नारिकुरवर और कुरीविकरण

नारिकुरवर और कुरीविकरण

नारिकुरवर और कुरीविकरण

संदर्भ हाल ही में नारिकुरवर व कुरीविकरण जाति को संसद में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त हो गया है। वर्तमान में इन आदिवासियों की संख्या बहुत कम है और स्वतंत्रता के बाद आज तक वे अपने अधिकारों से वंचित हैं।

नारिकुरवर-

  • भारत के तमिलनाडु राज्य का एक समुदाय है।
  • नारिकुरुवर का शाब्दिक अर्थ गीदड़ पकड़ने वाला होता है।
  • समुदाय अपने जीवन निर्वाह के लिए शिकार संबंधी गतिविधियोंं के साथ पारंपरिक कला जैसे मोतियों के हार बनाना व बेचना पर निर्भर रहते हैं, आजीविका के लिए उन्हें घुमक्कड़ का जीवन व्यतीत करना पड़ता है, जिस कारण वे स्कूली शिक्षा से दूर होते चले गए। 
  • शहरी परिवेश में आने के बाद यह अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
  • कुरीविकरण जाति भी नारिकुरिवर के समान है लेकिन इनके पहनावे में अंतर है।

सांवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष-

लोकुर समिति- सर्वप्रथम नारिकुरवर और कुरुविकरण के सांविधानिक अधिकारों के लिए लोकुर समिति ने सिफारिश की थी। इसके साथ ही समिति में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने के लिए 5 अभिलक्षणों का होना आवश्यक बताया गया-

  • विशिष्ट संस्कृति
  • आदिम लक्षणों के संकेत
  • भौगेलिक अलगाव 
  • पिछड़ापन
  • संकोची व संवेदनशील स्वभाव।

1980 में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने नारिकुरवरों को ST दर्जा दिलाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया। 2013 में यूपीए सरकार द्वारा समुदाय को एसटी दर्जें में शामिल करने के लिए बिल जारी किया गया। अंततः संवैधानिक (अनुसूचित जनजाति) आदेश( द्वितीयक संशोधन) विधेयक 2022 को संसद में पास कर, समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर दिया गया है। 

समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की प्रक्रिया-

  1. समुदाय, लोकुर समिति में उल्लेखित विशेषताओं वाला हो।
  2. राज्य सरकारें उक्त समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने हेतु सिफारिश करती हैं।
  3. जनजातीय मामलों के मंत्रालय सिफारिश की समीक्षा करते हैं। तथा महापंजीयक इसका अनुमोदन करते हैं।
  4. जनजातीय आयोग से अनुमोदन लेने के बाद कैबिनेट को इसकी सूची भेजी जाती है।
  5. लोकसभा व राज्यसभा में विधेयक के पास होने के बाद ही अनुच्छेद 342 के तहत राष्ट्रपति द्वारा समुदाय को सूची में शामिल करने (या न करने) हेतु अंतिम निर्णय दिया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा सूचीबद्ध की गई जनजातियाँ, अनुसूचित जनजातियाँ कहलाती हैं।
अनुच्छेद 342

राष्ट्र्पति किसी राज्य व संघ राज्य क्षेत्र से संबंधित राज्यपाल से परामर्श लेने के बाद जनजाति या जनजाति समुदाय को निर्दिष्ट कर सकते हैं, जो संविधान के प्रयोजन के लिए उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के लिए अनुसूचित जनजाति या जनजाति समुदाय समझा जाएगा।

संसद कानून द्वारा किसी भी जनजाति या जनजाति समुदाय को संविधान में निर्दिष्ट सूची में शामिल या विलग कर सकती है।

संविधान में सूचीबद्ध होने से नारिकुरवर और कुरुविकरण समुदाय, अनुसूचित जनजाति से संबंधित योजनाओं के लाभ प्राप्त कर सकता है।

जनजातीय उप योजना (TSP)- जनजातियों के कल्याण के लिए एक जनजातीय उप योजना कोष बनाया गया है, जिसमें अनुच्छेद 275(1) के तहत भारत की संचित निधि से राशि आबंटित की जाती है।इसके तहत राज्यों को वित्तीय सहायता जनजातीय कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाती है।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह( PVTG)- भारत में PVTG प्रकार की जनजातियाँ अण्डमान व निकोबार में पाई जाती हैं। इसके लिए विशेष रूप से आवास, भूमि वितरण, कृषि विकास, बीमा योजनाओं आदि से संबंधित योजनाएं राज्य सरकारों द्वारा प्रारंभ की जाती हैं।

एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना(ITDP)-  जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत ITDP को 1974 में पाँचवी पंचवर्षीय योजना से प्रारंभ किया गया। इसके तहत राज्य सरकारें सामाजिक व आर्थिक विकास व शो।ण से मुक्त करने के लिए योजनाओं का संचालन करती हैं।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग- यह एक संवैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना संविधान के 89वे संशोधन 2003 द्वारा की गई। यह अनुसूचित जनजाति को किसी भी संवैधानिक तौर पर दिए गए सुरक्षात्मक उपायों की निगरानी व मूल्यांकन करता है।

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

India kanoon

Yojna IAS

thenewsminute

Yojna IAS daily current affairs hindi med 24th december

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