अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस। 

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस। 

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस। 

संदर्भ- 15 सितम्बर को विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। 

लोकतंत्र– वर्तमान में लगभग सम्पूर्ण विश्व लोकतंत्र के शासन से संचालित होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से लोकतंत्र का उदय सर्वप्रथम अमेरिका में हुआ। अमेरिकी क्रांति के बाद 1789 में लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ। अमेरिका के बाद फ्रांस में भी राजतंत्र के विरुद्ध जनता में क्रांति का संचार हुआ। क्रांति के असफल होने के बाद भी विश्व को लोकतंत्र के दो आधार समानता व स्वतंत्रता प्राप्त हुए। इसी प्रकार इंग्लैण्ड में हुई क्रांति के बाद सम्राट जेम्स द्वितीय को भी राजतंत्र छोड़ना पड़ा था। रूस में हुई क्रांति से जार निकोलस द्वितीय को राजशाही छोड़नी पड़ी थी।

लोकतंत्र क्या है?

  • अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन के अनुसार जनता का शासन, जनता द्वारा, जनता के लिए है।
  • राधाकृष्णन विश्वविद्यालय आयोग  की रिपोर्ट के अनुसार लोकतंत्र एक राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं जीवन यापन की रीति भी है। लोकतंत्र समान अधिकार व समान स्वतंत्रता के सिद्धांत पर आधारित है।
  • लोकतंत्र सामान्यतः जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा जनता के लिए की गई एक सुनियोजित व्यवस्था है।

भारत में लोकतंत्र-  भारतीय प्राचीन इतिहास में विविध शासन प्रणाली देखने को मिली है। राजतंत्र व गणतंत्र दोनों ही भारतीय शासन व्यवस्था का अंग रही है। वर्तमान में प्रचलित लोकतंत्र की अवधारणा को अपनाने का निर्णय भारत में स्वतंत्रता के बाद लिया गया। संविधान निर्माण के साथ लोकतंत्र को 1950 में अपनाया गया।  

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस

  • अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस की स्थापना 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक प्रस्ताव के माध्यम से की गई थी। जिसमें सरकारों को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।
  • पहली बार यह दिवस 2008 में मनाया गया था। जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताएँ, कार्यशालाएँ, वादविवाद, संगठनों की वार्ताएँ शामिल थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के पिछले विषय(theme) मजबूत लोकतंत्र, सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडा के लिए लोकतंत्र का महत्व, नगरिकों की आवाज को मजबूत करना, संवाद और समावेशिता, जवाबदेही व राजनीतिक सहिष्णुता शामिल हैं।

चुनौतियाँ- 

  • इण्टर पार्लियामेण्ट यूनियन के अनुसार विश्वभर में लोकतंत्र के लिए 5 चुनौतियाँ हैं-
  1. विघटन-राजनैतिक निर्णयों में नागरिकों का प्रतिनिधित्व न होना, विश्व संसदीय रिपोर्ट के अनुसार प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए, सूचना, शिक्षा, संचार, परामर्स व भागीदारी का होना आवश्यक है।
  2. प्रौद्योगिकी- विश्व संसदीय रिपोर्ट के अनुसार दुष्प्रचार व जनमत में हेरफेर से प्रभावी संचार व लोकतंत्र प्रभावी होता है।
  3. राजनीति में युवाओं की कमी- विश्व की 50% आबादी युवाओं की है लेकिन 2.6% युवा ही सांसद हैं।
  4. लिंग असंतुलन- वर्तमान में विश्वभर में संसदीय सीटों में 26.4% ही महिला सांसद हैं, इनका अनुपात बढ़ाने के लिए सांसद सीटों में महिलाओं को विशेष आरक्षण दिया जा रहा है।
  5. जलवायु संकट- पूरी दुनिया में जलवायु संकट चरम पर है, जिसके कारण गरीबी, भोजन की कमी, आबादी के विस्थापन जैसी घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं और असमानता की खाई को बढ़ा रहा है। जो संसदीय प्रणाली के लिए एक संकट है।

आगे की राह – 

yojna daily current affairs hindi med 15 September

No Comments

Post A Comment