मणिपुर की मैतेई जनजातीय हिंसा

मणिपुर की मैतेई जनजातीय हिंसा

मणिपुर की मैतेई जनजातीय हिंसा

संदर्भ- मणिपुर में कुछ दिनों से हुई हिंसात्मक गतिविधि के कारण अत्यधिक धन बल की हानि हुई है। हिंसात्मक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए जिला कलेक्टरों को शूट एट साइट के ऑर्डर की शक्ति दे दी गई है। 

हिंसा के कारण- 

  • मणिपुर के मेइती समुदाय एक लम्बे समय से अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहा है, हाल ही में मणिपुर न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह 10 वर्ष पुरानी सिफारिश जिसके तहत मेइती समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी, को लागू करे। मेइती समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के निर्देश पर राज्य के अन्य आदिवासी विरोध कर रहे हैं। 
  • विरोध का एक कारण अफीम की खेती करने वाले जनजातीय समुदाय के खिलाफ सरकार के अभियान को भी बताया जा रहा है। क्योंकि पहली हिंसक घटना कुकी परिवार को उनके घर से बेदखल करने के विरोध में हुई थी। इस परिवार को म्यांमार का अवैध प्रवासी भी बताया जा रहा है।

मणिपुर की जातीय संरचना

  • मणिपुर एक पहाड़ी राज्य है जिसके कुल भूभाग का 10% घाटी है। 
  • मणिपुर की घाटी में मैतेई समुदाय का वर्चस्व है, जो राज्य की आबादी का 64% हैं।
  • राज्य के पहाड़ी इलाकों अर्थात 90% भूभाग में अन्य आदिवासी व जनजातीय समुदाय जैसे नागाकुकी चिन निवास करते हैं। जो राज्य की जनसंख्या का केवल 35% हैं। 
  • राज्य में धार्मिक रूप से सर्वाधिक हिंदू उसके बाद मुस्लिम व ईसाई समुदाय का निवास है।

मेइती समुदाय के तर्क

  • मेइती समुदाय के अनुसार वह राज्य के बहुत छोटे भूभाग में निवास करते हैं। जिस पर अन्य आदिवासी समुदाय का आगमन होने लगा है। 
  • मेइती समुदाय को मणिपुर का मूल निवासी माना जाता है, उनके अनुसार अन्य समुदायों के उनके प्राचीन निवास क्षेत्र में बसने से उनकी संस्कृति व भाषा पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। 
  • मेइती समुदाय की संस्कृति की रक्षा के लिए समुदाय को अनुसूचित जनजातीय दर्जे की आवश्यकता है।

अनुसूचित जनजाति दर्जा दिए जाने का प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत राष्ट्रपति एक अधिसूचना के तहत किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में अधिसूचित कर सकता है। अनुसूचित जनजातियां के कुछ प्रमुख लक्षण हो सकते हैं-

  • आदिम जनजाति
  • भौगोलिक अलगाव
  • विशिष्ट संस्कृति
  • बाहरी समुदाय के साथ संपर्क करने में संकोच
  • आर्थिक रूप से पिछड़ापन

अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल होने के लाभ

  • अनुसूचित जनजाति सूची में अत्यंत पिछड़े समुदाय शामिल होते हैं, इनके विकास के लिए सरकार द्वारा प्रारंभ योजनाओं के लाभ प्राप्त कर सकती हैं।
  • भौगोलिक व सामाजिक अलगाव के कारण यह समुदाय शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ जाते हैं, अतः मुख्य धारा में प्रवेश दिलाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण व छात्रवृत्तियों से संबंधित योजनाएं समय समय पर लागू की जाती हैं।
  • इसके साथ सरकारी संस्थानों (शिक्षा व नौकरी) में प्रवेश हेतु विशेष आरक्षण प्रदान किया जाता है।
  • अनुसूचित जनजाति या आदिवासी समुदाय को उनकी विशिष्ट संस्कृति को संजोए रखने के लिए योजनाएं। 

मणिपुर आदिवासी समुदाय के विरोध के तर्क

  • अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने पर प्राप्त होने वाली सुविधाएं जैसे शिक्षा व नौकरियों में आरक्षण की मेइती समुदाय को आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि मणिपुर के अन्य किसी भी समुदाय की तुलना में मेइती समुदाय बेहतर स्थिति में है।
  • इसके द्वारा मेइती समुदाय पहाड़ी की जमीन को भी हस्तगत कर लेंगे।
  • मणिपुर की मेइती भाषा पहले से ही संविधान की आठवी अनुसूची का दर्जा प्राप्त कर चुकी है, अतः मेइती को भाषा या संस्कृति के क्षेत्र में संवैधानिक संरक्षण की आवश्यकता नहीं है। 
  • जनजातियों के अनुसार मेइती का एक बड़ा हिस्सा एससी, ओबीसी व ईडब्ल्यूएस श्रेणी का लाभ ले रहा है।

मणिपुर में हिंसा के कई कारण बताए जा रहे हैं इन कारणों को मीडिया में प्रसारित भी किया जा रहा है। हिंसा के समय मीडिया और सामान्य जनता को किसी भी प्रकार के भड़काउ सनसनीखेज खबरों को प्रसारित करने पर रोक लगाय़ी जा सकती है। 

स्रोत

The Hindu

yojna daily current affairs hindi med 5 May 2023

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