प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल और अवशेष संशोधन विधेयक 

प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल और अवशेष संशोधन विधेयक 

प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल और अवशेष संशोधन विधेयक 

संदर्भ- केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के अनुसार स्मारकों को फिर से परिभाषित करने और संरक्षित स्मारकों के आसपास के क्षेत्र के उपयोग को युक्तिसंगत बनाने के उद्देश्य से, सरकार बजट सत्र के दूसरे सत्र में प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (एएमएएसआर संशोधन) विधेयक को फिर से पेश करने के लिए तैयार है। 

  • राष्ट्रीय स्मारकों की नई परिभाषा तय की जाएगी।
  • राष्ट्रीय महत्व के लगभग 24 स्मारक खो गए हैं और 26 स्मारक समाप्त हो गए हैं।
  • वर्तमान भारत में 3695 राष्ट्रीय महत्व के स्मारक हैं।

राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारक- प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के अनुसार – 

“प्राचीन स्मारक’ से कोई संरचना, रचना या स्मारक या कोई स्तूप या दफनगाह, या कोई गुफा, शैल-रूपकृति, उत्कीर्ण लेख या एकाश्मक जो ऐतिहासिक, पुरातत्वीय या कलात्मक रुचि का है और जो कम से कम एक सौ वर्षों से विद्यमान है, अभिप्रेत है, और इसके अंतर्गत है-

  • किसी प्राचीन स्मारक के अवशेष,
  • किसी प्राचीन स्मारक का स्थल,
  • किसी प्राचीन स्मारक के स्थल से लगी हुई भूमि का ऐसा प्रभाग जो ऐसे स्मारक को बाढ़ से घेरने या आच्छादित करने या अन्यथा परिरक्षित करने के लिए अपेक्षित हो, तथा
  • किसी प्राचीन स्मारक तक पहुंचने और उसके सुविधापूर्ण निरीक्षण के साधन।

प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958

सभी प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक तथा सभी पुरातत्वीय स्थल और अवशेष, जिन्हें एनशियेन्ट एण्ड हिस्टोरिकल मान्यूमेन्ट्स एंड आर्कियोलाजिकल साइट्स एंड रिमेन्स (डिक्लेरेशन आफ नेशनल इस्पार्टेस) एक्ट, 1951 (1951 का 71) द्वारा या राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 (1956 का 37) की धारा 126 द्वारा राष्ट्रीय महत्व के होना घोषित किया गया है, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए ऐसे प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक या पुरातत्वीय स्थल और अवशेष समझे जाएंगे, जिन्हें राष्ट्रीय महत्व के होना घोषित किया गया है।

एएमएएसआर अधिनियम कुछ शर्तों को छोड़कर संरक्षित स्मारकों के आसपास 100 मीटर (केंद्र सरकार इस दायरे को बढ़ा सकती है)तक निर्माण पर भी प्रतिबंध लगाता है। इससे संबंधित किसी भी तरह के निर्माण, मरम्मत व विकास संबंधी कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण से अनुमति लेनी आवश्यक होती है। 

प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम संशोधन के कारण

  • भारत की प्राचीन संस्कृति, स्थापत्य का स्वर्णिम इतिहास संजोए थी। अतः भारत में प्राचीन स्मारकों की अधिकता है।
  • सभी स्मारकों का संरक्षण संभव नहीं हो पाया है जैसे कई स्मारक लुप्त हो चुके हैं।
  • स्मारकों की अधिकता व 100 मीटर का प्रतिबंध एक विशाल भूभाग में कई विकास कार्यों की संभावना को कम करता है।

स्मारकों के संरक्षण में चुनौतियाँ

  • प्रदूषण- प्रदूषण ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण में बाधक साबित हो रहा है जैसे प्रदूषण के कारण ताजमहल के रंग का फीका पड़ना उसके क्षय को दर्शा रहा है।
  • अतिक्रमण – ऐतिहासिक स्मारकों का अथिक्रमण भी उनके संरक्षण में बाधा उत्पन्न करता है जैसे उत्तर प्रदेश में लगभग 743 ऐतिहासिक स्मारक है जिसमें से 75 स्मारकों पर अतिक्रमण किया गया है। जैसे मेहरौली पुरातात्विक पार्क से झुग्गियों को हटाने में झुग्गी निवासी व प्रशासन दोनों त्रस्त हैं। 
  • पुरातात्विक स्थलों का दोहन- ऐसे स्थल जो पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं और जहाँ उत्खनन से ऐतिहासिक साक्ष्यों की खोज की जा सकती है जो भारतीय इतिहास को सम्पन्न बनाने के साथ वर्तमान को नई दिशा दे सकते हैं। ऐसे स्थलों का दोहन निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर किया जा रहा है जिससे उस स्थल से लोगों को हटाकर उत्खनन करना संभव नहीं हो पाता है। 
  • शहरीकरण व विकास निर्माण- शहरीकरण व विकास कार्यों के कारण कई बार ऐतिहासिक स्थल नष्ट हो जाते हैं जैसे ऐतिहासिक टिहरी रियासत, टिहरी डैम के कारण नष्ट हो गई थी।

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