राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन

राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन

पाठ्यक्रम: जीएस 2 / स्वास्थ्य / जीएस 3 / विज्ञान और प्रौद्योगिकी

सदर्भ-

  • हाल ही में, प्रधान मंत्री ने शहडोल, मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया है। विश्व सिकल सेल दिवस हर साल 19 जून को मनाया जाता है।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं-

  • प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में लगभग 57 करोड़ आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) कार्ड वितरित किए।
  • प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों को सिकल सेल जेनेटिक स्टेटस कार्ड भी दिए।
  • प्रधानमंत्री ने 16वीं सदी के मध्य में गोंडवाना की शासक रानी दुर्गावती को सम्मानित किया। उन्हें एक बहादुर, निडर और साहसी योद्धा के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी थी।

सिकल सेल एनीमिया क्या है?

  • सिकल सेल एनीमिया एक आनुवांशिक विकार है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के आकार को प्रभावित करता है। लाल रक्त कोशिकाओं में लाल रंग उसमे पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन के कारण होता है, जो शरीर में रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाता है।
  • सिकल सेल एनीमिया एक जेनेटिक बीमारी है। ये बीमारी माता-पिता से बच्चों तक पहुंचती है। इस बीमारी की वजह से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं सही ढंग से काम नहीं कर पाती, जिसकी वजह से शरीर में खून की कमी हो जाती है।
  • प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं जो आकार में गोल, नर्म और लचीली होती हैं। लेकिन इस रोग में लाल रक्त कोशिकाएं जल्दी टूट जाती हैं जिसके कारण एनीमिया तथा अन्य जटिलताएं जैसे कि वेसो- ओक्लुसिव क्राइसिस, फेफड़ों में संक्रमण, एनीमिया, गुर्दे और यकृत की विफलता, स्ट्रोक आदि के कारण रूग्णता और मृत्यु की सम्भावना होती है।
  • यह लाल रक्त कोशिकाएं जब स्वयं के आकार से भी सूक्ष्म धमनियों में से प्रवाह करती हैं तब वह अंडाकार आकार की हो जाती है।
  • सूक्ष्म धमनियों से बाहर निकलने के पश्चात कोशिकाओं के लचीलेपन के कारण वे पुनः अपना मूल स्वरूप ले लेती हैं।
  • सिकल सेल के रोगी दो प्रकार के होते है , सिकल सेल वाहक (लक्षण रहित/मंद लक्षण) एवं सिकल सेल रोगी (गंभीर लक्षण)। उनमे सिकल सेल के रोग के लक्षण स्थायी न होकर कभी – कभी दिखाई देते है, ये व्यक्ति अपने बच्चों को वंशानुगत यह रोग देते हैं।
  • दूसरे प्रकार के सिकल रोगी वह व्यक्ति होते है जिनमें रोग के लक्षण स्थायी रूप से रहते हैं, जिससे उनके शरीर का विकास रुक जाता है, ये निश्चित रूप से अपने बच्चों को यह रोग देते हैं।

उपचार-

  • सिकल सेल रोग को आजीवन बीमारी कहा जाता है तथा रक्त और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण को इस रोग के लिए एकमात्र कुशल इलाज कहा जाता है।
  • जीन थेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट को भी इसके संभावित इलाज के रूप में देखा जाता है।

राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन-

  1. पृष्ठभूमि इस कार्यक्रम की घोषणा पहली बार केन्द्रीय बजट 2023 में की गई थी।
  2. कवरेज: यह गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, केरल, बिहार और उत्तराखंड जैसे 17 राज्यों में लागू किया जाएगा।
  3. उद्देश्य: इसका उद्देश्य सिकल सेल रोग से उत्पन्न महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों को संबोधित करना है, विशेष रूप से देश की आदिवासी आबादी के बीच।
  4. लक्ष्य: इसका उद्देश्य वर्ष 2047 तक सिकल सेल आनुवंशिक संचरण को समाप्त करना है (यानी भारत 2047 में अमृत काल मनाने से पहले)।
  5. लाभार्थी: यह कार्यक्रम शून्य से 18 वर्ष की आयु से 40 वर्ष तक की आबादी शामिल होगी। वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक तीन वर्षों की अवधि में, कार्यक्रम का लक्ष्य लगभग 7.0 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग करना है।

रणनीति तीन स्तंभों पर जोर देती है:-

स्वास्थ्य संवर्धन: जागरूकता सृजन और पूर्व-वैवाहिक आनुवंशिक परामर्श।

रोकथाम: सार्वभौमिक स्क्रीनिंग और प्रारंभिक पहचान।

समग्र प्रबंधन और देखभाल की निरंतरता:-

  1. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल स्तरों पर सिकल सेल रोग वाले व्यक्तियों का प्रबंधन; तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में उपचार सुविधाएं
  2. रोगी सहायता प्रणाली
  3. सामुदायिक गोद लेना

कार्यान्वयन: कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हिस्से के रूप में और एनएचएम के तहत मौजूदा तंत्र जैसे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के साथ एकीकरण में निष्पादित किया जाएगा।

भारत में एनीमिया की स्थिति और राष्ट्रीय मिशन की आवश्यकता-

  1. भारत, सिकल सेल एनीमिया से दूसरा सबसे बुरी तरह प्रभावित देश है।
  2. भारत में, लगभग 18 मिलियन लोगों में सिकल सेल के लक्षण हैं, तथा 1.4 मिलियन लोग, सिकल सेल रोग से प्रभावित हैं।
  3. सिकल सेल एनीमिया, भारत में जनजातीय आबादी में व्यापक रूप से फैला हुआ है, जनजातीय आबादी में प्रत्येक 86 जन्मों में से लगभग 1 सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित होता है।
  4. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 6% आदिवासी आबादी है जो भारतीय राज्यों में 67.8 मिलियन है।
  5. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जनजातीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में सिकल सेल रोग को आदिवासी स्वास्थ्य में 10 विशेष समस्याओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया  गया है जो आदिवासी लोगों को असमान रूप से प्रभावित करते हैं।
  6. भारत में सिकल हीमोग्लोबिन का पहला वर्णन 1952 में लेहमन और कटबुश द्वारा दक्षिण भारत में नीलगिरी पहाड़ियों में आदिवासी आबादी में  किया गया था

स्रोत: पीआईबी

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