19 Apr निसार मिशन (NISAR MISSION)
निसार मिशन (NISAR MISSION)
संदर्भ- हाल ही में अमेरिका के नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का संगठित उपग्रह मिशन निसार अथवा NASA- ISRO- SAR लांच किया जाएगा। द हिंदू के अनुसार यह हिमालयी घटनाओं व प्राकृतिक आपातकाल के क्षेत्र में कार्य करेगा।
निसार- एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संगठित मिशन है। इसे भारत के श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वारा 2024 में लांच किया जाएगा। निसार, पृथ्वी की सतह के परिवर्तनों को मापने वाला पहला उपग्रह होगा।
निसार मिशन के लक्ष्य-
- मिशन 12 दिन की समय सीमा के साथ पृथ्वी के दो निर्दिष्ट बिंदुओं के विस्थापन को मापेगा। इस भूमि के अंतर्गत पृथ्वी के क्षात ज्वालामुखी, तेजी से पिघलते हिमनद, हाइड्रोकार्बन व भूतापीय जलाशय, भूकंप, भूस्खलन आदि आपदा स्थल।
- पृथ्वी की 90% या उससे अधिक बर्फ से ढकी सतह के विस्थापन का मापन।
- आर्कटिक व अंटार्कटिक समुद्री बर्फ के वेग का मापन।
- लकड़ी युक्त बायोमास के द्रव्यमान का मापन।
- मौसमी फसल भूमि व जलमग्न क्षेत्रों का मापन।
- प्रमुख प्राकृतिक या मानव जनित आपदाओं की प्रतिक्रिया के समर्थन में अपनी क्षमता का प्रयोग करना।
सार SAR- SAR को सिंथेटिक एपर्चर रडार भी कहा जाता है यह रडार प्रणाली द्वारा सटीक छवि लेने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। छवि रडार का प्रयोग विद्युत चुंबकीय तरंगों का उत्सर्जन व उसके माध्यम से ली गई छवियों को SAR में शामिल किया जाता है। सार प्रक्रिया लांग ट्रैक रिजॉल्यूशन को निर्धारित करती है।
निसार मिशन की आवश्यकता
पृथ्वी लगातार प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रही है, प्रकृतिक घटनाओं के पूर्वानुमान के लिए मौसम विज्ञान बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है किंतु कुछ घटनाएं जैसे भूस्खलन, हिमस्खलन, भूकंप आदि की पूर्व जानकारी प्राप्त कर पाना अब तक मौसम विज्ञान के लिए कठिन समस्या बना हुआ है। इन समस्याओं के निराकरण के रूप में निसार मिशन को लांच करने के लिए भारत और अमेरिका के वैज्ञानिक एक साथ कार्य कर रहे हैं।
भारत में प्राकृतिक आपदा व आपदा प्रभावित क्षेत्र
भूस्खलन- भूस्खलन किसी ढलान वाले क्षेत्र से पत्थर, जमीन व मिट्टी का खिसकना शामिल है। सामान्यतया यह तब होता है जब ढलान के भीतर गुरुत्वाकर्षण और स्पर्शरेखा तनाव, ढलान बनाने वाली सामग्री की कतरनी शक्ति (कतरनी प्रतिरोध) से अधिक हो जाते हैं। भूस्खलन के कारण विश्व समेत भारत में भी प्राकृतिक व मानव संसाधनों की क्षति हो जाती है। भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अचानक आए भूस्खलन के साथ भूधंसाव की समस्याएं आ रही हैं।
भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र
भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र | राज्य और शहर |
पश्चिमी हिमालय | हिमांचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड |
पूर्वी व उत्तर पूर्वी हिमालय | पश्चिम बंगाल, अरुणांचल प्रदेश, सिक्किम |
नागा-अराकान पर्वत बेल्ट | त्रिपुरा, नागालैण्ड, मिजोरम, मणिपुर |
पश्चिमी घाट और नीलगिरी | केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोआ |
मेघालय का पठार | भारत का उत्तर पूर्वी भाग |
हिमस्खलन– किसी ढलान वाले क्षेत्र में तेजी से हिम के भारी प्रवाह को हिमस्खलन कहा जाता है। एक बड़े पैमाने का हिमस्खलन बर्फ के टुकड़ों, पेड़ व पहाड़ी को स्थानांतरित करने की क्षमता रखती हैं। 2021 में उत्तराखण्ड में हिमस्खलन जिसने बाढ़ का रूप ले लिया में जल विद्युत परियोजना समेत कई लोगों की जान चली गई थी।
भारत में हिमस्खलन क्षेत्र
हिमस्खलन प्रभावित राज्य | जिला |
जम्मू कश्मीर | कुलगाम, पहलगाम,अनंतनाग और शोपिया, त्राल |
हिमांचल प्रदेश | चम्बा, कुल्लू व किन्नौर घाटी |
उत्तराखण्ड | उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग व चमोली |
भूकम्प– पृथ्वी की सतह पर होने वाले आकस्मिक गति या कम्पन को भूकम्प कहते हैं। जो धीरे धीरे संचित ऊर्जा के अचानक मुक्त होने के कारण हो सकती है। भारत में भूकंप प्रभावित क्षेत्रों को जोन के आधार पर विभाजित किया गया है। 2021 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों ने हिमालय के साथ 1,252 जीपीएस स्टेशनों के डेटा के आधार पर हिमालय का एक “स्ट्रेन मैप” प्रकाशित किया। इसने उन क्षेत्रों की पहचान की जिनमें 8 से अधिक परिमाण के भूकंप उत्पन्न करने की सबसे बड़ी संभावना थी, जो एक बड़ी समस्या है।
भारत में भूकंप में प्रभावित क्षेत्र
भूकम्प प्रभावित जोन |
राज्य |
जोन – 5 |
जम्मू कश्मीर, उत्तराखण्ड, गुजरात, बिहार, अण्डमान |
जोन – 4 |
जम्मू कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल, गुजरात व राजस्थान के कुछ हिस्से |
जोन – 3 |
केरल, गोवा, लक्षद्वीप, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व कर्नाटक आदि। |
जोन – 2 |
देश के शेष हिस्से |
स्रोत
https://nisar.jpl.nasa.gov/mission/mission-concept/
yojna daily current affairs hindi med 19 April 2023
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