Earth4All रिपोर्ट व भारत की स्थिति

Earth4All रिपोर्ट व भारत की स्थिति

Earth4All रिपोर्ट व भारत की स्थिति

संदर्भ-  27 मार्च, 2023 को क्रिस्टियानिया यूनिवर्सिटी कॉलेज, ओस्लो में एसोसिएट प्रोफेसर और Earth4All मॉडलिंग टीम के सदस्य बेनियामिनो कैलेगरी, और BI नॉर्वेजियन बिजनेस स्कूल में Earth4All प्रोजेक्ट लीड और सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी के निदेशक प्रति एस्पेन स्टोकनेस ने Earth4All पहल में दुनियाँ की आबादी से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित किया।

 Earth4All की रिपोर्ट- शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट को दो परिदृश्यों में पेश किया है-

  1. टू लिटिल टू लेट यदि आर्थिक विकास अगले पाँच दशकों में ऐसा ही रहा तो 2050 तक दुनियाँ की आबादी 8.6 बिलियन तक पहुँच जाएगी। तथा फिर वृद्धि दर में तेजी से कमी आएगी और सन 2100 तक यह 7 बिलियन हो जाएगी।
  2. द जाइंट लीप- यदि आर्थिक विकास अगले पाँच दशकों में ऐसा ही रहा तो 2040 तक दुनियाँ की आबादी 8.5 बिलियन तक पहुँच जाएगी। जनसंख्या उन्मूलन के कुछ प्रयासों के कारण वृद्धि दर में अचानक बहुत कमी आएगी और 2100 तक आबादी 6 बिलियन हो जाएगी। जबकि वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पैक्टस रिपोर्ट 2022 के अनुसार 2080 तक जनसंख्या 10.8 बिलियन तक पहुँच जाएगी। 

भारत की जनसांख्यिकी 

संयुक्त राष्ट्र डेटा के वर्ल्डोमीटर के अनुसार भारत की वर्तमान आबादी 1,417,496,334 है। जो विश्व की जनसंख्या का 17.7 % है। भारत की जनसंख्या घनत्व 464 प्रति वर्ग मीटर है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2023 में सबसे अधिक आबादी के रूप में चीन को पीछे छोड़ दिया है। अतः भारत की जनसांख्यिकी को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। 

द जाइंट लीप के अनुसार निम्न क्षेत्रों में सुधार करके जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित किया जा सकता है-

गरीबी उन्मूलन- गरीबी उस स्थिति को कहा जा सकता है जब व्यक्ति अपनी जीवन निर्वाह से संबंधित आवश्यकताओं को पूर्ण कर सकता है। इन बुनियादी आवश्यकताओं में शामिल हैं- भोजन, वस्त्र, घर, शिक्षा। भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण प्रतिदिन खर्च के आधार पर निर्धारित किया गया है, जो 2014 में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 32 रुपये और शहरी क्षेत्रों के लिए 47 रुपये निर्धारित किया गया था। भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए प्रयास किए गए- 

  • एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम, भारत में गरीबी उन्मूलन से संबंधित प्ऱथम प्रयास था जो 1978-79 में किया गया था। इसके तहत गरीब ग्रामीणों को बैंक द्वारा सब्सिडी य़ुक्त ऋण प्रदान किया गया ताकि वे अपनी आजीविका का निर्माण अथवा खोज कर सकें। इस प्रकार की कई योजनाएं गरीबी हटाने के लिए भारत में लागू की गई वर्तमान में प्रचालित प्रमुख योजनाएं दी जा रही हैं।
  • मनरेगा(महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005),के तहत ग्रामीणों को वर्ष में 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार प्राप्त होगा, जिसमें महिलाओं को एक तिहाई मजदूरी के लिए आरक्षित किया जाएगा।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है। इस योजना के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण और स्थापन के माध्यम से रोजगार, सामजिक एकजुटता और संस्था विकास, शहरी गरीबों को सब्सिडी, शहरी निराश्रय के लिए आश्रय आदि की व्यवस्था की गई।

बेरोजगार युवा आबादी-

  • भारत में 15- 60 वर्ष के बीच की आबादी का प्रतिशत लगभग 62 %है। 15-29 वर्ष की आयु की जनसंख्या 27.2 %है।
  • यूथ इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार 2036 तक भारत की जनसंख्या में युवाओं का प्रतिशत बुजुर्गों के प्रतिशत से कम होता जाएगा।
  • अनइंप्लॉइमेंट रेट इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में बेरोजगारी की दर 7.5 % है। शहरी बेरोजगारी 8.8% तथा ग्रामीण बेरोजगारी 6.9% है।
  • इसका कारण शिक्षा की कमी, कौशलयुक्त शिक्षा की कमी, महामारी का प्रभाव, लैंगिक समानता में कमी इसके महत्वपूर्ण कारक हैं।

लैंगिक समानता – यूनिसेफ के अनुसार हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का हकदार है, लेकिन उनके जीवन में लैंगिक असमानता के कारण में अनकी देखभाल में परिवर्तन आ जाता है जिससे वे समानता प्राप्त करने में स्वयं एक बाधा बन जाते हैं। 

भारत में लड़कियों और लड़कों के बीच न  केवल उनके घरों और समुदायों में वरन  पाठ्य पुस्तकों, फिल्मों, मीडिया आदि सभी जगह उनके साथ लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 में समानता का अधिकार दिया गया है जिसके तहत लिंग, जाति व धर्म के आधार पर भेदभाव प्रतिबंधित है। भारत में लैंगिक भेदभाव को कम करने के लिए कुछ प्रयास किए गए हैं जैसे-

  • बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
  • वन स्टॉप सेंटर
  • महिला हेल्पलाइन योजना
  • महिला शक्ति केंद्र
  • जेंडर बजटिंग आदि।

शिक्षा और स्वास्थ्य- भारत में शिक्षा को संविधान संशोधन 2002 के माध्यम से मौलिक अधिकार की श्रेणी मे रखा गया है। जिसके तहत 6-14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य है। भारत में स्वतंत्रता के बाद से अब तक साक्षरता दर में काफी सुधार हुआ है किंतु वेश्विक प्रतिस्पर्धा में अभी भी भारत बहुत पीछे है।  शिक्षा गुणवत्ता में सुधार हेतु भारत के वर्तमान प्रयास शिक्षा के डिजीटलीकरण पर आधारित हैं-

  • ई विद्या योजना
  • सुकन्या समृद्धि योजना
  • आकांक्षी जिलों का संकेतन
  • नवभारत साक्षरता कार्यक्रम
  • समग्र शिक्षा योजना आदि।

इनके साथ ही स्वास्थ्य में सुधार हेतु स्वास्थ्य का अधिकार को हाल ही मे राजस्थान में संवैधानिक दर्जा दिया गया है।

खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा- भारत में खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अनुसार, गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए वहनीय मूल्यों पर खाद्य सामग्री प्रदान की जाएगी। इसके द्वारा भारत में पोषण की सुविधा उपलब्ध की जाएगी। इसके तहत 75% ग्रामीण व 50% शहरी आबादी को कवरेज प्रदान किया जाना है। खाद्य व सुरक्षा प्रदान करने के लिए निम्न योजनाएं देश में लागू हैं-

  • पीएम- कुसुम योजना का उद्देश्य 2030 तक भारत में किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है, साथ ही गैरजीवाश्म ईंधन स्रोतों से बिजली की स्थापित क्षमता को 40% तक बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता का सम्मान करना है।
  • खाद्य का समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए भारत में कई योजनाएं प्रारंभ की गई इसके तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मिड डे मील, एकीकृत बाल विकास योजनाएं, खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत प्रारंभ की गई थी। यह योजनाएं कोविड 19 की आपातकालीन महामारी के समय व्यापक रूप से उपयोगी साबित हुई।

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