अर्थशॉट पुरस्कार 2021

अर्थशॉट पुरस्कार 2021

 

  • दिल्ली के उद्यमी ‘विद्युत मोहन’ को हाल ही में ‘अर्थशॉट पुरस्कार’ के लिये चुना गया है।
  • उन्होंने यह पुरस्कार अपनी नवीन तकनीक के लिये जीता है, जो ईंधन बनाने हेतुकृषि अपशिष्ट का पुनर्चक्रण करती है।

 परिचय:

  • यह प्रिंस विलियम और रॉयल फाउंडेशन द्वारा स्थापित पुरस्कार है।
  • ‘रॉयल फाउंडेशन’ ड्यूक एंड डचेज़ ऑफ कैम्ब्रिज और इतिहासकार डेविड एटनबरो द्वारा स्थापित चैरिटी है।
  • ‘सर डेविड एटनबरो’ को वर्ष 2019 में ‘इंदिरा गाँधी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
  • इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2020 में की गई थी और वर्ष 2021 में पहली बार फाइनलिस्टस को उनके योगदान के लिये पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।
  • यह पुरस्कारजलवायु संकट से मुकाबला करने हेतु समाधान विकसित करने के लिये वर्ष 2021 और वर्ष 2030 के बीच पाँच फाइनलिस्टस को दिया जाएगा।
  • विजेता को एक मिलियन यूरो की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। विजेताओं का चयन अर्थशॉट पुरस्कार परिषद द्वारा किया जाएगा।

प्रत्येक वर्ष पाँच संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में से प्रत्येक के लिये पाँच विजेताओं का चयन किया जाएगा, ये हैं:

  • प्रकृति की बहाली और संरक्षण
  • स्वच्छ वायु
  • महासागर पुनरुद्धार
  • अपशिष्ट-मुक्त जीवन
  • जलवायु कार्यवाही

 पात्रता:

  • यह पुरस्कार उन व्यक्तियों, टीमों या सहयोगों जैसे- वैज्ञानिक, कार्यकर्त्ता, अर्थशास्त्री, सामुदायिक परियोजनाएँ, नेता, सरकारें, बैंक, व्यवसाय, शहर और देश को प्रदान किये जा सकते हैं, जिनके व्यावहारिक समाधान जलवायु संकट से मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।

 उद्देश्य

  • पृथ्वी की पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिये प्रोत्साहित करना और उनका समर्थन करना।
  • परिवर्तन हेतु प्रोत्साहित करना और अगले दस वर्षों में पृथ्वी के पुनरुद्धार में मदद करना।
  • परिवर्तन लाने हेतु मानवीय क्षमताओं को उजागर करके और सामूहिक कार्रवाई के लिये प्रेरित कर पर्यावरणीय मुद्दों की वर्तमान निराशावाद की स्थिति को आशावाद में बदलना।

 अर्थशॉट पुरस्कार 2021 भारतीय विजेता:

  • क्लीन आवर एयर’ (भारत):कृषि अपशिष्ट को उर्वरक में बदलने हेतु बनाई गई एक पोर्टेबल मशीन, ताकि किसान अपने कृषि अपशिष्ट को खेतों में न जलाएँ, इससे वायु प्रदूषण को कम किया जा सकेगा।
  • यह तकनीक फसल अवशेषों को ईंधन और उर्वरक जैसे बिक्री योग्य जैव उत्पादों में बदलने में मदद करेगी।
  • यह तकनीक धुएँ और कार्बन के उत्सर्जन को 98% तक कम करती है।
  • कृषि अपशिष्ट को जलाने से वायु प्रदूषण होता है जिससे कुछ क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा एक दशक तक कम हो गई है।
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