25 Apr भारत में स्वास्थ्य बीमा और जनसांख्यिकी
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था, भारतीय समाज, स्वास्थ्य, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, मानव संसाधन, भारत की जनसांख्यिकी से संबंधित मुद्दे, भारत में बुज़ुर्ग आबादी के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ स्वास्थ्य बीमा, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, विश्व स्वास्थ्य संगठन ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘दैनिक कर्रेंट अफेयर्स’ के अंतर्गत ‘ भारत में स्वास्थ्य बीमा और जनसांख्यिकी ’ से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- भारत में स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में हालिया परिवर्तनों ने नागरिकों के व्यापक जनसांख्यिकी के लिए नई संभावनाएं खोली हैं।
- हाल ही में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने भारत में चिकित्सा बीमा पॉलिसी खरीदने की आयु सीमा को समाप्त कर दिया है, जिससे वरिष्ठ नागरिकों सहित सभी आयु वर्गों के लिए बीमा से संबंधित कवरेज की पहुंच बढ़ी है।
- हाल ही में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बंगलूरू ने ‘लॉन्गविटी इंडिया’ पहल की शुरुआत की है, जिसका लक्ष्य उम्र बढ़ने से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों पर शोध करना और बुजुर्गों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए समाधान तलाशना है।
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) क्या है ?
- भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) भारत में बीमा उद्योग के नियमन और विकास के लिए जिम्मेदार एक स्वायत्त संस्था तथा एक वैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 के तहत की गई थी।
- IRDAI का मुख्य उद्देश्य बीमा उद्योग को सुदृढ़ और स्थिर बनाना है, जिससे ग्राहकों के हितों की रक्षा हो सके और बीमा क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित किया जा सके।
- IRDAI बीमा कंपनियों के लिए नियम और दिशा-निर्देश तय करता है, उनके वित्तीय स्थिरता की निगरानी करता है, और बीमा उत्पादों की मंजूरी देता है।
- बीमा अधिनियम, 1938 भारत में बीमा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला प्रमुख अधिनियम है। यह IRDAI को नियम बनाने की शक्तियाँ प्रदान करता है, जो बीमा क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं की निगरानी हेतु नियामक ढाँचा तैयार करता है।
- यह बीमा एजेंटों और ब्रोकरों के लिए प्रशिक्षण और परीक्षा नियमों को भी निर्धारित करता है।
- बीमा व्यापन और घनत्व में वृद्धि दर्शाती है कि भारतीय बीमा बाजार में गहराई और पहुँच बढ़ रही है।
- यह विकास बीमा उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था के वित्तीय समावेशन के प्रति IRDAI की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत में स्वास्थ्य बीमा के लिए भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा जारी नए दिशा – निर्देश :
- भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब कोई भी व्यक्ति, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो, स्वास्थ्य बीमा के लिए आवेदन कर सकता है।
- इससे पहले, यह सुविधा केवल 65 वर्ष तक के व्यक्तियों के लिए सीमित थी।
- इस परिवर्तन से वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, बच्चों और मातृत्व से संबंधित जनसांख्यिकी के लिए विशेष बीमा उत्पादों की पेशकश की जा सकती है।
- बीमाकर्ताओं को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे पूर्व-मौजूदा चिकित्सा स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिए कवरेज प्रदान करें, जिसमें कैंसर या हृदयाघात जैसी गंभीर स्थितियां शामिल हैं।
- इन नीतियों से बीमा घनत्व और बीमा की पैठ में वृद्धि होने की संभावना है, जिससे अधिक लोगों को बीमा का लाभ मिल सकेगा।
- बीमाकर्ताओं को प्रीमियम का भुगतान किस्तों में करने की पेशकश करने और यात्रा पॉलिसियों की पेशकश केवल सामान्य और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं द्वारा करने की भी आवश्यकता है।
- इसके अलावा, आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसे आयुष उपचारों के लिए कवरेज में कोई सीमा नहीं है। ये नीतियां भारतीय स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती हैं।
भारत में बुज़ुर्ग आबादी के समक्ष स्वास्थ्य बीमा से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ :
भारत में बुज़ुर्ग आबादी के सामने स्वास्थ्य बीमा से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं –
- स्वास्थ्य देखभाल की पहुँच का अभाव : बुज़ुर्गों के लिए उचित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक पहुँच एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों तक सीमित पहुँच और उच्च चिकित्सा लागत के कारण, बुज़ुर्ग अक्सर आवश्यक देखभाल से वंचित रह जाते हैं।
- पुरानी बीमारियों का प्रबंधन एवं महंगा होना : उम्र से संबंधित बीमारियाँ जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग, और अर्थराइटिस बुज़ुर्गों में आम हैं। इनके प्रबंधन के लिए विशेषज्ञ देखभाल की आवश्यकता होती है, जो कि अक्सर महंगी और दुर्लभ होती है।
- दुर्व्यवहार और उपेक्षा का शिकार होना : बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और उपेक्षा एक गंभीर समस्या है। वित्तीय शोषण, शारीरिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार के मामले आम हैं, जिससे उनकी सुरक्षा और कल्याण पर प्रश्न उठता है।
- डिजिटल विभाजन और ऑनलाइन सेवाओं और सूचनाओं तक पहुँचने में कठिनाई होना : डिजिटलीकरण के इस युग में, भारत में बुज़ुर्गों को अक्सर ऑनलाइन सेवाओं और सूचनाओं तक पहुँचने में कठिनाई होती है, जिससे उन्हें अपने अधिकारों और सेवाओं का लाभ उठाने में बाधा आती है।
- वित्तीय असुरक्षा का शिकार होना : बुज़ुर्गों का एक बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है। पेंशन और बचत की कमी के कारण, वे अपनी स्वास्थ्य देखभाल और अन्य आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करते हैं।
- सामाजिक अलगाव और अकेलापन : भारत में वर्तमान समय के कुछ दशकों में पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं में बदलाव और नौकरी और रोजगार की तलाश में युवा पीढ़ी के पलायन के कारण बुज़ुर्गों को अक्सर अकेलापन और सामाजिक अलगाव का सामना करना पड़ता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे कि अवसाद और चिंता उत्पन्न होती हैं।
- इन चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए सरकारी नीतियों, सामाजिक सहायता प्रणालियों, और तकनीकी नवाचारों की आवश्यकता है। बुज़ुर्गों के लिए एक समावेशी और सहायक पर्यावरण बनाना आवश्यक है ताकि वे सम्मान और गरिमा के साथ जीवन यापन कर सकें।
निष्कर्ष / आगे की राह:
भारत में बुज़ुर्ग आबादी के समक्ष स्वास्थ्य बीमा से संबंधित प्रमुख चुनौतियों का समाधान और आगे की राह निम्नलिखित है –
- उम्र के अनुकूल बुनियादी ढाँचा का विकास करना : बुज़ुर्गों की गतिशीलता और स्वतंत्रता को बढ़ाने के लिए उम्र के अनुकूल बुनियादी ढाँचे का विकास आवश्यक है। इसमें रैंप, हैंडरेल्स, सुलभ परिवहन, और वरिष्ठ नागरिकों के अनुकूल आवास शामिल हैं।
- दुर्व्यवहार के विरुद्ध कानूनी संरक्षण प्रदान करना : बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने के लिए कानूनों को मज़बूत करना और पीड़ितों के लिए सुलभ रिपोर्टिंग तंत्र की स्थापना करना जरूरी है।
- सिल्वरप्रेन्योरशिप हब स्थापित करना : वरिष्ठ नागरिकों के लिए सह-कार्यस्थल स्थापित करना, जो उन्हें उद्यमशीलता में सहायता प्रदान कर सकें।
- वरिष्ठ लोगों के लिए प्रभावशाली सोशल मीडिया नेटवर्क को स्थापित करना : तकनीक में कुशल वरिष्ठ नागरिकों की पहचान करना और उन्हें सोशल मीडिया पर सक्रिय बनाना, जिससे वे अपनी पीढ़ी के लिए लाभकारी नीतियों का समर्थन कर सकें।
- स्वास्थ्य बीमा की पात्रता में सभी को शामिल करना और सस्ता होना : भारत में स्वास्थ्य बीमा की पात्रता को व्यापक बनाते हुए इसे किफायती और जो सभी उम्र के लोगों तक पहुँच संभव हो ऐसा बनाया जाना चाहिए।
- यह सबसे महत्वपूर्ण है कि वर्त्तमान समय में भारत को अपने ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ का फायदा उठाना चाहिए और स्वास्थ्य बीमा की पात्रता को व्यापक बनाने के साथ-साथ किफायती स्वास्थ्य सेवा का व्यापक उन्नयन भी होना चाहिए।
- इन पहलों के माध्यम से बुज़ुर्गों की देखभाल और स्वास्थ्य बीमा से संबंधित चुनौतियों का समाधान संभव है, जिससे उन्हें स्वस्थ और सम्मानजनक उम्र बिताने में मदद मिलेगी।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में स्वास्थ्य बीमा और जनसांख्यिकी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- लॉन्गविटी इंडिया पहल की शुरुआत IIT बंगलूरू ने की है।
- भारत में स्वास्थ्य बीमा के नए नियम के अनुसार अब केवल 65 वर्ष तक के व्यक्ति ही इसमें आवेदन के पात्र हैं।
- भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण एक स्वायत्त तथा वैधानिक निकाय है।
- भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण भारत में बैंकों और शेयर बाजार सहित बीमा उद्योग के नियमन और विकास के लिए एक जिम्मेदार स्वायत्त संस्था है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. केवल 1
D. केवल 3
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. चर्चा कीजिए कि भारत में बुज़ुर्गों के जीवन की स्वास्थ्य गुणवत्ता और उनके कल्याण में सुधार के लिए किस तरह की चुनौतियाँ विद्यमान है? उन चुनौतियों के समाधान के उपाय के लिए सरकार द्वारा क्या रणनीति अपनाई जा सकती है ? तर्कसंगत सुझाव प्रस्तुत कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक -15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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