भारतीय संसद की सुरक्षा में सेंधमारी / सुरक्षा उल्लंघन

भारतीय संसद की सुरक्षा में सेंधमारी / सुरक्षा उल्लंघन

( यह लेख ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ जनसत्ता ‘ , ‘संसद टीवी’ मासिक पत्रिका ‘ वर्ल्ड फोकस ‘ और ‘ पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ आतंरिक सुरक्षा, आतंकवाद और संगठित अपराध’ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ ‘भारतीय संसद की सुरक्षा में सेंधमारी / सुरक्षा उल्लंघन’ से संबंधित  है।)

 सामान्य अध्ययन – आतंरिक सुरक्षा, आतंकवाद और संगठित अपराध।

चर्चा में क्यों ? 

हाल ही में भारतीय संसद पर हमले की 22वीं बरसी पर 13 दिसंबर, 2023 को नए संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगाने का नया मामला सामने आया है। 13 दिसंबर 2001 को जिन आतंकियों ने संसद पर आत्मघाती / फिदायीन हमला किया था, उसका मकसद भी पहले से तयशुदा था. लेकिन 13 दिसम्बर 2023 में जब वर्ष 2001 के संसद हमले के दौरान शहीद हुए सुरक्षा कर्मियों के लिए सांसदों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद लोकसभा में सुरक्षा उल्लंघन का मामला सामने आया तो इस सुरक्षा उल्लंघन मामले में कोई विदेशी आतंकवादी संगठन या किसी विदेशी आतंकवादी नागरिक की संलिप्तता नहीं थी, बल्कि इस संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में भारतीय नागरिक ही शामिल है, जो भारत के ‘आतंरिक सुरक्षा, आतंकवादी गतिविधि और संगठित अपराध ’ क्षेत्र के अपराध की रोकथाम के लिए भारत के समक्ष गंभीर चुनौती पेश करता है। यह भारत के आंतरिक सुरक्षा में गंभीर सुधार की जरूरतों  की ओर भी हमारा ध्यान आकृष्ट करता है।

  • भारत की संसद तीन अंगों से मिलकर बनता है। वे तीन अंग है – राष्ट्रपति , लोकसभा और राज्यसभा । भारत की लोकसभा को ‘ निम्न सदन ’ (लोअर हाउस) और राज्यसभा को ‘ उच्च सदन ’ (अपर हाउस ) कहा जाता है | 
  • भारत की संसद को देश का सबसे बड़ा ‘ लोकतंत्र का चौपाल / पंचायत ‘  या लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर ’ भी कहा जाता है। ऐसी परिस्थिति में लोकसभा की सुरक्षा में सेंधमारी भारत की आतंरिक सुरक्षा एवं संगठित अपराधों के नियंत्रण उपायों पर प्रश्न चिन्ह भी खड़ा करता है।
  • लोकसभा के सांसद का चुनाव जनता द्वारा ‘ प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली ’ द्वारा किया जाता है जबकि राज्‍यसभा के सांसद/ सदस्‍यों का चुनाव अप्रत्‍यक्ष निर्वाचन प्रणाली / तरीके ’  से होता है। जिसका अर्थ है कि राज्‍यसभा सांसदों को जनता सीधे नहीं चुनती है।
  • राज्यसभा चुनाव में न तो गुप्त मतदान होता है और न ही इसमें ईवीएम का प्रयोग होता है। इसमें चुनाव का ढांचा थोड़ा अलग होता है। राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम के आगे एक से चार तक का नंबर लिखा होता है। इसमें विधायकों को वरीयता के आधार पर उसपर चिह्न लगाना होता है।
  • राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए कितने वोटों की जरूरत होती है ये पहले से ही तय होता है। वोटों की संख्या, कुल विधायकों की संख्या और राज्यसभा सीटों की संख्या के आधार पर निकाली जाती है। इसमें एक विधायक की वोट की वैल्यू 100 होती है।
  • राज्यसभा चुनाव के लिए एक फॉर्मूला का उपयोग किया जाता है। इसमें कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा किया जाता है। इसके बाद राज्य में जितनी राज्यसभा की सीटें हैं उसमें एक जोड़ कर भाग दिया जाता है। इसके बाद कुल संख्या में एक जोड़ा जाता है। फिर अंत में जो संख्या निकलती है वह जीत के लिए चाहिए होता है।   
  • नए संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले आरोपी/अभियुक्त व्यक्तियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने विधि – विरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम, आतंकवाद-रोधी कानून की धाराओं के साथ-साथ आपराधिक साजिश, अतिचार, दंगा भड़काने तथा एक लोक सेवक के कार्यों के निर्वहन में बाधा डालने से संबंधित भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएँ भी लगाई हैं । 
  • हमले के दौरान आरोपियों के पास उन्हें जारी किए गए आगंतुक/परिदर्शक पास ( विजिटर्स पास ) भी  था ।

संसद आगंतुक/परिदर्शक पास ( विजिटर्स पास ) के लिए क्या – क्या नियम/ प्रावधान है? 

  • सांसद या संसद सदस्य केवल व्यक्तिगत रूप से परिचित व्यक्तियों के लिये ही विज़िटर कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  • आगंतुक/परिदर्शक पास (विजिटर्स पास) के लिए सांसद /संसद सदस्य द्वारा  प्रमाणीकरण आवश्यक है, जिसमें कहा गया हो कि “उपरोक्त नामित आगंतुक मेरा रिश्तेदार/व्यक्तिगत मित्र हैं / मैं व्यक्तिगत रूप इन्हें से जानता हूँ और मैं उसके लिए पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूँ।”
  • आगंतुकों को आगंतुक दीर्घाओं में प्रवेश के लिए कार्ड आमतौर पर एक घंटे के लिए या एक बैठक के लिए, जारी किए जाते हैं। ये कार्ड हस्तांतरणीय नहीं हैं और कार्डधारक द्वारा इसमें दी गई शर्तों का पालन करने पर ही जारी किए जाते हैं।
  • सुरक्षा कारणों से आगंतुकों को प्रमाणन के साथ फोटो पहचान पत्र लाना अनिवार्य है।
  • राज्यसभा में आगंतुकों के प्रवेश के लिए भी ऐसे ही नियम लागू हैं।
  • लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियमों का नियम 386 सदन की बैठकों के दौरान परिदर्शकों (संसदीय शब्दों में “अजनबी” के रूप में संदर्भित) के “प्रवेश, वापसी तथा हटाया जाना” को परिभाषित करता है।
  • नियम 387 के तहत लोकसभा अध्यक्ष द्वारा जब कभी ठीक समझा जाए, ‘ अजनबियों ’ को सदन के किसी भाग से बाहर चले जाने का आदेश दिया जा सकता है।
  • अध्यक्ष द्वारा अधिकृत नियम 387A, प्राधिकृत सचिवालय के पदाधिकारी को सदस्यों के लिये आरक्षित सदन परिसर के भीतर किसी भी अजनबी ’ को हटाने अथवा हिरासत में लेने का अधिकार देता है।
  • इसमें ऐसे अजनबी भी शामिल हैं जो दुर्व्यवहार करते हैं, अध्यक्ष के विनियमों का उल्लंघन करते हैं (नियम 386 के तहत), अथवा सदन की बैठकों के दौरान नियम 387 के तहत निर्देश दिये जाने पर संबद्ध स्थल से हटने में विफल रहते हैं।
  • सांसद / संसद सदस्यों को अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, खासकर तब , जब किसी ऐसे व्यक्ति के प्रवेश की सुविधा हो जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हो।
  • विजिटर्स कार्डधारकों के कारण गैलरी में होने वाली किसी भी अप्रिय घटना या अवांछनीय गतिविधि के लिए सांसद / संसद सदस्य ज़िम्मेदार होते हैं।
  • 13 दिसंबर 2001 में जब भारतीय संसद पर एक आतंकवादी हमला हुआ था, वह एक पूर्व नियोजित एवं सशस्त्र आतंकवादियों के एक समूह द्वारा किया गया आत्मघाती हमला था, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में आतंक फैलाना था।
  • इस आतंकवादी हमला के हमलावर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से संबंधित थे।
  • हमले के परिणामस्वरूप संसद परिसर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों और सरकारी अधिकारियों की मृत्यु हो गई थी।
  • इस हमले ने बाह्य खतरों के प्रति भारत के संसदीय लोकतंत्र की संवेदनशीलता को उजागर कर दिया था और इसकी सुरक्षा व्यवस्था में बड़े पैमाने पर बदलाव करने को प्रेरित किया था।
  • हालिया 13 दिसम्बर 2023 को भारतीय संसद परिसर और सभागार की सुरक्षा में हुए सुरक्षा उल्लंघन मामले में आरोपी/अभियुक्त व्यक्तियों में से सभी भारतीय नागरिक हैं , किन्तु इस सुरक्षा चूक ने भारतीय संसद की सुरक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरुरत करने के लिए भी सुरक्षा एजेंसियों को पुनः सोचने को प्रेरित किया है

आगे की राह :

भारत की संसद परिसर में हुए सुरक्षा उल्लंघन/ चूक भारत में बढ़ रहे ‘आतंरिक सुरक्षा, आतंकवादी गतिविधि और संगठित अपराध ’ के क्षेत्र में हो रहे वृद्धि को दर्शाता है , जिस पर तत्काल प्रभाव से संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को लगाम लगाने या रोकने की जरुरत है। वर्तमान समय/ दौर में संपूर्ण विश्व के साथ ही भारत भी तकनीकी और रासायनिक युद्ध (टेक्नोलॉजी एंड केमिकल वार) के साथ – ही – साथ सीमापार अवैध घुसपैठ , स्मगलिंग, मानव तस्करी व्यापार, माओवाद , नक्सलवाद और आतंकवाद जैसे अनेकों बाह्य और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है। अतः ऐसी परिस्थिति में भारत की संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को भी इन अपराधों की रोकथाम के लिए अत्याधुनिक सुरक्षा उपायों एवं हथियारों से सुसज्जित और अत्याधुनिकीकरण होना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह के सुरक्षा उल्लंघन / चूक का उसे सामना न करना पड़े। संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को यह भी ध्यान रखने की जरुरत है कि भविष्य में भारत के विशिष्ट व्यक्तियों के साथ ही भारत के आम नागरिकों की भी जान – माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। 

Download yojna daily current affairs hindi med 18th DEC 2023

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

Q.1. संसद आगंतुक/परिदर्शक पास ( विजिटर्स पास ) के सन्दर्भ में निम्न कथनों पर विचार कीजिए

  1. आगंतुक/परिदर्शक पास (विजिटर्स पास) के लिए सांसद /संसद सदस्य द्वारा प्रमाणीकरण आवश्यक होती है
  2. लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम आगंतुकों के “प्रवेश, निकास और निष्कासन” को परिभाषित करते हैं 
  3. लोकसभा अध्यक्ष जब भी उचित समझे ‘अजनबियों’ को सदन के किसी भी हिस्से को छोड़ने का आदेश दे सकता है।
  4. लोकसभा अध्यक्ष आगंतुकों के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए निर्देश जारी कर सकते हैं।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सही है ?

(a). केवल 1, 3 और 4 

(b). केवल 1, 2 और 4

(c) . इनमें से कोई नहीं।

(d). इनमें से सभी।

उत्तर – (d) 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

  1. 1. भारत में बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा के समक्ष क्या – क्या चुनौतियाँ हैं ? उन चुनौतियों के समाधान के उपायों का तर्कसंगत व्याख्या प्रस्तुत कीजिए
No Comments

Post A Comment