जल संरक्षण योजनाएं

जल संरक्षण योजनाएं

जल संरक्षण योजनाएं

संदर्भ- हाल ही में आध्यात्मिक संस्था ब्रह्मकुमारी व केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय में संयुक्त जल जन अभियान शुरु किया है जिसके तहत जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रवापी अभियान चलाया जाएगा। सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि प्रकृति के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाने की आवश्यकता है जो भारत की आध्यात्मिकता का हिस्सा है। 

जल संरक्षण

भविष्य की जल संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए वर्तमान जल की स्वच्छता, सुरक्षा व सूजबूझ के साथ प्रयोग ही जल संरक्षण है। पानी की कमी आज भारत समेत कई देशों के कई राज्यों में देखी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में कई बालिकाओं के विद्यालय न जाने का एक कारण यह भी है कि वहां पानी की कमी है और उनके दिन का आधे से अधिक समय पानी की आवश्यकता पूर्ण करने हेतु लम्बी दूरी तय करने में निकल जाता है।

भारत सरकार द्वारा जल संरक्षण हेतु किए गए प्रयास

(1) नमामि गंगे नदी संरक्षण योजनानमामि गंगे एक एकीकृत केंद्रीय कार्यक्रम है जिसे गंगा नदी के संरक्षण व प्रदूषण मुक्त करने के लिए 2014 में प्रारंभ किया गया था। इसे उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हिमांचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान आदि। इस परियोजना को तीन स्तरों में विभाजित किया गया है-

  • शुरुआती स्तर- इसमें तत्काल प्रभाव वाले क्षेत्रों को लिया गया जिसके तहत नदी के ऊपरी सतह की सफाई, बहते कचरे का निपटान, गांवों से आने वाली गंदगी को रोकना, गांवों में शौचालयों का निर्माण, अधजले शवों में बहाने से रोकना आदि।
  • मध्यम अवधि स्तर- मध्यम आवधि की गतिविधियों के प्रभाव लगभ 5 साल में दिखने प्रारंभ हो जाएंगे। नगर निगम से आने वाले कचरे की समस्या को हल करने के लिए 5 वर्षों में 2500 एमएलडी का निर्माण किया जाएगा। 
  • दीर्घकालीन स्तर- इसके लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप प्रोग्राम की योजना भी प्रस्तावित है। औद्योगिक प्रदूषण कम करने हेतु कार्ययोजना बनाई जा चुकी है।

(2) कैच द रेन आंदोलन- यह आंदोलन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च 2022 को शुरु किया गया था। जिसे Catch the Rain : Where it falls, When it falls कहा गया। इस अभियान को देश में जनभागिता से वर्षा के पानी का संरक्षण करने के लिए शुरु किया गया था। इसके तहत 11-12 लाख संरचनाओं का निर्माण जल संचयन के लिए होना है, शहरी क्षेत्रों में रूफटॉप संरचनाओं का निर्माण प्रस्तावित है।

(3) अटल भू जल योजना- अटल भूजल योजना, सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश पर भू जल के प्रबंधन के लिए प्रारंभ की गई है। इस योजना के तहत दो घटक हैं- 

  • क्षमता निर्माण घटक- इसके तहत राज्यों को भूजल प्रबंधन करने में सक्षण बनाया जाएगा। इसके लिए 1400 करोड़ की राशि निर्धारित की गई है।  
  • प्रोत्साहन घटक- इस घटक के अंतर्गत भूजल के स्तर को बढ़ाने के लिए सामुदायिक भागीदारी, मांग प्रबंधन पर जोर दिया जाना है। जिसके लिए 4600 करोड़ की राशि निर्धारित की गई थी।

(4) अमृत सरोवर योजनायह परियोजना जनभागीदारी पर आधारित है, इसमें स्वतंत्रता सेनानी व उनके परिवार के सदस्य, शहीदों के परिवार, पद्म पुरस्कार विजेता व स्थानीय नागरिकों को शामिल होना है। इस परियोजना में प्रत्येक जिले में 75 तालाबों/सरोवरों का निर्माण होना है। 

(5) कम सिंचाई वाली फसलों को प्राथमिकता- पानी का सबसे अधिक प्रयोग होने वाले क्षेत्रों में सिंचाई का सबसे अधिक योगदान रहता है। वर्तमान जल संकट को देखते हुए कम सिंचाई वाले फसलों के उपयोग व उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। जैसे वर्तमान में बाजरा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2023 को बाजरा वर्ष घोषित किया गया है।

(6) पारंपरिक तकनीक- भारत में पारंपरिक रूप से प्रकृति को पूजा जाता है जिसमें जल स्रोत प्रमुख है। मंदिर की तरह उनकी सुरक्षा की जाती थी। उत्तराखण्ड में आज भी जल स्रोतों को वैवाहिक जोड़ों द्वारा पूजा जाता है और उसके बाद ही पीने योग्य पानी वहां से एकत्रित किया जाता है। ये परंपराएं स्थानीय लोगों की भावनाओं से जुड़ी होती हैं जिससे वे स्थानीय जल स्रोतों का संरक्षण करते हैं। इसी प्रकार की परंपराओं को जागृत करने के लिए ब्रह्मकुमारी संस्था के साथ सरकार ने संयुक्त अभियान प्रारंभ किया है।

स्रोत

No Comments

Post A Comment