जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में संशोधन

जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में संशोधन

 

  • केंद्र सरकार द्वारा ‘जन्‍म एवं मृत्‍यु पंजीकरण अधिनियम’, 1969 (Registration of Births and Deaths Act, 1969) में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। इस संशोधन के पश्चात्, केंद्र सरकार को “राष्ट्रीय स्तर पर ‘जन्‍म एवं मृत्‍यु पंजीकरण डेटाबेस को बनाए रखने” में शक्ति प्राप्त हो जाएगी।
  • वर्तमान में, जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण, राज्यों द्वारा नियुक्त स्थानीय रजिस्ट्रार द्वारा किया जाता है।

आवश्यकता:

  • इस डेटाबेस का उपयोग, जनसंख्या रजिस्टर और चुनावी रजिस्टर, और आधार कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस डेटाबेस को अद्यतन करने के लिए किया जा सकता है।

 केंद्र द्वारा प्रस्तावित संशोधन:

  • राज्य स्तर पर, ‘मुख्य रजिस्ट्रार’ (राज्यों द्वारा नियुक्त) एक एकीकृत डेटाबेस बनाए रखेंगे और इस डेटाबेस को भारत के महापंजीयक / रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General of India) की देख-रेख में “राष्ट्रीय स्तर” पर रखे गए डेटा के साथ एकीकृत किया जाएगा।
  • संशोधनों का आशय है, कि केंद्र सरकार के पास इस प्रकार के डेटा का समानांतर भंडार होगा।
  • किसी आपदा की स्थिति में “विशेष उप-रजिस्ट्रारों” (Special Sub-Registrars) की नियुक्ति की जायगी, और तत्काल घटनास्थल पर ही मृत्यु पंजीकरण और संबंधित दस्तावेज जारी करने के लिए, उसकी कुछ या सभी शक्तियों और कर्तव्यों को निर्धारित किया जा सकता है।

 जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के लाभ:

  • ‘जन्म प्रमाण पत्र’ बच्चे का पहला अधिकार है, और यह उसकी पहचान स्थापित करने की दिशा में पहला कदम होता है।

जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र’ के निम्नलिखित प्रमुख उपयोग हैं:

  • स्कूलों में प्रवेश के लिए
  • रोजगार के लिए उम्र के प्रमाण के रूप में
  • शादी के समय आयु प्रमाण के लिए
  • पितृत्व साबित करने हेतु
  • मतदाता सूची में नामांकन के लिए आयु निर्धारित करने हेतु
  • बीमा उद्देश्यों के लिए आयु निर्धारित करने हेतु
  • राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में पंजीकरण के लिए।
  • संपत्ति उत्तराधिकार के उद्देश्य से और बीमा कंपनियों और अन्य कंपनियों से देय राशि का दावा करने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र का अनिवार्य प्रस्तुतीकरण।
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