गुजरात विधानसभा में पहली महिला अध्यक्ष

गुजरात विधानसभा में पहली महिला अध्यक्ष

 

  • हाल ही में, वयोवृद्ध विधायक निमाबेन आचार्य को सर्वसम्मति से गुजरात विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष चुना गया है।

 सदन के अध्यक्ष एव उपाध्यक्ष पद हेतु निर्वाचन प्रक्रिया

  • संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा और अनुच्छेद 178 में राज्य विधानसभाओं के संदर्भ में किए गए प्रावधानों के अनुसार, “सदन, यथाशीघ्र अपने दो सदस्यों को अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेंगे।
  • लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में, अध्यक्ष (Speaker) का चुनाव करने हेतु राष्ट्रपति / राज्यपाल द्वारा एक तिथि निर्धारित की जाती है, इसके पश्चात निर्वाचित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का चुनाव करने हेतु तारीख तय करता है।
  • संबंधित सदनों के सांसद / विधायक, इन पदों पर सदन के सदस्यों में से किसी एक का निर्वाचन करने हेतु मतदान करते हैं।

सदन के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की भूमिकाएं और कार्य:

  • अध्यक्ष, “सदन का प्रमुख प्रवक्ता होता है, और सदन का सामूहिक रूप से प्रतिनिधित्व करता है। वह शेष विश्व के लिए सदन का एकमात्र प्रतिनिधि होता है”।
  • अध्यक्ष, सदन की कार्यवाही और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों की अध्यक्षता करता है।
  • अध्यक्ष, किसी विधेयक के, ‘धन विधेयक’ होने अथवा न होने संबंधी और इसके ‘धन विधेयक’ होने पर दूसरे सदन के अधिकार-क्षेत्र से बाहर होने संबंधी निर्णय करता है।
  • आमतौर पर, अध्यक्ष को सत्ताधारी दल से चुना जाता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान, लोकसभा उपाध्यक्ष के मामले में यह स्थिति भिन्न रही है।
  • संविधान में ‘लोकसभा अध्यक्ष’ की स्वतंत्रता व निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु, इसका वेतन ‘भारत की संचित निधि’ पर भारित किया गया है, और इस पर संसद में चर्चा नहीं की जा सकती है।
  • किसी विधेयक पर बहस या सामान्य चर्चा के दौरान संसद सदस्यों द्वारा केवल ‘अध्यक्ष’ को ही संबोधित किया जाता है।

चुनाव कराने हेतु समय-सीमा निर्दिष्ट करने वाले राज्य:

  • संविधान में ‘सदन के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष’ हेतु चुनावों के लिए कोई प्रक्रिया या समय सीमा निर्धारित नहीं की गयी है। इन पदों पर चुनाव आयोजित करने संबंधी निर्णय लेने का दायित्व विधायिकाओं पर छोड़ दिया गया है।

उदाहरण के लिए, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में ‘अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष’ पदों के निर्वाचन हेतु एक समय-सीमा निर्दिष्ट की गयी है:

हरियाणा:

  • हरियाणा में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव, आम चुनाव संपन्न के पश्चात शीघ्रातिशीघ्र किया जाता है। और फिर, इसके सात दिनों के भीतर उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाता है।
  • निर्धारित नियमों के अनुसार, इन पदों में से कोई पद रिक्त होने पर, विधायिका के अगले सत्र में पहले सात दिनों के भीतर इसके लिए चुनाव किया जाना चाहिए।

उत्तर प्रदेश:

  • विधानसभा की अवधि के दौरान यदि किसी कारणवश ‘अध्यक्ष’ का पद रिक्त हो जाता है, तो इस पद के हेतु, पद-रिक्त होने की तिथि से 15 दिन के भीतर चुनाव करने हेतु समय सीमा निर्धारित की गई है।
  • ‘उपाध्यक्ष’ पद के मामले में, पहली बार चुनाव की तारीख ‘अध्यक्ष’ द्वारा तय की जाती है, और इसके बाद में हुई की रिक्तियों को भरने हेतु चुनाव के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है।
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