नार्थ स्ट्रीम गैस पाइपलाइन - Best IAS Coaching in Delhi - Yojna IAS

नार्थ स्ट्रीम गैस पाइपलाइन

नार्थ स्ट्रीम गैस पाइपलाइन

 

  • रूस और जर्मनी के बीच बाल्टिक सागर से होकर गुजरने वाली एनएस 2 गैस पाइपलाइन का निर्माण कार्य पूरा हो गया है|

पृष्ठभूमि:

  • जर्मनी रूस के मध्य 2015 में एनएस 2 गैस पाइपलाइन परियोजना पर पर सहमति बनी थी|
  • 1200 किलोमीटर लम्बी,11 बिलियन डॉलर के निवेश से बनकर तैयार हुई गैस पाइपलाइन 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस प्रति वर्ष की आपूर्ति करने की क्षमता रखती है|

परियोजना का महत्व:

  • रूस के लिए आर्थिक और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि पश्चिमी यूरोप अमेरिका के प्रभुत्व वाला क्षेत्र रहा है|
  • ऐसे में इस क्षेत्र में रूस अपने प्रभाव में विस्तार करने के अवसर के रूप में इस परियोजना को देख रहा है|
  • जर्मनी समेत अन्य यूरोपीय देश ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर पायेंगे|

एनएस 2 गैसपाइप लाइन का विरोध

  • अमेरिका शुरू से ही इस गैस पाइपलाइन परियोजना का विरोध कर रहा था|अमेरिका का मानना है इस परियोजना से पश्चिमी यूरोपीय देशों की रूस पर ऊर्जा निर्भरता बढ़ जायेगा|
  • अधिकांश पश्चिमी यूरोपीय देश नाटो में अमेरिका के सहयोगी हैं|इसलिए अमेरिका अपने सहयोगियों को रूस से घनिष्ठ संबंध बनाये जाने का विरोध करता है|
  • पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन भी इस गैस पाइपलाइन परियोजना का विरोध कर रहा है क्योंकि यूक्रेन की गैस पाइपलाइन को पास कर रूस पश्चिमी यूरोप तक के ऊर्जा बाज़ार पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर सकता है|जिससे यूक्रेन को प्रतिवर्ष 3 बिलियन डालर का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है|

बाल्टिक सागर के सीमावर्ती देश

  • स्वीडन, फिनलैंड, रूस, एस्टोनिया, लातिया, लिथुआना, पोलैण्ड, जर्मनी और डेनमार्क

तापी गैस पाइपलाइन

  • तापी गैस परियोजना तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के मध्य प्रस्तावित है|
  • इस परियोजना द्वारा प्रतिवर्ष 2 अरब घन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस की आपूर्ति चारों देशों में की जा सकती है|इस परियोजना का एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी ) द्वारा वित्त पोषण किया जा रहा है|
  • यह गैस पाइपलाइन गलकीनाइश (तुर्कमेनिस्तान ) तेल क्षेत्र से प्रारंभ होकर हेरात व कंधार (अफगानिस्तान ) तथा क्वेटा व मुल्तान (पाकिस्तान) से होते हुए भारत के पंजाब प्रान्त तक जायेगी|इस पाइप लाइन की कुल लम्बाई 1700 किलोमीटर है|

महत्व:

  • भारत,पाकिस्तान और अफगानिस्तान की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकेगी|भारत के बिजली सयंत्रों को गैस आपूर्ति सुनिश्चित होगी|

चुनौती:

  • भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंध इस परियोजना के क्रियान्वयन को बाधित करते रहेंगे |
  • आतंकवादी गतिविधियाँ योजना के निर्माण और क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधक हैं|
  • अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को भारत समेत कई देशों ने मान्यता नहीं दी है|अफगानिस्तान में उत्पन्न अस्थिरता तापी परियोजना को भी प्रभावित करेगी|
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