विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र –  2 के ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था, स्वास्थ्य, भारत की जनसांख्यिकी से संबंधित मुद्दे, वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रम, भारतीय टीकाकरण कार्यक्रमों का महत्त्व ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप, टीकाकरण, टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम (EPI),सतत् विकास लक्ष्य (SDG), राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण, यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP), मिशन इंद्रधनुष, न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (PCV) ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘दैनिक कर्रेंट अफेयर्स’ के अंतर्गत ‘ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक टीकाकरण अभियानों ने बीते पांच दशकों में लगभग 154 मिलियन लोगों के जीवन को बचाने में मदद की है। 
  • यह रिपोर्ट विश्व टीकाकरण सप्ताह के दौरान, मई 2024 में आयोजित होने वाले टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम (EPI) की 50वीं वर्षगाँठ से ठीक पहले प्रकाशित की गई है।
  • वैश्विक टीकाकरण अभियानों के तहत प्राप्त इन उपलब्धियों के कारण, यह रिपोर्ट विश्वभर में चर्चा का विषय बनी हुई है।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष : 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट का मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित है – 

 

 

  • टीकाकरण का महत्व :  भारत में टीकाकरण शिशुओं के स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करने में सबसे महत्वपूर्ण है, और इसका योगदान किसी भी अन्य स्वास्थ्य योजना से अधिक है।
  • खसरा टीकाकरण : सन 1974 के बाद से अनुमानित 15 करोड़ 40 लाख लोगों को बचाया गया है, जिनमें से 9 करोड़ 40 लाख लोगों को खसरा का टीका लगाया गया था। हालांकि, वर्ष 2022 में लगभग 3 करोड़ 30 लाख बच्चे को खसरा का टीकाकरण नहीं लग पाया था।
  • वर्तमान में खसरे के टीके की पहली खुराक की वैश्विक कवरेज 83% है, जबकि दूसरी खुराक की कवरेज केवल 74% ही है।
  • टीकाकरण कवरेज :  वैश्विक टीकाकरण अभियानों के तहत वैश्विक समुदायों को संक्रमण से बचाने के लिए खसरा के टीके की दो खुराक के माध्यम से 95% या उससे अधिक का कवरेज आवश्यक है।
  • DPT वैक्सीन : EPI के शुरू होने से पहले, केवल 5% शिशुओं को नियमित टीकाकरण मिलता था। आज, 84% शिशुओं को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (DTP) से बचाने के लिए तीन खुराक के साथ टीकाकरण किया जाता है।
  • शिशु मृत्यु – दर में कमी : विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण से शिशु मृत्यु – दर में 40% की कमी आई है।
  • रोग का उन्मूलन और रोकथाम : सन 1988 के बाद से वाइल्ड पोलियोवायरस के मामलों में 99% से अधिक की कमी आई है, और भारत को 2014 में WHO द्वारा पोलियो मुक्त घोषित किया गया था।
  • संपूर्ण स्वास्थ्य में लाभ : टीकाकरण के द्वारा बचाए गए  प्रत्येक जीवन के लिए औसतन 66 वर्षों तकसंपूर्ण स्वास्थ्य में लाभ प्राप्त हुआ, और पिछले पाँच दशकों में कुल 10.2 बिलियन पूर्ण स्वास्थ्य वर्ष प्राप्त हुए।

 

वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीकाकरण की स्थिति क्या है?

 

वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीकाकरण की स्थिति इस प्रकार है – 

  • भारत का यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) विश्व के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है, जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष 30 मिलियन से अधिक गर्भवती महिलाओं और 27 मिलियन बच्चों को टीके दिए जाते हैं।
  • भारत में एक बच्चे को तब पूर्णतः प्रतिरक्षित माना जाता है जब उसे जीवन के पहले वर्ष में सभी आवश्यक टीके लग जाते हैं।
  • भारत को 2014 में पोलियो-मुक्त और 2015 में मातृ एवं शिशु टेटनस – मुक्त घोषित किया गया था। 
  • भारत में नए टीके जैसे रोटावायरस वैक्सीन (RVV), न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV), और खसरा-रूबेला वैक्सीन भी उपलब्ध कराए गए हैं। 
  • UNICEF के अनुसार, भारत में केवल 65% बच्चों का पहले वर्ष में पूर्ण टीकाकरण हो पाता है। WUENIC के अनुमानों के अनुसार, 2021 में 2.7 मिलियन शून्य-खुराक बच्चों की संख्या को 2022 में 1.1 मिलियन तक कम किया गया है, जिससे 1.6 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को जीवनरक्षक टीकाकरण मिला है। 
  • शून्य – खुराक बच्चे वे होते हैं जो किसी भी प्रकार से नियमित टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं। इनमें से 63% बच्चे बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं।
  • मिशन इंद्रधनुष को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2014 में शुरू किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य सभी गैर – टीकाकृत और आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों को टीके उपलब्ध कराना है। 
  • भारत में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या को कम करने के लिए तीव्र मिशन इंद्रधनुष भी शुरू किया गया है।

भारत द्वारा टीकाकरण  से संबंधित अन्य सहायक उपाय भी अपनाये गए हैं। जो निम्नलिखित है – 

  • इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN)
  • नेशनल कोल्ड चेन मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (NCCMIS)

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट के अनुसार टीकाकरण की मुख्य चुनौतियाँ :

 

 

स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच की कमी :

  • 2022 में, दुनिया भर में 14.3 मिलियन बच्चों को DPT का पहला टीका नहीं मिला, जो कि स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच की समस्या को दर्शाता है।
  • टीकाकरण से वंचित या अपूर्ण टीकाकरण वाले 20.5 मिलियन बच्चों में से लगभग 60% भारत समेत 10 देशों में रहते हैं।

संक्रामक रोगों से मृत्यु :

  • भारत में संक्रामक रोग बाल मृत्यु और बीमारी के मामलों को बढाता हैं। अतः इसके रोकथाम के लिए टीकाकरण है।
  • भारत में प्रतिवर्ष लगभग एक मिलियन बच्चे पाँच वर्ष की आयु पूरी करने से पहले ही मर जाते हैं।
  • स्तनपान, टीकाकरण, और उपचार जैसी सेवाओं तक बेहतर पहुँच से भारत में इस रोग से होने वाले इन मौतों को रोका जा सकता है।

 भारत में टीकाकरण का पूर्ण कवरेज लक्ष्य :

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के अनुसार, भारत में टीकाकरण का पूर्ण कवरेज 76.1% है, जिसका अर्थ है कि हर चार में से एक बच्चा आवश्यक टीकों से वंचित ही रहता है।

यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) :

  • भारत में सन 1978 में शुरू हुए टीकाकरण के  विस्तारित कार्यक्रम को 1985 में ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित करते हुए इसे सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) का नाम दिया गया।
  • सन 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के शुरू होने के बाद से UIP इसका एक महत्वपूर्ण भाग बना हुआ है।
  • सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत, 12 वैक्सीन – रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण प्रदान किया जाता है। 
  • भारत में यह राष्ट्रीय स्तर पर 9 बीमारियों और उप – राष्ट्रीय स्तर पर 3 बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण किया जाता है।

 

टीकाकरण से संबंधित प्रमुख वैश्विक पहल क्या हैं?

 

वैश्विक स्तर पर टीकाकरण को बढ़ावा देने और रोगों के प्रसार को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें को आरंभ किया गया हैं। जो निम्नलिखित है – 

  1. टीकाकरण एजेंडा 2030 : यह एक वैश्विक रणनीति है जिसका उद्देश्य टीकाकरण के माध्यम से जीवन की रक्षा करना, स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करना है।
  2. विश्व टीकाकरण सप्ताह : यह एक वार्षिक अभियान है जो टीकाकरण के महत्व को और दुनिया भर में टीकाकरण के प्रति जागरूकता को बढ़ाता है।
  3. टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम (EPI) : इसकी स्थापना 1974 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गई थी। EPI का मूल लक्ष्य सभी बच्चों को डिप्थीरिया, खसरा, पर्टुसिस, पोलियो, टेटनस, तपेदिक और चेचक के खिलाफ टीकाकरण करना था। इसमें 13 बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण के लिए सार्वभौमिक सिफारिशें और अन्य 17 बीमारियों के लिए संदर्भ – विशिष्ट सिफारिशें शामिल हैं,जो बच्चों से लेकर किशोरों और वयस्कों तक टीकाकरण की पहुँच के  विस्तार को बताता है।

 

वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीकाकरण के लिए समाधान / आगे की राह : 

 

 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीकाकरण रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीकाकरण के लिए डिजिटल समाधानों के माध्यम से एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। 
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे कि eVIN, U-WIN, और Co-WIN की मदद से, टीकाकरण की प्रक्रिया में अभूतपूर्व गति और कुशलता आई है। 
  • इन पहलों के जरिए, भारत ने न केवल टीकाकरण कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त करने में वृद्धि की है, बल्कि शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। 
  • भारत में डिजिटलीकरण ने टीकाकरण के प्रबंधन और इसके द्वारा बचाए गए मनुष्य के जीवन की संख्या को प्रदर्शित करती है। जो भविष्य में भी टीकाकरण के महत्व को बनाए रखने की आवश्यकता को दर्शाता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों पहलों के माध्यम से, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य संबंधित संस्थाएँ टीकाकरण के महत्व को बढ़ावा देने और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए काम कर रही हैं।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में  निम्नलिखित  में से कौन सा ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन (नेशनल न्यूट्रिशन मिशन)’ का मुख्य  उद्देश्य हैं? ( UPSC – 2017)

  1. भारत में राष्ट्रीय स्तर परगर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण से संबंधित जागरूकता को बढ़ाना।
  2. मोटा अनाज, बाजरा तथा अपरिष्कृत चावल के उपभोग को बढ़ाना।
  3. भारत में  मुर्गी के अंडों के उपभोग को बढ़ाना।
  4. भारत में छोटे बच्चों, किशोरियों तथा महिलाओं में रक्त अल्पता की घटना को कम करना।

नीचे दिये गए कूट से सही उतर चुनिए  :

A. केवल 1 और 4

B. केवल 1, 2 और 3

C. केवल 1, 2 और 4

D. केवल 3 और 4

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत जैसे विकासशील देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के संबंध में टीकाकरण के महत्त्व को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत में संपूर्ण जनसंख्या का सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित करने में प्रमुख चुनौतियाँ क्या है एवं सरकार द्वारा सार्वभौमिक टीकाकरण के समाधान के लिए उठाए गए प्रमुख उपायों पर भी चर्चा कीजिए। ( UPSC – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

 

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