सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन

संदर्भ- इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी ने केंद्र से हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन को वापस लेने की मांग की है। यह सत्ताधारी सरकार या उसके अंतर्गत आने वाली एजेंसी को मनमाना अधिकार प्रदान करती है जिससे वह स्वयं के कार्य का मूल्यांकन करने में पक्षपात कर सकती है।

सोसायटी के अनुसार किसी भी अधिसूचना को जारी करवने से पूर्व प्रेस व मीडिया से जुड़े संस्थानों व संगठनों से विचार विमर्श करना चाहिए, क्योंकि ऐसे निर्णयों को उनके व्यवसाय पर गहरा प्रभाव पड़ता है। 

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 

डिजीटल प्रकाशकों के लिए इसमें दी गई आचार संहिता का प्रयोग करना अनिवार्य है। इसके लिए निम्न दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैैं-

  • मध्यवर्ती इकाइयों द्वारा जांच परख का पालन करना आवश्यक है। जांच परख के प्रावधान का पालन न करने पर सेफ हार्बर का प्रावधान उन पर लागू नहीं होगा। 
  • पीड़ितों से मिली शिकायतों के समाधान के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना आवश्यक है। शिकायतों के निवारण हेतु एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति होनी अनिवार्य है।
  • ऑनलाइन महिला उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा व गरिमा सुरक्षा के लिए प्रावधान किया गया है। 

मध्यवर्ती इकाइयों द्वारा जांच परख संबंधित प्रावधान

  • मध्यवर्ती जांच परख का कार्य एक अनुपालन अधिकारी के अंतर्गत सुनिश्चित हो
  • एक रेजीडेंट शिकायत अधिकारी की नियुक्ति जो शिकायतों का निवारण करेगा।
  • एक मासिक अनुपालन रिपोर्ट में शिकायतों व शिकायतों के समाधआन से संबंधित रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
  • सूचना प्रसारित कर रहे सोशल मीडिया मध्यस्थों की पहचान को सुलभ बनाया जाएगा, इसके तहत देश में बाल यौन शोषण, बलात्कार जैसी सामग्री और विदेशी मित्रता को प्रभावित करने वाली सामग्री से जुड़े अपराधों के लिए 5 साल की जेल का प्रावधान किया गया है। 
  • स्वैच्छिक रूप से खाते का सत्यापन कराने वाले उपयोगकर्ताओं को अपने खातों के सत्यापन करने के लिए एक उचित तंत्र बनाना।
  • उपय़ोगकर्ताओं को उसके द्वारा साझा की गई सामग्री को मध्यस्थओं द्वारा प्रतिवंधित करने के कारणों से अवगत कराया जाएगा ओर उपयोगकर्ताओं को उनका पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया जाएगा।

डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से संबंधित तथ्य

  • डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से संबंधित डिजिटल मीडिया आचार संहिता का पालन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा कराया जाएगा
  • डिजिटल मीडिया पर समाचार के प्रशासकों को भारतीय प्रेस परिषद के पत्रकारिता आचरण के मानदंड और केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम के तहत कार्यक्रम संहिता पर नजर रखनी होगी, जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया को एक समान वातावरण उपलब्ध कराया जा सके।

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन-

इलैक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय भारत सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग व सरकारी कामकाज से संबंधित भ्रामक जानकारी के प्रसार से संबंधित सूचना प्रौद्योगिक नियम 2021 में संशोधन किए हैं-

  • संशोधित नियमों के अनुसार मध्यस्तों को किसी भी ऐसे गेम को होस्ट, प्रकाशित या सांझा नहीं करना चाहिए जिससे उपयोगकर्ताओं को नुकसान हो या जो केंद्र द्वारा नामित ऑनलाइन स्वनियामक निकाय द्वारा सत्यापित न हो।
  • स्वनियामक निकाय के पास पूछताछ करने व स्वयं को संतुष्ट करने का अधिकार होगा। 
  • मध्यस्थ केंद्र सरकार से संबंधित किसी भी नकली, झूठी व भ्रामक जानकारी को प्रकाशित, सांझा या होस्ट न करें।  

मध्यस्थों पर अतिरिक्त दायित्व

  • स्व-नियामक निकाय द्वारा सत्यापन चिह्न प्रदर्शित करना; 
  • अपने उपयोगकर्ताओं को जमा धनराशि की वापसी या भुगतान, 
  • और उपयोगकर्ताओं को तीसरे पक्ष द्वारा क्रेडिट या वित्तपोषण नहीं करना शामिल है।
  • यदि केंद्र सरकार उपयोगकर्ताओं के हित में या अन्य किसी कारण से अधिसूचना जारी करती है तो उसी के अनुसार नियमों व दायित्वों का पालन किया जाएगा।

संशोधन संबंधी विवाद

प्रतिबंंधों की अपर्याप्त सूचना – नकली, झूठी व भ्रामक जानकारी को परिभाषित नहीं किया गया है। जिससे सत्ताधारी इस अधिसूचना का दुरुपयोग कर सकती है।

प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन- केंद्र सरकार के अंतर्गत स्वनियामक निकाय, किसी भी ऑनलाइन प्रदाता को निर्देश दे सकता है कि भ्रामक जानकारी को प्रसारित न करें। इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी के अनुसार प्रदाता के पक्ष को जाने बिना इस प्रकार की शक्ति का प्रयोग, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन- संशोधन, प्रेस की सेंसरशिप के समान है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

आगे की राह

केंद्र सरकार की नीतियों की विश्लेषण करना और जनता को जागरुक करना सोशल मीडिया का कर्तव्य माना गया है इसीलिए उसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। मीडिया, सरकारी नीतियों के विश्लेषण के समय सकारात्मक व नकारात्मक पक्ष का ध्यान रखता है। ऐसे में यदि नीतियों के नकारात्मक पक्ष को पेश करना भी भ्रामक कहलाया गया तो यह, प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है।  इसके लिए संशोधन में भ्रामक जानकारी की परिभाषा देनी आवश्यक है। 

इसके साथ ही स्वनियामक निकाय द्वारा जानकारी को प्रतिबंधित करना संविधान के अनुच्छेद 19 में अंकित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है। प्रदाता के पक्ष को सुने बिना जानकारी को निषेध करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन हो सकता है, यदि उस सूचना से जनमानस का नुकसान न हो रहा हो।

स्रोत

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