बंगाल में श्वसन संक्रमण

बंगाल में श्वसन संक्रमण

बंगाल में श्वसन संक्रमण

संदर्भ- फरवरी 2023 में बंगाल में श्ववसन संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जिससे राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। इससे सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। राष्ट्रीय हैजा व आंत्र रोग संस्थान हैदराबाद में लगभग 500 बच्चों के सैंपल की जाँच करने पर 32% एडेनोवायरस, 12%राइनोवायरस, 13%पैराइंफ्लूएंजा प्राप्त हुआ है।

एडेनोवायरस – मनुष्यों में कई बिमारियों के कारक बन जाते हैं इसमें सर्दी जुकाम, गैस्ट्रोइंस्टेंटाइल संक्रमण आदि शामिल हैं, इसके लक्षण निम्नलिखित होते हैं-

  • श्वसन संबंधी समस्य़ा
  • गले में खरांश
  • जुकाम बुखार
  • निमोनिया 
  • तीव्र ब्रोंकाइट्स

राइनोनायरस- मानवों में संक्रमण द्वारा होने वाले रोगों का एक कारण राइनोवायरस भी है। दो वर्ष से कम आयु के बच्चे इस वायरस से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।  

पैराइंफ्लूएंजा- पैरा इंफ्लूएंजा भी श्वसन संबंधी रोगजनक है, यह बच्चों में गंभीर बिमारी जैसे क्रुप या निमोनिया के कारक हो सकते हैं। जिससे लगभग 40% बच्चों की मौत हो जाती है। मानव पैरानफ्लुएंजा वायरस (एचपीआईवी) आमतौर पर शिशुओं, छोटे बच्चों, बड़े वयस्कों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में ऊपरी और निचले श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनते हैं, लेकिन कोई भी संक्रमित हो सकता है। लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 2 से 6 दिन बाद दिखाई देते हैं।

मानवों में पैरा इंफ्लूएंजा चार प्रकार का होता है-

  • HPIV – 1- यह बच्चों में अक्सप क्रूप रोग का कारण बन सकता है। क्रूप रोग, बच्चों में होने वाली एक श्वसन समस्या है।
  • HPIV – 2 – यह भी क्रूप रोग का कारण बनता है जब HPIV – 1 कम होता है तब HPIV रोग की समस्याएं बच्चों में सामने आ सकती हैं यह अन्य HPIV के वैरिएंट से कम होता है। 
  • HPIV – 3 – यह संक्रमण प्रत्येक वर्ष बसंत व गर्मियों के शुरुआती महीनों में संक्रमित होता है। जबकि HPIV-1 और HPIV-2 मौसमी संक्रमण नहीं हैं।
  • HPIV – 4- यह संक्रमण अक्सर पतझड़ व संक्रमित होते हैं। यह सभी बच्चों में श्वसन समस्या के कारक होते हैं।

संक्रमण कैसे हो सकता है- 

  • खांसने, छींकने
  • मल के माध्यम से 
  • त्वचा के संपर्क से
  • यह सभी संक्रमण बसंत, गर्मी या पतझड़ के समय अधिक होते हैं। 

सावधानी

  • स्वच्छता
  • मास्क का प्रयोग
  • निरंतर श्वसन दर की निगरानी।
  • आइसोलेशन

प्रशासनिक स्तर पर सावधानियाँ-

जब तक वर्तमान बिमारी के लिए उपयुक्त इलाज या दवा का निर्माण नहीं हो जाता तब तक प्रशासनिक स्तर पर निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं-

  • पर्याप्त ऑक्सीजन उपकरणों की व्यवस्था करना।
  •  वेंटिलेटर बेड की व्यवस्था करना।
  • बाल रोग विशेषज्ञों की निगरानी में बिमार बच्चों का इलाज करना।
  • संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए आइसोलेशन की प्रक्रिया का पालन किया जा सकता है। स्कूल या किसी भी सार्वजनिक स्थानों से दूरी बनाए रखने हेतु उपयुक्त व्यवस्था करना।
  • इसके लिए प्रभावित परिवार को कोविड 19 की आइसोलेशन की प्रक्रिया का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

स्रोत

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 21st Feb

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