20 Apr पेपर लीक व नकल विऱोधी कानून
पेपर लीक व नकल विऱोधी कानून
संदर्भ- हाल के कुछ वर्षों में देश क कई राज्यों पेपर लीक के मामले सामने आ रहे हैं,जिसके कारण परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं द्वारा विरोध किया जा रहा था, इसी प्रकार की घटनाएं गुजरात में भी हुई जिसके कारण गुजरात सरकार ने इस बजट सत्र के पहले दिन पेपर लीक मामलों की जाँच के लिए एक विधेयक पारित किया। जिसके तहत-
- विधेयक के तहत न्यूनतम तीन साल तक की सजा व 1 लाख रुपये का जुर्माना तय किया गया है।
- पेपर लीक के संगठित अपराध के लिए 10 साल तक की सजा व 1 करोड़ तक का जुर्माना दिया जा सकता है।
- यह कानून के केवल राज्य आधारित परीक्षाओं के लिए ही लागू किया जा सकेगा।
- यह कानून केवल सामुदायिक परीक्षा के लिए है, स्कूली या विश्वविद्यालयी परीक्षाओं के लिए नहीं।
पेपर लीक
गुजरात राज्य के साथ साथ भारत के अन्य़ प्रदेश जैसे उत्तराखण्ड, राजस्थान, बिहार व पश्चिम बंगाल में पेपर लीक की समस्या बनी हुई है। देश के अधिकांश हिस्सों के युवा जो महानगरीय क्षेत्र से संबद्ध नहीं हैं, भारत में सरकारी नौकरी को अपना लक्ष्य बना लेते हैं जिसके कारण इसकी मांग भारत मे काफी बढ़ गई है।
सरकारी नौकरी की मांग बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे-
जनसंख्या- आज देश विश्व की सर्वाधिक आबादी वाला देश भारत बन गया है जिसमें मानव श्रम आसानी से उपलब्ध है, किंतु उसके लिए श्रम की उपलब्धता बनाए रखना एक अन्य चुनौती है।
शिक्षा व्यवस्था – भारत की शिक्षा व्यवस्था, केवल परीक्षा में अच्छे प्राप्तांक हासिल करने से संबंधित रही है जिसके कारण युवाओं की रुचि केवल किताबी ज्ञान प्राप्त करने में रह जाती है और वे अन्य संभावनाओं को नजरअंदाज कर केवल सामुदायिक परीक्षा जिससे वे एक सरकारी नौकरी प्राप्त कर सके, की तैयारी ही कर पाते हैं। द प्रिंट के अनुसार भारत में सरकारी नौकरी की तैयारी कराने वाले कोचिंग का वर्तमान बाजार 58088 करोड़ का है, जो 2028 तक 133995 करोड़ हो जाएगा।
पारंपरिक आजीविका के साधनों का ह्रास- भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है जिसमें कृषि के साथ कुटीर उद्योग भारत की आजीविका के प्रमुक साधन रहे हैं। वर्तमान बाजारीकरण के दौर में अन्य उद्योगों की तुलना कृषि से करने पर कृषक स्वयं को पिछड़ा हुआ पाते हैं, इसका एक अन्य कारण बाजार में उनके उत्पादों की कीमत, लागत से कम या फसलों पर जलवायु परिवर्तन की मार हो सकते हैं।
प्रौद्योगिकी की तीव्र क्षमता- वर्तमान प्रौद्योगिकी की कार्य करने की तीव्र क्षमता, जैसे Chat GPT जो कम समय में अधिक कार्य करने की क्षमताके कारण, रोजगार के सीमित साधनों को और सीमित करने का कार्य कर रही है।
पेपर लीक के कारण
बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में रोजगार के क्षेत्र सीमित होते जा रहे हैं। सीमित पदों के लिए असीमित लोग परीक्षा में बैठते हैं, उनमें से लगभग 1% अभ्यर्थी सफल व 99% असफल होते हैं। इन सभी के लिए रोजगार मुहैया करा पाना वर्तमान में एक चुनौती है।
भारत में अधिकांश सरकारी नौकरी के आवेदन के लिए आयुसीमा 30-32 वर्ष व कुछ परीक्षाओं के लिए 42 वर्ष भी निर्धारित किया गया है। जिसके कारण परीक्षार्थी अपने जीवन का अधिकांश समय तैयारी करने में व्यतीत करते हैं। इस दौरान वे परिवार पर निर्भर रहते हैं। जिस कारण वे अन्य करियर संबंधित संभावनाओं का अनुभव प्राप्त नहीं कर पाते।
अत्यधिक मांग व सीमित उपलब्धता के कारण परीक्षा में असफलता स्वाभाविक है। किंतु असफलता की पुनरावृत्ति के कारण अभ्यर्थी की मनोवैज्ञानिक दशा कमजोर हो सकती है। इन सब परिस्थितियों के कारण पेपर लीक माफिया को फलने फूलने का अवसर प्राप्त हो जाता है।
उत्तराखण्ड नकल विरोधी अध्यादेश 2023- उत्तराखण्ड में पेपर लीक की समस्या बहुत समय से आ रही है जिसमें कोई भी सामुदायिक परीक्षा सफलतापूर्वक सम्पन्न होने में असफल रही, जिसके कारण उत्तराखण्ड सरकार द्वारा यह अध्यादेश लाया गया। इसके तहत
- दोषियों हेतु 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना व आजीवन कारावास या 10 वर्ष की सजा मिल सकती है।
- यह कानून गैर जमानती व गैर शमनीय हैं।
- इस विनियमन का उद्देश्य परीक्षा की अखण्डता को बाधित करने, अनुचित साधनों का प्रयोग करने, पेपर लीक करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया। इसी प्रकार के कानून राजस्थान में भी लागू है।
आगे की राह
- नकल विरोधी कानूनों के साथ ही भारत में रोजगार सृजन के प्रयासों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- अभ्यर्थियों की कक्षा 12 वी के बाद परिवार पर निर्भरता को समाप्त किया जा सकता है।
- परीक्षाओं की आयुसीमा को सीमित कर भी इस माफिया को समृद्ध होने से रोका जा सकता है।
- कक्षा के प्राथमिक स्तर से ही प्रशिक्षण आधारित शिक्षा को दूरस्थ स्थानों के स्कूलों में लागू किया जा सकता है।
- मूल्य वर्धक फसलों को कृषि में शामिल कर उनके लिए बाजार तैयार किया जा सकता है।
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