभी नागर शैली के मंदिरों में अंतराल नहीं दिया गया है।
  • जगति का प्रयोग बैठने व पूजा करने के लिए किया जाता है।
  • ध्वज- मंदिर के शीर्ष पर प्रमुख देवता का ध्वज, जिसमें देवता से संबंधित कोई चित्र अंकित किया जाता है। 

नागर शैली के प्रमुख मंदिर, जो लगभग 1000-1500 वर्ष पूर्व निर्मित माने जाते हैं-

  • कंदारिया महादेव मंदिर (खजुराहो)
  • लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर)
  • पुरी का जगन्नाथ मंदिर (उड़ीसा)
  • कोर्णार्क सूर्य मंदिर (उड़ीसा)
  • मुक्तेश्वर(उड़ीसा)
  • आबू का दिलवाड़ा मंदिर (राजस्थान)
  • सोमनाथ मंदिर (गुजरात)

स्रोत

Yojna daily current affairs hindi med 11 May 2023

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