हीट वेव

हीट वेव

हीट वेव

संदर्भ- 16 अप्रैल को मुंबई में हीट वेव के कारण 11 लोगों की एक साथ मौत हो गई। जो हीच वेव के कारण एक ही समय में होने वाली एक बड़ी घटना है। हीट वेव या गर्मी की लहर से प्रभावित सभी लोग मुंबई में एक सरकारी सभा में भाग ले रहै थे। 

  • भारत मौसम विज्ञान के अनुसार घटना दिवस के दिन मुंबई का तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस था। जो सामान्य से 1 डिग्री सेण्टिग्रेट था।
  • इण्डियन एक्सप्रैस के अनुसार यह वेट बल्व तापमान युक्त हीट वेव की स्थिति हो सकती है।
  • 17 अप्रैल को भारत मौसम विज्ञान ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उड़ीसा व आंध्र प्रदेश में हीट वेव की संभावना दर्ज की है।  

हीट वेव-  

  • हीट वेव, अत्यधिक तापमान की मौसमी जलवायु है।
  • हीट वेव को किसी विशेष क्षेत्र की सामान्य जलवायु व तापमान के सापेक्ष मापा जाता है।
  • ठण्डी जलवायु से संबंधित व्यक्तियों के लिए गर्म जलवायु का सामान्य तापमान भी हीट वेव की तरह कार्य कर सकता है।

हीट वेव घोषित करने के मानदण्ड

हीट वेव घोषित करने के लिए स्थानीय तापमान पर्वतीय क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेण्टिग्रेट और मैंदानी क्षेत्रों में कम से कम 40 डिग्री सेण्टिग्रेट होना चाहिए। हीट वेव निर्धारित करने की दो परिस्थितियाँ हो सकती हैं-

  • सामान्य तापमान में 4.5 -6.5 डिग्री सेण्टिग्रेट की बढ़ोतरी को हीट वेव और
  • सामान्य तापमान के 6.5- 7 डिग्री सेण्टिग्रेट की बढ़ोतरी को अत्यधिक गंभीर हीट वेव की श्रेणी में रखा जाता है। 
  • तटीय क्षेत्रों में हीट वेव घोषित करने मानदण्ड- जब सामान्य तापमान कम से कम 4.5 डिग्री सेण्टिग्रेट की वृद्धि के साथ तापमान लगभग 37 डिग्री सेण्टिग्रेट तक पहुँच जाता है तो तटीय क्षेत्रों में हीट वेव घोषित किया जा सकता है। 
  • यदि उपरोक्त स्थिति दो स्टेशनों में लगातार दो दिनों के लिए बनी रहती है, तो हीट वेव घोषित किया जाता है। 

भारत में हीट वेव संभावित क्षेत्र

  • भारत में हीट वेव, मार्च से जून तक की अवधि में होता है। और कभी यह परिस्थिति जुलाई माह में भी पाई जाती हैं। भारत में मई माह में सर्वाधिक तापमान व हीट वेव की घटनाएं हो सकती है।
  • हीट वेव का तापमान यदि समय के साथ बढ़ता जाता है तो हीट वेव भयानक हो सकता है। 
  • भारत के उत्तर पश्चिमी राज्यों, मध्य राज्यों, पूर्व व प्रायद्वीपीय राज्यों के मैंदानी इलाकों में हीट वेव की घटनाएं, घटित होती हैं।
  •  इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्य प्रभावित होते हैं। कभी कभी तमिलनाडु व केरल के राज्यों में भी हीट वेव की घटनाएं पाई जाती हैं। 
  • देश में हीट वेव की घटनाओं का पूर्वानुमान भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा किया जाता है। 

भारत में हीट वेव की परिस्थितियाँ

  • परिवहन- गर्म हवा के परिवहन के लिए उसक्षेत्र में गर्म हवा के लिए एक पैटर्न उपलब्ध होना चाहिए।
  • ऊपरी वायुमंडल में नमी की अनुपस्थिति- ऊपरी वायुमण्डल में नमी की अनुपस्थिति तापमान की बढ़ोतरी का कारक होती है। 
  • बादलविहीन आकाश- वायुमण्डल में व्यावहारिक रूप से बादलों की अनुपस्थिति क्षेत्र में अधिकतम इंसुलेशन में सहायक होता है। 
  • एंटीसाइक्लोनिक प्रवाह- क्षेत्र की वायुमण्डलीय सतह पर एंटीसाइक्लोनिक प्रवाह भी हीट वेव का कारक हो सकता है।
  • वेट बल्ब तापमान रुद्धोष्म संतृप्ति का तापमान है। यह हवा के प्रवाह के संपर्क में आने वाले नम थर्मामीटर बल्ब द्वारा इंगित तापमान है। गीले मलमल में लिपटे बल्ब के साथ थर्मामीटर का उपयोग करके गीले बल्ब का तापमान मापा जा सकता है। थर्मामीटर से पानी का रूद्धोष्म वाष्पीकरण और शीतलन प्रभाव हवा में “शुष्क बल्ब तापमान” से कम “गीले बल्ब तापमान” द्वारा इंगित किया जाता है। इसके कारण हीट वेव अधिक घातक हो जाता है।

भारत में हीट वेव के प्रभाव

  • मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव- हीट वेव का सीधा प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है इसके कारण थकान, कमजोरी, सिरदर्द, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्या हो सकती है। हीट स्ट्रोक की स्थिति में प्रलाप, दौरे या कोमा के साथ शरीर का तापमान 40*C यानी 104*F या इससे अधिक हो जाता है, जो कई बार मृत्यु का कारण बनती है। 
  • हीटवेव का मानव श्रम पर प्रभाव- हीट वेव के कारण मानव की श्रम करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे उसके श्रम क्षेत्र की उत्पादकता पर प्रभाव पड़ता है। यह आर्थिक रूप से निर्बल लोगों की स्थिति को भयावह कर सकता है। 
  • कृषि पर प्रभाव-  भारत में हीट वेव का समय मार्च से जून तक होता है जिस समय रबी की फसल काटी जाती है हीटवेव के प्रभाव से रबी की फसलों पर प्रभाव पड़ता है। 2022 में पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में हीट वेव के कारण गेहूँ की फसलों की उत्पादकता पर 2.75 मिलियन टन की कमी आई। गेहूं उत्पादन में कमी के कारण देश की निर्यात करने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। 

हीट वेव से निपटने के लिए कार्य

  • भारतीय मौसम विज्ञान द्वारा दी गई पूर्व जानकारी को मीडिया के द्वारा अधिक से अधिक प्रसारित किया जा सकता है, जिससे मानव स्वास्थ्य कम से कम प्रभावित हो। 
  • हीट वेव से बचने के लिए हीट वेव प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को गर्मी से बचने के उपायों का पालन करना चाहिए, जिससे वे हीट वेव से अपनी सुरक्षा कर सकें।
  • हीट वेव से अप्रभावी फसलों का प्रयोग किया जा सकता है।
  • 2023 में अल नीनो की भी संभावना जताई जा रही है, अतः सरकार पहले से इन परिस्थितियों से निपटने के उपाय कर सकती है। 

स्रोत

Indian Express

https://mausam.imd.gov.in/imd_latest/contents/subdivisionwise-warning.php

Yojna daily current affairs hindi med 17th April 2023

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