IPBES रिपोर्ट

IPBES रिपोर्ट

जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच (IPBES) जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मुद्दों पर विज्ञान और नीति के बीच इंटरफेस को बेहतर बनाने के लिए स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की समान भूमिका निभाना है।

  • इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज़ (IPBES) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगली प्रजातियों का सतत् उपयोग अरबों लोगों की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है।
    • वैश्विक स्तर पर 140 देशों के प्रतिनिधि वन्यजीवों के सतत् उपयोग पर चर्चा करने और बेहतर परिणाम पर पहुंँचने के लिये एक साथ आए।
    • इस मूल्यांकन के तहत जंगली प्रजातियों के लिये उपयोग की जाने वाली पाँच श्रेणियों की प्रथाओं को शॉर्टलिस्ट किया गया है-
      • मछली पकड़ना, इकट्ठा करना, लॉगिंग करना, स्थलीय पशु का शिकार जैसी गैर-निष्कर्षण प्रथाओं का अवलोकन।
    • चार साल की अवधि के बाद जारी की जाने वाली यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है।

IPBES की पहल:

  • भविष्य में जंगली प्रजातियों के सतत् उपयोग की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य के तहत विविध मूल्य प्रणालियों का एकीकरणसांस्कृतिक मानदंडों, लागत और लाभों का समान वितरण,  सामाजिक मूल्यों एवं प्रभावी संस्थानों तथा शासन प्रणालियों में परिवर्तन करके लक्ष्य के प्राप्ति की जा सकती है ।
  • जहांँ भी संभव हो असंधारणीय/असतत जंगली प्रजातियों के उपयोग के कारणों को संबोधित करना और  इन प्रवृत्तियों में बदलाव के द्वारा  जंगली प्रजातियों और उनपर निर्भर लोगों की जीविका को बिना क्षति पहुंचाए बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे
  • यह विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है कि वैज्ञानिकों और विभिन्न वैज्ञानिक पद्धतियों का स्वदेशी लोगों को प्रशिक्षण प्रदान कर जंगली प्रजातियों के सतत् उपयोग को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।
    • अधिकांश राष्ट्रीय ढांँचे और अंतर्राष्ट्रीय समझौते आर्थिक एवं शासन के मुद्दों सहित पारिस्थितिक तथा कुछ सामाजिक विचारों पर ज़ो देना जारी रखे ुए हैं, जबकि सांस्कृतिक संदर्भों पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
  • मछली पकड़ने में वर्तमान अक्षमताओं में सुधारअवैधअसूचित और अनियमित मछली पकड़ने को कम करनाहानिकारक वित्तीय सब्सिडी में कमीछोटे पैमाने पर मत्स्य पालन का समर्थन करना, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री उत्पादकता में परिवर्तन को सक्रिय रूप से प्रभावी सीमा तक सक्षम बनाने से स्थायी उपयोग में मदद मिलेगी।
    • मज़बूत मत्स्य प्रबंधन वाले देशों में स्टॉक में बहुतायत में वृद्धि देखी गई है। उदाहरण के लिये अटलांटिक ब्लूफिन टूना आबादी का पुनर्विकास किया गया है और अब इसका टिकाऊ आधार पर मत्स्यन किया जा रहा है।
  • लकड़ी के संदर्भ में इसे कई उपयोगों के लिये वनों के प्रबंधन और प्रमाणीकरण की आवश्यकता होगी, लकड़ी के उत्पादों के निर्माण में कचरे को कम करने के लिये तकनीकी नवाचार और आर्थिक एवं राजनीतिक पहल आवश्यक है, जो भूमि अधिग्रहण सहित स्वदेशी लोगों तथा स्थानीय समुदायों के अधिकारों को मान्यता देती है।

आईबीपीईएस

  • यह  वर्ष 2012 में सदस्य राज्यों द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है।
  • यह जैवविविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग, दीर्घकालिक मानव कल्याण, सतत् विकास के लिये जैवविविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं हेतु विज्ञान-नीति इंटरफेस (science-policy interface) को मज़बूत करता है।
  • जंगली प्रजातियों पर निर्भरता:

    • वैश्विक स्तर पर विश्व की कुल आबादी का लगभग 70% गरीब आबादी सीधे तौर पर जंगली प्रजातियों पर निर्भर है।
    •  विश्व की कुल आबादी का लगभग 20% लोग अपना भोजन जंगली पौधों, शैवाल और कवक से प्राप्त करते हैं।
  • आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत:

    • लाखों लोगों दारा जंगली प्रजातियों का उपयोग आय के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में करते है।
    • वैश्विक औद्योगिक राउंडवुड के व्यापार का दो-तिहाई हिस्सा  जंगली पेड़ प्रजातियों में जंगली पौधों, शैवाल और कवक के अंतर्गत शामिल है, यह एक अरब डॉलर का उद्योग हैै और यहाँ तक कि जंगली प्रजातियों का गैर-निष्कर्षण भी एक बड़ा व्यवसाय है।
  • स्थानीय स्तर पर भिन्नताएँ:

    • कुल समुद्री जीव प्रजातियों में से लगभग  34% समुद्री जंगली मछली स्टॉक ओवरफिश हैं और 66% जैविक रूप से टिकाऊ स्तरों के भीतर है, इस वैश्विक तस्वीर में महत्त्वपूर्ण स्थानीय और प्रासंगिक भिन्नताएँ हैं।
  • वृक्षों की सतत् कटाई:

    • जंगली पेड़ों की स्थायी कटाई से अनुमानित 12% प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा है।
    • कई पौधों के समूहों के अस्थिर जमाव मुख्य खतरों में से एक, विशेष रूप से कैक्टि, साइकैड और ऑर्किड ।
    • अस्थिर शिकार को 1,341 जंगली स्तनपायी प्रजातियों के लिये एक खतरे के रूप में पहचाना गया है, जिसमें बड़ी-बड़ी प्रजातियों में गिरावट आई है, जिनमें वृद्धि की कम प्राकृतिक दर भी शिकार के दबाव से जुड़ी हुई है।
  • जंगली प्रजातियों के सतत् उपयोग:

    • विकासशील देशों में ग्रामीण लोगों को जंगली प्रजातियों के निरंतर उपयोग से सबसे अधिक खतरा होता है, पूरक विकल्पों की कमी के कारण वे अक्सर पहले से ही खतरे में पड़ी जंगली प्रजातियों का दोहन करने के लिये मजबूर होते हैं।
      • विभिन्न प्रथाओं के माध्यम से लगभग 50,000 जंगली प्रजातियों का उपयोग किया जाता है, जिसमें सीधे मानव भोजन (Human Food) के लिये 10,000 से अधिक जंगली प्रजातियाँ काटी जाती हैं।
  •  जंगली प्रजातियों को खतरा:

    • कुछ प्रजातियों का सांस्कृतिक महत्त्व है क्योंकि वे कई लाभ प्रदान करते हैं जो लोगों की सांस्कृतिक विरासत की मूर्त और अमूर्त विशेषताओं को परिभाषित करते हैं।
    • जंगली प्रजातियों का उपयोग भी ऐसे समुदायों के लिये सांस्कृतिक रूप से सार्थक रोज़गार का एक स्रोत है और वे सहस्राब्दियों से जंगली प्रजातियों एवं सामग्रियों के व्यापार में लगे हुए हैं।
    • जंगली चावल (ज़िज़ानिया पलुस्ट्रिस एल) एक सांस्कृतिक कीस्टोन प्रजाति है, जो उत्तरी अमेरिका के ग्रेट लेक्स क्षेत्र में कई स्वदेशी लोगों के लिये भौतिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक जीविका प्रदान करती है।
  • चालक जलवायु परिवर्तन और खतरा

    • भूमि और समुद्री दृश्य जैसे चालक जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ जंगली प्रजातियों की बहुतायत और वितरण को प्रभावित करते हैं तथा उन मानव समुदायों के बीच तनाव एवं चुनौतियों को बढ़ा सकते हैं जो उनका उपयोग करते हैं।
  • जंगली प्रजातियों का अवैध व्यापार:

    • पिछले चार दशकों में जंगली प्रजातियों के वैश्विक व्यापार में मात्रा, मूल्य और व्यापार नेटवर्क में काफी विस्तार हुआ है।
    • जंगली प्रजातियों का अवैध व्यापार सभी अवैध व्यापार के तीसरे सबसे बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, इसका अनुमानित वार्षिक मूल्य USD199 बिलियन तक है। लकड़ी और मछली जंगली प्रजातियों में अवैध व्यापार की सबसे बड़ी मात्रा व मूल्य का निर्माण करते हैं।

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi med 11th July

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