16 May बिहार के लीची किसानों को हीट वेव ( कड़ी गर्मी ) से खतरा
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के ‘ भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था, महत्त्वपूर्ण भौगोलिक घटनाएँ ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ लीची के बागों पर हीटवेव का प्रभाव, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (NRCL), भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), फसल बीमा योजना ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ बिहार के लीची किसानों को हीट वेव ( कड़ी गर्मी ) से खतरा ’ से संबंधित है।)
खबरों में क्यों?
- बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में लीची किसानों के समक्ष हीट वेव के कारण उत्पन्न हुई समस्या हाल के दिनों में खबरों में इसलिए है क्योंकि अप्रैल महीने में ही तापमान के 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचने से लीची की फसल पर बुरा असर पड़ने की आशंका है।
- कृषि विशेषज्ञों एवं मौसम वैज्ञानिकों का यह का मानना है कि लीची के लिए अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। इससे अधिक तापमान पर फलों के आकार में परिवर्तन हो सकता है, गुदा कम हो सकता है और गुठली का आकार बड़ा हो सकता है।
- इस वजह से लीची किसानों को इस वर्ष कम फूल आने की चिंता है और वे उत्पादन में कमी की आशंका से परेशान हैं।
हीट वेव ((कड़ी गर्मी) क्या होता है ?
- हीट वेव एक प्रकार की मौसमी स्थिति होती है जिसमें असामान्य रूप से उच्च तापमान की अवधि होती है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, यदि किसी क्षेत्र का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में 40°C या उससे अधिक हो जाता है, और पहाड़ी इलाकों में 30°C या उससे अधिक हो जाता है, तो वहाँ हीट वेव की स्थिति मानी जाती है।
सामान्य तापमान से विचलन के आधार पर हीट वेव की परिभाषा निम्नलिखित है –
- हीट वेव: जब सामान्य से तापमान का विचलन 4.5°C से 6.4°C के बीच हो।
- गंभीर हीट वेव: जब सामान्य से तापमान का विचलन 6.4°C से अधिक हो।
वास्तविक अधिकतम तापमान के आधार पर हीट वेव की परिभाषा इस प्रकार है –
- हीट वेव: जब वास्तविक अधिकतम तापमान 45°C या उससे अधिक हो।
- गंभीर हीट वेव: जब वास्तविक अधिकतम तापमान 47°C या उससे अधिक हो।
लीची उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव :
भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण लीची उत्पादन के क्षेत्र में में आई प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित है –
- लीची के फलों का विकास विशेष जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करता है, जहाँ अप्रैल माह के दूसरे भाग में अर्थात अप्रैल माह के दूसरी छमाही के दौरान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान लीची के फलों के उत्तम विकास के लिए आवश्यक होता है।
- जलवायु में आए इस परिवर्तन के कारण लीची के फलों के प्राकृतिक विकास में बाधा पहुँचती है, जिससे लीची के फल छोटे और कम मिठास वाले होते हैं।
- लीची की फसल में कम उत्पादन की संभावना : जलवायु परिवर्तन के कारण, लीची की फसल में देरी और पिछले वर्षों की तुलना में उत्पादन में कमी की आशंका है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। किसान इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकारी सहायता की मांग कर रहे हैं।
- भारत के कुल लीची उत्पादन में मुज़फ्फरपुर का महत्व : बिहार का मुज़फ्फरपुर जिला और इसके आसपास के क्षेत्र, जो भारत के कुल लीची उत्पादन में लगभग 40% तक का योगदान देते हैं, वहां की फसल की स्थिति राष्ट्रीय उत्पादन पर गहरा प्रभाव डालती है। इसलिए, यहाँ की फसल की स्थिति का भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
भारत में हीट वेव ( कड़ी गर्मी ) से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ :
बिहार में हालिया घटे हीट वेव (कड़ी गर्मी) से उत्पन्न चुनौतियाँ निम्नलिखित है –
- लीची के बागों पर हीटवेव का प्रभाव : बिहार में तीव्र धूप और शुष्क पछुआ हवाओं के कारण लीची के अपरिपक्व फलों की फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे फलों की गुणवत्ता और उसके उत्पादन की मात्रा में कमी आई है।
- राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (NRCL) ने किसानों को बढ़ते तापमान का सामना करने और फसलों में नमी को बनाए रखने के लिए अधिक सिंचाई की सलाह दी है। हालांकि, छोटे किसानों के लिए फसलों में नमी को बनाए रखने के लिए अधिक सिंचाई की इस बढ़ी हुई लागत को वहन करना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा हीट वेव से निपटने के लिए अपनाई गई पहल :
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा हीट वेव से निपटने के लिए निम्नलिखित पहलों और उपकरणों को अपनाया गया है –
प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का उपयोग करना :
- समय पर पूर्वानुमान जारी करना : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा अग्रिम रूप से, अक्सर कई दिनों पहले, हीट वेव के लिए चेतावनियाँ और पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं।
- रंग-कोडित प्रणाली के तहत अलर्ट जारी करना : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा हीट वेव की गंभीरता को वर्गीकृत करने के लिए रंग-कोडित प्रणाली (पीला, नारंगी, लाल) का उपयोग किया जाता है।
सहयोग और कार्य योजनाएँ :
- योजनाओं का विकास और क्रियान्वयन करना : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) साझेदारी में हीट वेव से निपटने के लिए योजनाओं का विकास और क्रियान्वयन करते हैं।
- जन जागरूकता अभियान चलाना : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) जनता को हीट वेव के जोखिमों और उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाता है।
- तापमान और आर्द्रता के संयोजन से हीट वेव का अधिक सटीक मूल्यांकन से संबंधित हीट इंडेक्स विकसित करना : भारत मौसम विज्ञान विभाग ने एक हीट इंडेक्स विकसित किया है जो तापमान और आर्द्रता के संयोजन से हीट वेव का अधिक सटीक मूल्यांकन करता है और जनता को हीट इंडेक्स के माध्यम से जागरूकता प्रदान करता है।
नवीन प्रौद्योगिकी का उपयोग करना :
- मोबाइल ऐप्स के माध्यम से हीट वेव से संबंधित चेतावनियों और मौसम की जानकारी प्रदान : ‘मौसम’ जैसे IMD के मोबाइल ऐप्स उपयोगकर्ताओं को उनके स्मार्टफोन पर सीधे हीट वेव से संबंधित चेतावनियों और मौसम की जानकारी प्रदान करते हैं।
- वेबसाइट और सोशल मीडिया के माध्यम से मौसम की जानकारी और हीट वेव अलर्ट साझा करना : भारत मौसम विज्ञान विभाग, उपयोगकर्ता-अनुकूल वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से मौसम की जानकारी और हीट वेव अलर्ट से संबंधित जानकारियों को साझा करता है।
इन पहलों के माध्यम से,भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) हीट वेव के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने और इससे निपटने के लिए समुदाय को सशक्त बनाने का प्रयास करता है।
समाधान / आगे की राह :
बिहार में लीची किसानों के सामने हीट वेव के कारण उत्पादन में कमी की चुनौतियाँ मौजूद है। इस समस्या का समाधान और आगे की राह इस प्रकार की हो सकती है –
- जल संरक्षण और जल संचयन तकनीकों का उपयोग करना : भारत में लीची किसानों को जल संचयन तकनीकों जैसे ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग का उपयोग करके पानी की बचत की जा सकती है।
- छायांकन / अस्थायी शेड नेट का उपयोग करना : भारत में लीची किसानों को पेड़ों को छाया प्रदान करने के लिए अस्थायी शेड नेट का उपयोग करना चाहिए ताकि लीची के फलों को सीधे धूप से बचाया जा सके।
- कृषि विज्ञान केंद्रों से वैज्ञानिक सलाह लेना : भारत में लीची किसानों को कृषि विज्ञान केंद्रों से सलाह लेकर लीची की फसलों की देखभाल के लिए उचित तरीके अपनाने चाहिए।
- फसल बीमा योजनाओं का लाभ उठाना : भारत में लीची किसानों को फसल बीमा योजनाओं का लाभ उठाकर लीची के फलों की उत्पादन की अनिश्चितताओं से बचाव किया जा सकता है।
- वैकल्पिक फसलों की खेती पर ध्यान देना : भारत में लीची किसानों को गर्मी केअनुकूल फसलों की ओर रुख करना भी एक विकल्प हो सकता है। जिससे उन्हें अन्य फसलों के उत्पादन जैसे विकल्प भी मिल सकता है और वे गर्मी के अनुकूल होने वाले फसलों का उत्पादन कर सकते हैं।
- भारत में किसानों को लीची के फलों से संबंधित नवीनतम अनुसंधान और तकनीकों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और सरकारी सहायता और सब्सिडी का लाभ भी उठाना चाहिए।
- इसके अलावा, बिहार के लीची किसानों को बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन और विपणन रणनीतियों को भी समझना जरूरी है।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं इंडियन एक्सप्रेस।
Download yojna daily current affairs hindi med 16th May 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत में हीट वेव ( कड़ी गर्मी ) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। ( UPSC – 2022)
भारत में लीची के उत्पादन के लिए अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
जब तापमान का विचलन 4.5°C से 6.4°C के बीच हो, तो उसे हीट वेव माना जाता है।
जब तापमान का विचलन 6.4°C से अधिक हो तो उसे गंभीर हीट वेव माना जाता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा हीट वेव की गंभीरता को वर्गीकृत करने के लिए रंग-कोडित प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. केवल 1 और 4
D. केवल 2 और 3
उत्तर – B
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. हीट वेव से आप क्या समझते हैं ? भारत में हीट वेव से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित करते हुए इसके समाधान की तर्कसंगत एवं विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए। ( UPSC – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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