राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति

राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति

राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति

संदर्भ- हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्या रोकथाम योजना का अनावरण किया। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में आत्महत्या को रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई पहली रणनीति है।

भारत की राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति

  • मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और आत्महत्या की घटनाओं को कम करने के लिए लाई गई रणनीति है।
  • इसका लक्ष्य 2023 तक देश में आत्महत्या से होने वाली मौतों का आँकड़ा 10% से कम करना।

नीति के उद्देश्य

  • आने वाले तीन वर्षों के लिए आत्महत्या की घटनाओं के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करना।
  • यह मनोरोग बाह्य रोगी विभाग (outpatient department)स्थापित करना चाहता है जो अगले पांच वर्षों के भीतर सभी जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम सेवाएं प्रदान करेगा।
  • इसका उद्देश्य अगले आठ वर्षों में सभी शैक्षणिक संस्थानों में एक मानसिक कल्याण पाठ्यक्रम को स्थापित करना है।
  • आत्महत्या की निगरानी को मजबूत करना, मूल्यामकन के माध्यम से सबूतों को आगे बढ़ाना, जो कार्यक्रम की गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करेगा।

कार्यान्वयन ढांचे में हितधारक 

  • राष्ट्रीय स्तर के मंत्रीस्तरीय हितधारक
  • राज्य स्तर के सरकारी हितधारक
  • जिला स्तर के सरकारी हितधारक
  • बैंग्लोर व शीर्ष मानसिक स्वास्थ्य संस्थान
  • अन्य रणनीतिक सहयोगी।

कार्यान्वयन

  •  देश में नेतृत्व, भागीदारी और संस्थागत क्षमता को मजबूत करना।
  • स्वास्थ्य सेवाओं की संख्या में वृद्धि करना।
  • सामुदायिक लचीलापन व सामाजिक समर्थन विकसित करना और आत्मघाती व्यवहार में सुधार लाना.

भारत में आत्महत्याएं- वर्तमान परिदृश्य

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2020 की तुलना में आत्महत्या से होने वाली मौतों का आँकड़ा 2021 में 7.2% बढ़कर 1.64 लाख हो गया। यह 2020 में कोविड से होने वाली मौतों से 10% अधिक थी।
  • एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग 1 लाख लोग आत्महत्या से मरते हैं।
  • 2021 में केवल महानगरों में 25891 मौतें आत्महत्या के कारण हुई थी। और इनमें भी सर्वाधिक दिल्ली में थी।
  • पिछले तीन वर्षों में प्रति एक लाख जनसंख्या में आत्महत्या की दर 10.3 से बढ़कर 11.3 हो गई है।
  • 2021 में आत्महत्या के लगभग 65% मामले 18-45 वर्ष की आयु वर्ग के थे।

भारत में आत्महत्या की रोकथाम के लिए प्रयास

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति 2014- देश में बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाओं के कारण यह नीति अक्टूबर 201 में लागू की गई, और जनजागरुकता के लिे 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस घोषित किया गया।

मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017- 

  • इसके अनुसार प्रत्येक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच का अधिकार होगा।
  • समुचित सरकार मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति हेतु अपेक्षित सेवाओं के लिए आवश्यक उपबंध करेगी।
  • सरकार यह तय करेगी कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित चिकित्सालयों में अन्य चिकित्यालयों की भांति गुणवत्तापूर्ण सेवाएं होंगी।
  • मानसिक रुग्णता से ग्रस्त व्यक्ति यदि गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आता है तो उसे मानसिक स्वास्ठ्य संबंधी मुफ्त चिकित्सा पाने का अधिकार होगा।
  • मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को पूर्ण रूप से गरिमा के साथ  रहने का अधिकार है।
  • बिना किसी भेदभाव से उसके साथ वही व्यवहार किया जाएगा जो एक शारीरिक रूप से रुग्ण व्यक्ति के साथ किया जाता है।
  • गोपनीयता का अधिकार- रुग्ण व्यक्ति की सहमति के बिना उसके इलाज की जानकारी प्रेस या किसी अन्य माध्यम से नहीं दी जाएगी।

अधिनियम 2018 में आत्महत्या के प्रयासों को अन्य अपराधों की दृष्टि से बाहर कर दिया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 309 के तहत पहले आत्महत्या अपराध की श्रेणी में आता था। वर्तमान में अपराध का प्रयास कर चुके व्यक्तियों को दण्डित करने बजाय उनके पुनर्वास के प्रबंध किए जाने का प्रावधान किया गया है।

आगे की राह

  • समाज में प्रत्येक व्यक्ति की मनोस्थिति का सम्मान करने हेतु सीख विद्यालयों में दे सकते हैं, 
  • मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी के लिए जागरुकता अभियान चलाए जा सकते हैं।
  • मानसिक रोगी को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मनोरोग विशेषज्ञों तक पहुँच आसान व सुलभ हो।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/explained/national-suicide-prevention-strategy-framework-goals-objectives-8285988/

https://legislative.gov.in/sites/default/files/H201710.pdf

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 24th November

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