01 Apr जलवायु परिवर्तन और जल संरक्षण एवं संवर्धन की जरूरत
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
सामान्य अध्ययन – जल संरक्षण, भारत में जल संकट और नागरिक जनजीवन, सतत विकास, विश्व जल दिवस 2024, वर्षा जल संरक्षण, प्रबंधन एवं संवर्धन, कैच द रेन अभियान
ख़बरों में क्यों ?
- हाल ही में केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार – दक्षिण भारत के सभी जलाशयों में कुल जल धारण क्षमता का मात्र 23 प्रतिशत पानी उपलब्ध है। यह आवर्ती दशकीय औसत से नौ प्रतिशत अंक कम है जो भारत में जल संकट की भयावहता को बताता है।
- केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के पूर्व भी वर्ष 2017 में दक्षिण भारत को गर्मियों में जल संकट का सामना करना पड़ा था। इस वर्ष जल संकट की समस्या कुछ अन्य कारणों से अलग और बदतर होने की ओर अग्रसर है।
- कर्नाटक के 236 तालुकों में से 223 सूखे से प्रभावित हैं, जिनमें बेंगलुरु के पानी के स्रोत मांड्या और मैसूरु जिले भी शामिल हैं।
- भारत में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, आने वाले महीनों में कर्नाटक भर के लगभग 7,082 गांवों में पीने के पानी का संकट पैदा होने का खतरा है।
- भारत की मानसून विभिन्न कारकों से प्रभावित होता है। जिसमें से एक प्रमुख कारक अल – नीनो है जिसने भारतीय मानसून को और अधिक अनियमित बना दिया है।
- वर्ष 2014-16 में अल नीनो – की घटना हुई थी, लेकिन यह परिघटना इतना महत्वपूर्ण था कि भारत के समकालीन इतिहास की पांच सबसे मजबूत परिघटनाओं में से एक है।
- भारत में अल नीनो के प्रभाव से भारतीय मानसून में अनियमितता उत्पन्न होती रहती है।
- जलवायु परिवर्तन होने के कारण वर्ष 2023 में रिकॉर्ड गर्मी के बाद 2024 में भी गर्मी की मौजूदा स्थिति और बदतर होने की आशंका है।
- यूनाइटेड किंगडम के मौसम विज्ञान कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2026 तक रिकॉर्ड तोड़ने वाली गर्मी हो सकती है।
- जलवायु परिवर्तन होने से भारत की कृषि व्यवस्था जो मानसून पर ही निर्भर होती है को और अधिक घातक प्रभाव झेलना होगा। अतः भारत सरकार को भी अपने सतत विकास की नीतियों के कार्यान्वयन में सकारात्मक बदलाव करने की जरूरत है।
- हाल ही में 22 मार्च 2024 को पूरी दुनिया में ‘ विश्व जल दिवस ’ ‘मनाया गया।
- वर्ष 1993 से प्रतिवर्ष 22 मार्च को आयोजित होने वाला विश्व जल दिवस, संयुक्त राष्ट्र का एक वार्षिक दिवस है। जिसका मुख्य उद्देश्य – मीठे पानी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना है।
- विश्व जल दिवस का मुख्य उद्देश्य – सुरक्षित पानी तक पहुंच के बिना रहने वाले लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
- विश्व जल दिवस 2024 का मुख्य विषय या थीम “ शांति के लिए जल का लाभ उठाना ” है।
- हाल ही में भारत के जल शक्ति मंत्रालय ने वर्षा जल संचयन और अन्य टिकाऊ जल प्रबंधन प्रणालियों के लिए ‘ जल शक्ति अभियान : कैच द रेन – 2024 अभियान ’ प्रारंभ किया है।
- भारत में यह कार्यक्रम ‘नारी शक्ति से जल शक्ति’ थीम पर आधारित था। जो जल शक्ति मंत्रालय के पांचवें संस्करण के अभियान के रूप में,नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया था।
- भारत ‘ नारी शक्ति से जल शक्ति ’ अभियान के द्वारा महिला सशक्तिकरण और जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करना चाहता है।
- भारत में आयोजित इस कार्यक्रम में ‘ जल शक्ति अभियान 2019 से 2023 – जल सुरक्षा की ओर अग्रसर एक सार्वजनिक नेतृत्व वाला आंदोलन ’ नामक वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग और दो पुस्तकों – ‘जल शक्ति अभियान: 2019 से 2023’ और ‘101 जल जीवन मिशन के चैंपियन और महिला जल योद्धाओं की वार्ता ’ का अनावरण भी किया गया।
विश्व जल दिवस का इतिहास :
- सन 1992 में ब्राजील में हुए पर्यावरण और विकास सम्मेलन में ‘विश्व जल दिवस’ को मनाए जाने एवं स्वच्छ जल की उपलब्धता विषय का प्रस्ताव पारित किया गया।
- सयुंक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 1992 में इस प्रस्ताव को अपनाते हुए वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष 22 मार्च को ‘विश्व जल दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की।
- अतः पहली बार वर्ष 1993 में ‘विश्व जल दिवस’ मनाया गया।
- वर्ष 2010 में यूएन ने सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अधिकार को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी।
- सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अधिकार को मानव अधिकार के रूप में मान्यता देने का मुख्य उद्देश्य वैश्विक जल संकट पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना है।
विश्व जल दिवस का महत्व :
- विश्व जल दिवस का मुख्य लक्ष्य सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6 की उपलब्धि का समर्थन करना है।
- विश्व जल दिवस मनाने का मुख्य वैश्विक स्तर पर 2030 तक सभी के लिए साफ जल और स्वच्छता उपलब्ध करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
वर्तमान समय में जल संरक्षण की जरूरत क्यों ?
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, स्वच्छता, साफ-सफाई और साफ पानी की कमी से होने वाली बीमारियों से हर साल 14 लाख लोगों की मौत हो जाती है। विश्व के लगभग 25% आबादी के पास स्वच्छ जल तक पहुंच नहीं है और लगभग आधी वैश्विक आबादी के पास स्वच्छ शौचालयों का अभाव है। वर्ष 2050 तक जल की वैश्विक स्थिति 55% तक बढ़ने का अनुमान है।
- मानव जीवन में जल रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए अत्यंत आवश्यक है। जल का उचित उपयोग मीठे जल के भंडारों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- एक व्यक्ति एक दिन में औसतन 45 लीटर तक पानी अपने दैनिक गतिविधियों के माध्यम से बर्बाद कर देता है। इसलिए, दैनिक जल उपयोग में कुछ बदलाव करने से भविष्य में उपयोग के लिए काफी मात्रा में जल बचाया जा सकता है।
- दुनिया भर में लगभग 3 अरब से अधिक लोग जल की निर्भरता के कारण दूसरे देशों में पलायन करते हैं।
- विश्व भर में केवल 24 देशों के पास साझा जल उपयोग के लिए सहयोग समझौते हस्ताक्षर हुए हैं।
भारत में जल प्रबंधन के समक्ष चुनौतियाँ :
भारत में जल प्रबंधन के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियाँ विद्यमान है-
- जल की मांग और पूर्ति के मध्य अंतर को कम करना।
- खाद्य उत्पादन के लिये पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना और प्रतिस्पर्द्धी मांगों के बीच उपयोग को संतुलित करना।
- महानगरों और अन्य बड़े शहरों की बढ़ती मांगों को पूरा करना।
- अपशिष्ट जल का उपचार।
- पड़ोसी देशों के साथ – साथ राज्यों के बीच पानी का बँटवारा करना।
समाधान की राह :
- भारत में दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन लगभग 4 प्रतिशत लोगों को ही पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध है।
- भारत में लगभग 90 मिलियन जनसंख्या को सुरक्षित पानी तक पहुंच नहीं है। भारत की सामान्य वार्षिक वर्षा 1100 मिमी है जो विश्व की औसत वर्षा 700 मिमी से अधिक है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार – जून से अगस्त 2023 के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून 42 प्रतिशत जिलों में सामान्य से नीचे रहा है। अगस्त 2023 में देश में बारिश सामान्य से 32 प्रतिशत कम और दक्षिणी राज्यों में 62 प्रतिशत कम थी।
- 1901 के पश्चात अर्थात पिछले 122 वर्षों में भारत में पिछले वर्ष अगस्त में सबसे कम वर्षा हुई।
- भारत में हुई कम वर्षा से न केवल भारतीय कृषि पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि इससे देश के विभिन्न क्षेत्रों में पानी की भारी कमी होने की प्रबल संभावना भी हो सकती है।
- भारत में एक वर्ष में उपयोग की जा सकने वाली पानी की शुद्ध मात्रा 1,121 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) अनुमानित है।
- जल संसाधन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 में कुल पानी की माँग 1,093 बीसीएम और 2050 में 1,447 बीसीएम होगी। परिणामस्वरूप अगले 10 वर्षों में पानी की उपलब्धता में भारी कमी की संभावना है।
- भारत विश्व में भूजल का सबसे अधिक दोहन करता है। यह मात्रा विश्व के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े भूजल दोहन-कर्ता (चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका) के संयुक्त दोहन से भी अधिक है।
- फाल्कनमार्क वॉटर इंडेक्स के अनुसार भारत में लगभग 76 प्रतिशत लोग पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार – वर्ष 2030 तक देश की जल मांग मौजूदा उपलब्ध आपूर्ति की तुलना में दोगुनी हो जाएगी।
- आधुनिक तकनीकों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रिमोट सेंसिंग आदि का उपयोग करके पानी की खपत को मापा और सीमित किया जा सकता है।
- भारत में जल स्रोतों का विस्तार, जल दक्षता में सुधार और जल संसाधनों की रक्षा करने से पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
- भारत में जल संकट से उबरने और जल संवर्धन के लिए बरीड क्ले पॉट प्लांटेशन सिंचाई जैसे तकनीकी उपायों का भी उपयोग किया जा सकता है, जिससे पानी की बचत और फसल की उत्पादकता में सुधार किया जा सकता हैं।
- भारत में भारत में जल संकट से उबरने और जल संवर्धन के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जल संसाधनों की संरक्षा के लिए सरकारी स्तर पर नीतियों में सुधार किया जाए और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों का विस्तार किया जाए ताकि पानी की सटीक और सही खपत की सुनिश्चित किया जा सके।
- भारत में जल संरक्षण एवं भूजल रिचार्ज के लिए वाटरशेड मैनेजमेंट एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
- भारत में जल संग्रहण के विकास का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल की एक-एक बूंद का सरंक्षण, मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करना, मिट्टी की नमी और पुनर्भरण (रिचार्ज) को बढ़ाना, मौसम की प्रतिकूलताओं के बावजूद प्रति यूनिट क्षेत्र और प्रति यूनिट जल की उत्पादकता को अधिकतम करना है।
- भारत में जल संरक्षण की परंपरागत प्रणाली पर भी विशेष बल दिया जाना चाहिए।
- भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बहने वाली नदियां बारहमासी बनी रहें, इसके लिए सरकारी स्तर पर नीति – निर्माण करना और जल संरक्षण के लिए प्रयास किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
- भारत के ग्रामीण इलाकों में जल बजटिंग और जल ऑडिटिंग की स्पष्ट रूपरेखा बनाने के साथ-साथ प्रत्येक क्षेत्र में एक जल बैंक स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है।
- जल संरक्षण में भूजल वैज्ञानिकों के साथ समाज में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए समय-समय पर संगोष्ठी एवं सेमिनार आयोजित किए जाने चाहिए। वर्तमान परिस्थिति में इस समस्या के स्थायी समाधान हेतु जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे।
- भारत में जल प्रशासन संस्थानों के कामकाज में नौकरशाही, गैर-पारदर्शी और गैर-भागीदारी वाला दृष्टिकोण अभी भी जारी है। अतः इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि देश के जल प्रशासन में सुधार की आवश्यकता है।
- यह आवश्यक है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की विश्वसनीय जानकारी और उससे संबंधित आँकड़े हमें जल्द-से-जल्द उपलब्ध हों ताकि समय रहते इनसे निपटा जा सके और संभावित क्षति को कम किया जा सके। अतः भारत में भूजल स्तर को बढ़ाने और भूजल उपयोग को विनियमित करने संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय अतिशीघ्र लिए जाने की जरूरत है।
- देश में नदियों की स्थिति दयनीय है। अतः नदियों की स्थिति पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है।
- भारत में जल प्रबंधन अथवा संरक्षण संबंधी नीतियाँ मौज़ूद हैं, परंतु समस्या उन नीतियों के कार्यान्वयन के स्तर पर है। भारत में जल संवर्धन की नीतियों के कार्यान्वयन में मौजूद शिथिलता को दूर कर उसके बेहतर तरीके से क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया जाना चाहिए जिससे देश में जल के कुप्रबंधन की सबसे बड़ी समस्या से निपटा जा सके।
- भारत जैसे निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों पर जलवायु परिवर्तन एक साथ कई संकट पैदा करके ज्यादा घातक असर डालेगा। जहां यह प्रक्रिया मौसम की घटनाओं के सह-विकसित होने के तरीके को बदल देगी, वहीं यह उनकी आवृत्ति को भी कुछ इस तरह प्रभावित करेगी कि दो घटनाओं के एक साथ घटित होने की संभावना पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ जायेगी – मसलन सूखा और बीमारी का प्रकोप, जिसके चलते हाशिए पर रहने वाले समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और बदतर होगी।
- सरकारों और नीति निर्माताओं को यह ध्यान रखने की ज़रूरत है कि भविष्य में आने वाले अन्य संकट सिर्फ जलवायु परिवर्तन के कारण पानी से जुड़ा होगा।
Download yojna daily current affairs hindi med 1st April 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1 जलवायु परिवर्तन के सापेक्ष भारत में जल संरक्षण प्रबंधन एवं संवर्धन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत की मानसून अल – नीनो जैसे बाह्य कारको से भी प्रभावित होती है।
- भारत में जल संरक्षण एवं भूजल रिचार्ज के लिए वाटरशेड मैनेजमेंट एक अच्छा विकल्प है।
- विश्व जल दिवस 2024 का मुख्य विषय/ थीम ‘शांति के लिए जल का लाभ उठाना’ है।
- भारत में विश्व जल दिवस 2024 का मुख्य थीम नारी शक्ति से जल शक्ति था।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. इनमें से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी ।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1.जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न विभिन्न खतरों को रेखांकित करते हुए भारत में जल संरक्षण, प्रवंधन एवं संवर्धन की राह में आने वाली चुनौतियों और उसके समाधान पर विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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