भारतीय मार्शल आर्ट

भारतीय मार्शल आर्ट

भारतीय मार्शल आर्ट

संदर्भ- द हिंदू में छपे लेख के अनुसार आज भी तमिलनाडु में पारंपरिक मार्शल आर्ट सिलंबम का प्रशिक्षण दिया जाता है। सिविल सर्विस परीक्षा के दृष्टिकोण से मार्शल आर्ट भारतीय इतिहास, कला व संस्कृति का एक महत्वपूर्ण विषय है। 

मार्शल आर्ट

  • मार्शल आर्ट, युद्ध की एक ऐसी कला है जिसका उद्देश्य किसी भी शारीरिक खतरे से रक्षा है। 
  • यह अभ्यास आधारित कला है अर्थात यह विज्ञान भी है। जिसमें अभ्यास के माध्यम से उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। 
  • यह युद्ध अभ्यास के साथ साथ नृत्य कला के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
  • मार्शल आर्ट शब्द यूरोपीयों द्वारा रचा गया जो एशइयाई युद्ध पद्धति को वर्णित करता था। 
  • मार्शल आर्ट का विकास चीन में हुआ। किंतु भारतीय इतिहास में मार्शल कला के साक्ष्य मिलते हैं जो इसे भारतीय मूल की  कला के रूप में संदर्भित करते हैं।

भारतीय मार्शल आर्ट

मार्शल आर्ट में गुण अनुशासन, विनम्रता, संयम व सम्मान होने आवश्यक हैं जो एक दंत कथा के अनुसार पल्लव राजकुमार बोधिधर्मा को चीन में जेन बौद्ध धर्म स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। और इन्हीं को मार्शल आर्ट के इन गुणों का प्रतिपादक माना जाता है। भारत में मार्शल आर्ट की कई शैलियों का विकास हुआ, जो यहाँ की संस्कृति का अंग है। यह इण्डोनेशिया व कम्बोडिया के हिंदू मंदिरों में बोरोबुदुर व अंकोरवाट में अंकित राजाओं की स्थिति इस कला के साथ सुमेलित हैं।

कलारीपयट्टु

  • सबसे प्राचीन मार्शल आर्ट कला, कलारीपयट्टु को माना जाता है। जिसे भारतीय राज्य केरल के मूल का माना जाता है। 
  • भारत में यह केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु में और विदेशों में यह श्रीलंका व मलेशिया के भारतीय समुदायों में प्रचलित है। 
  • कलारीपयट्टु का अर्थ व्यायामशाला या प्रशिक्षण स्थल है। इसी स्थान पर यह कला का प्रशइक्षण गुरु द्वारा दिया जाता था।
  • कलारीपट्टु का आदिगुरु अगस्त्य मुनि को माना जाता है जिन्होंने प्राचीनकाल में इस कला का प्रशिक्षण जंगली जानवरों के हमले से बचने के लिए दिया था। 
  • प्रशिक्षण को चार चरणों में दिया जाता है- मिथारी, कोल्थारी, अन्कथारी और वेरुम्कई।
  • इस कला के लिए संयम व शांतचित्त दे प्रमुख गुण अनिवार्य माने जाते हैं।

सिलम्बम

  • सिलंबम को संगम युगीन कला भी माना जाता है। इसका मूल स्थान तमिलनाडु है। 
  • इस कला मे केरल के कलारीपयट्टु व श्रीलंका के अंगमपोरा के गुण मिलते हैं।
  • मलेशिया में इस कला का प्रयोग आत्मरक्षा के साथ एक खेल के रूप में किया जाता है।
  • सिलंबम में फुटवर्क का प्रयोग अधिक किया जाता है।
  • आत्मरक्षा के लिए हथियार के रूप में डण्डे का प्रयोग किया जाता है।

मलयथम

  • मलयथम या मल्लयुद्ध पारंपरिक भारतीय युद्ध कला है। इसके चार प्रकार हैं- हनुमंती, जाम्बुवंती, जरासंधई, भीमसेनी। 
  • प्रतिद्वंदी को तकनीकि श्रेष्ठता होल्स व लॉक्स का प्रयोग कराने व आत्मसमर्पण करने की एक तकनीक है। जो पश्चिमी कुश्ती के समान है।
  • मल्ल युद्ध का उल्लेख रामायण में बालि व सुग्रीव के युद्ध प्रसंग में भी है।

थांग टा

  • मणिपुर की मिशेई जनजाति के बीच थांगटा भारतीय युद्ध कला है। जिसमें शस्त्रों का प्रयोग किया जाता है।
  • थांग टा शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। थांग का अर्थ है- तलवार, टा का अर्थ है भाला।
  • इस युद्ध में तलवार, भाला, कुल्हाड़ी का प्रयोग किया जाता है। इस कला का प्रयोग युद्ध के साथ साथ नृत्य में भी होता है।

 सरित करक

  • सरित करक भी मणिपुर में उपजित मार्शल आर्ट है जिसमें किसी भी प्रकार के शस्त्र का प्रयोग नहीं किया जाता।
  • यह हाथों द्वारा लड़ा जाने वाला युद्ध है।
  • अंग्रेजों द्वारा इस कला पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • वर्तमान में इस युद्ध कला को खेलो इण्डिया में भी स्थान प्राप्त हुआ है।

वरमा कलाई

  • वरमा कलाई, दक्षिण भारत की एक प्राचीन कला है।
  • यह कला, वैकल्पिक चिकित्सा और मार्शल आर्ट का मिला जुला रूप है।
  • शरीर के दबाव बिंदुओं का प्रयोग, प्रतिद्वंदी को पराजित करने के लिए किया जाता है। 
  • शरीर के दबाव बिंदुओं को चिकित्सा के लिए भी प्रयोग किया जाता है, इन्हें वैद्य मुरई कहा जाता है

लाठी खेला

  • भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में प्रयुक्त की जाने वाले युद्ध के प्रयोग को लाठी खेला कहा जाता है।
  • इस पद्धति में लाठियों का प्रयोग किया जाता है।
  • बंगाल के साथ भारत के कई गांवों में इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

गतका 

  • भारत के पंजाब राज्य में गतका नामक कला भी मार्शल आर्ट का एक रूप है।
  • यह सिक्ख गुरुओं द्वारा प्रयोग की जाने वाली कला है। 
  • सिक्खों के धार्मिक उत्सवों में शस्त्र व शक्ति प्रदर्शन का एख रूप गतका युद्ध कला होती है।
  • पंजाब राज्य ने गतका को खेल की मान्यता प्रदान कर अंतर्राष्ट्रीय गतका फेडरेशन की शुरुआत 1982 में की।

मर्दानी खेल

  • महाराष्ट्र के कोल्हापुर में मर्दानी कला का प्रयोग किया जाता है।
  • यह मार्शल आर्ट या युद्ध शैली को छत्रपति शिवाजी ने विशेष संरक्षण दिया था।
  • इस युद्ध में तलवार व भाले का प्रयोग किया जाता है जिसे पाटा व वीटा कहा जाता है। 

वर्तमान प्रासंगिकता

वर्तमान परिस्थितियों में जहाँ अधिकांश भारतीय फिटनेस रुटीन के लिए विभिन्न तरीके इजाद कर रहे हैं, उन तरीकों में भारतीय संस्कृति के तत्वों को शामिल करते हुए यह स्वस्थ भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकता है। सरकार द्वारा योग को अपनाने के प्रयासों के साथ साथ भारतीय युद्ध कलाओं को शामिल किया जा सकता है, जो आत्मरक्षा व वैकल्पिक चिकित्सा साथ साथ भारतीय संस्कृति को बचाए रखने में मदद करेगा।

स्रोत

The Hindu

भारतीय कला व संस्कृति

Hindi Current Affair

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 14th April 2023

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