INS विक्रांत नौसेना

INS विक्रांत नौसेना

भारतीय नौसेना के बेड़े में एक और मजबूत हथियार के रूप में स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर ‘विक्रांत’ शामिल हो गया है। भारतीय नौसेना में शामिल होने के साथ ही भारत की समुद्री ताकत कई गुना बढ़ जाएगी और दुश्मन इससे थर-थर कापेंगे। आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने से पहले बेहद जटिल परीक्षण से गुजरा है। पिछले साल ही अगस्त में यह विमानवाहक पोत अपनी पांच दिवसीय समुद्रीय यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा किया था। इससे पहले पोत ने 10 दिवसीय समुद्री यात्रा पूरी की थी।

देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (एयरक्राफ्ट कैरियर ) “विक्रांत” 28 जुलाई 2022 गुरुवार को नौसना में शामिल हो गया है । कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने कोच्ची में इसे नौसेना के हवाले किया । ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के हिस्से के रूप में  कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने इसका निर्माण किया है, और नौसेना डिज़ाइन निदेशालय ने इसका डिजाईन तैयार किया है। 

  • वर्तमान में भारत के पास केवल रूसी मूल का आईएनएस विक्रमादित्य एकमात्र विमानवाहक पोत है ।

आईएनएस विक्रांत

  • इस स्वदेशी विमानवाहक पोत का नाम नौसेना के सेवामुक्त प्रथम वाहक के नाम पर ‘विक्रांत’ रखा गया है।
  • इसमें 30 विमानों का एक वायु घटक है, जिसमें स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों के अलावा मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर और जल्द ही नौसेना में शामिल होने वाले MH-60R मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर की तैनाती की जा सकेगी।
  • इसकी अधिकतम गति तकरीबन 30 समुद्री मील (लगभग 55 किमी. प्रति घंटा) है और इसे चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित किया जाता है। स्वदेशी विमानवाहक एक बार में 18 समुद्री मील (32 किमी. प्रति घंटे) की गति से 7,500 समुद्री मील की दूरी तय करने में सक्षम है।
  • इस विमानवाहक पर हथियारों के रूप में बराक LR SAM और AK-630 शामिल हैं, साथ ही इसमें सेंसर के रूप में MFSTAR और RAN-40 L3D रडार शामिल हैं। पोत में ‘शक्ति’ नाम का इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट भी मौजूद है।
  • इस विमानवाहक पोत में विमान संचालन को नियंत्रित करने के लिये ‘रनवे’ और ‘शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्टड रिकवरी’ सिस्टम भी मौजूद है।
    • स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत बनाने के लगभग साढ़े चार साल के बाद भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होगा। यह 45 हजार टन वजनी है।
    • यह काफी विशालकाय जहाज है। यह स्वदेशी युद्धपोत 262 मीटर लंबा तथा 60 मीटर चौड़ा है।
    • आईएनएस विक्रांत के लांच के साथ भारत कुछ गिने-चुने देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो इस प्रकार के जहाज का डिजाइन और निर्माण करने में सक्षम है। इस तरह के जहाजों का निर्माण करने दुनिया के कुछ चुनिंदा देश ही कर पाते हैं। इस पोत के आकार और क्षमता ने भारत को नई पहचान दिलाई है।
    • यह पोत एक साथ 30 फाइटर प्लेन को अपने साथ ले जाने में सक्षम है।
    • एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत में 14 डेक यानी 14 मंजिलें हैं।
    • इसको भारत में ही डिजाइन किया गया है। भारतीय स्टील आथारिटी ने इसमें सबसे अच्छी गुणवत्ता की युद्धपोत स्टील का प्रयोग किया है। इसकी स्टील इसको जबरदस्त मजबूती मिलती है।
    • आईएनएस विक्रांत के लगभग 76 प्रतिशत हिस्से को भारत में ही बनाया गया है। इसके लिए डीआरडीओ और भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड ने उच्च गुणवत्ता वाली स्टील का उपयोग किया है।
    • पोत को नौसेना डिजाइन निदेशालय ने डिजाइन किया है। इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में किया गया है।
    • जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है। इसकी अधिकतम स्पीड 28 नाटिकल मील है।
    • इसको बनाने में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है।

आईएनएस विक्रांत महत्त्व:

  • एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के पहले समुद्री परीक्षण अगस्त 2021 में सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए थे। इसके बाद अक्टूबर 2021 में दूसरे और जनवरी 2022 में तीसरे समुद्री परीक्षण भी पूरे कर लिए गए थे। विक्रांत के शामिल होने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत में और इजाफा हुआ है जिससे भारत की स्थिति हिन्द महासागर में और मजबूत होगी।
  • विमानवाहक पोत की लड़ाकू क्षमता, पहुँच और बहुमुखी प्रतिभा देश की रक्षा में मज़बूत क्षमताओं को जोड़ेगी और समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों को सुरक्षित रखने में मदद करेगी।
  • यह लंबी दूरी पर वायु शक्ति को प्रक्षेपित करने की क्षमता के साथ एक अतुलनीय सैन्य उपकरण की पेशकश करेगा, जिसमें हवाई अवरोध, सतह-विरोधी युद्ध, आक्रामक और रक्षात्मक काउंटर-एयर, हवाई पनडुब्बीरोधी युद्ध तथा हवाई पूर्व चेतावनी शामिल हैं।

भारतीय नौसेना की वर्तमान स्थिति:

  • समुद्री क्षमता परिप्रेक्ष्य योजना (Maritime Capability Perspective Plan) के अनुसार, वर्ष 2027 तक भारत के पास लगभग 200 जहाज़ होने चाहिये परंतु लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।
    • हालाँकि इसका कारण मुख्य रूप से वित्तपोषण नहीं बल्कि प्रक्रियात्मक देरी या स्वयं द्वारा लगाए गए कुछ प्रतिबंध हैं।
  • नौसेना के पास अत्याधुनिक सोनार और रडार हैं। इसके अलावा इसके कई जहाज़ों में स्वदेशी सामग्री की उच्च मात्रा इस्तेमाल की गई है।

कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में नौसेना का योगदान:

  • ऑपरेशन समुद्र सेतु- I: कोरोना वायरस के मद्देनज़र लागू किये गए यात्रा प्रतिबंधों के बीच विदेश में फँसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिये निकासी अभियान है।
    • यह खाड़ी युद्ध की शुरुआत में वर्ष 1990 में एयरलिफ्ट किये गए 1,77,000 लोगों की संख्या से भी आगे निकल गया है।
  • इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना के पोत जलश्व, ऐरावत, शार्दुल और मगर ने भाग लिया।
  • ऑपरेशन समुद्र सेतु-II
    • इस ऑपरेशन के हिस्से के रूप में सात भारतीय नौसेना जहाज़ों अर्थात् कोलकाता, कोच्चि, तलवार, टाबर, त्रिकंड, जलश्व तथा ऐरावत को विभिन्न देशों से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन-फील्ड क्रायोजेनिक कंटेनर्स और संबंधित मेडिकल इक्विपमेंट की शिपमेंट के लिये तैनात किया गया है।
    • दो जहाज़ INS कोलकाता और INS तलवार, मुंबई के लिये 40 टन तरल ऑक्सीजन लाने हेतु मनामा और बहरीन के बंदरगाहों में प्रवेश कर चुके हैं।
    • INS जलाश्व और INS ऐरावत भी इसी प्रकार के मिशन के साथ क्रमशः बैंकॉक और सिंगापुर के मार्ग पर हैं।

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