भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022

भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022

भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022

संदर्भ- हाल ही में दूरसंचार विधेयक के लिए एक मसौदा तैयार किया गया है। भविष्य व वर्तमान की निरंतर परिवर्तित परिस्थितियों को देखते हुए संचार विभाग ने जनपरामर्श प्रणाली शुरू कर दी है। इसमें भारतीय दूरसंचार नियामक प्रधिकरण ने अपनी शक्ति कम करने के विरोध में प्रधानमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की है।

TRAI की सिफारिशें- इण्डियन एक्सप्रैस के अनुसार इस विधेयक में सरकार ने नियामक के साथ साथ तीन मुख्य क्षेत्रों में अपीलीय प्राधिकरणों की शक्ति का अधिकरण किया है। जो हैं-

  • टैरिफ 
  • सेवा मानकों की गुणवत्ता
  • विवाद समाधान तंत्र।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण- TRAI 

  • पूर्व से चली आ रही दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने के लिए 20 फरवरी  1997 को भारतीय दूरसंचार विधेयक की स्थापना हुई। जिसे भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण विधेयक कहा जाता है। 
  • TRAI, 1997 की धारा 3 के तहत भारत सरकार का एक संवेधानिक निकाय है। इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है।
  • यह भारत की समेकित निधि से प्राप्त अनुदान द्वारा पूर्णतः वित्त पोषित किया जाता है।
  • दूरसंचार विधेयक का मिशन दूरसंचार के क्षेत्र में ऐसी सेवाएँ सृजित करना जिससे भारत, विश्व में दूरसंचार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सके।
  • विधेयक का लक्ष्य ऐसी नीति व वातावरण प्रदान करना जिससे सभी के लिए समान व पारदर्शी हो इसके साथ ही जो समुचित प्रतिस्पर्धा को सुकर बनाए।
  • दूरसंचार में आए विवाद के समाधान के लिए, दूरसंचार विवाद निपटान व अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना 24 जनवरी 2000 से की गई।
  • वर्ष 2004 में TRAI को देश में केबल टेलीविजन व प्रसारण सेवाओं को विनियमित करने की शक्तियाँ भी प्रदान की गई हैं।
  • TRAI को दिसम्बर 2004 में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा ISO 9001:2000 प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

  भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के कर्तव्य।

TRAI की संरचना-

  • TRAI के सदस्यों की नियुक्त भारत सरकार द्वारा की जाती है, जिसमें एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य व दो अंशकालिक सदस्य होते हैं। 
  • सचिव केअंतर्गत 4 प्रधान सलाहकार व अन्य सलाहकार होते है।

TRAI की शक्तियाँ और वर्तमान मसौदा-

  • सरकार के पास वर्तमान में उपरोक्त सिफारिशों से संबंधी कोई शक्ति नहीं है। लेकिन प्रस्तुत विधेयक के बाद यह नियामक के साथ साथ सरकार को भी शक्ति देगी।
  • ट्राई एक खुली परामर्श प्रक्रिया के बाद उपाय करती है। जबकि विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि सरकार को भी इस प्रक्रिया से गुजरना ही हो।
  • विधेयक से प्राप्त शक्ति के बाद सरकार, नियामक द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय को खारिज कर सकती है।
  • यह विधेयक सरकार को एक लाइसेंसकर्ता, एक ऑपरेटर और एक नियामक की शक्ति प्रदान करता है।
  • अब तक दूरसंचार ऑपरेटर अपने टैरिफ पैकेज तैयार करने के लिए स्वतंत्र थे, उन पर TRAI का कोई हस्तक्षेप नहीं था। जबकि विधेयक के लागू होने पर टैरिफ पैकेजों के साथ असहमत होने पर सरकार अपना निर्णय दे सकती है।

विधेयक के प्रभाव-

  • नियामक व्यवस्था में कोई पूर्वानुमान न होने के कारण यह निवेशकों के विश्वास को कम कर सकती है।
  • सरकार ने सेवा के अधिकारों का अतिक्रमण किया है इसलिए कॉल ड्रॉप, स्पैम मैसेज और कॉल सरकार के डोमेन में चले जाएंगे।
  • विवाद के समय यह विधेयक TDSAT यानि दूरसंचार विवाद निपटान व अपीलीय न्यायाधीकरण की शक्ति को कम कर सकती है। वर्तमान में TDSAT के विवाद निपटान के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में ही टक्कर दी जा सकती है। लेकिन विधेयक के अनुसार सरकार को TDSAT के साथ विवाद निपटान की मंजूरी देने से सरकार TDSAT के कार्य पद्धति व शक्तियों में बदलाव आएगा।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/business/economy/draft-telecom-bill-trai-to-dial-pmo-over-dilution-of-powers-8212768/

https://www.trai.gov.in

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi med 17th Oct

No Comments

Post A Comment