मुल्लापेरियार बांध

मुल्लापेरियार बांध

 

  • केरल में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट नेमुल्लापेरियार बांध (Mullaperiyar dam) में अधिकतम जल स्तर बनाए रखने संबंधी विषय पर ‘पर्यवेक्षी समिति’ (Supervisory Committee) को तत्काल और ठोस निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

पृष्ठभूमि:

  • सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 में, मुल्लापेरियार बांध से संबंधित सभी मामलों का निरीक्षण करने हेतु एक स्थायी ‘पर्यवेक्षी समिति’ का गठन किया था।
  • यह बांध तमिलनाडु और केरल के बीच टकराव का एक कारण है।

संबंधित प्रकरण:

  • केरल का कहना है कि, बाँध में ‘जल स्तर’ 139 फीट से ऊपर नहीं जाना चाहिए। जब वर्ष 2018 में राज्य बाढ़ की चपेट में था, उस समय 24 अगस्त, 2018 को अदालत ने भी अधिकतम जल-स्तर 139 फीट रखे जाने का आदेश दिया था। इसकी वजह यह है, कि यदि बाँध के जल स्तर में इससे अधिक की वृद्धि की जाती है, तो इससे 50 लाख लोगों की जान को खतरा हो सकता है।
  • हालांकि, तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए पिछले फैसलों का हवाला देते हुए, केरल के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 और 2014 में दिए गए फैसलों में अधिकतम जल स्तर 142 फीट तय किया गया था।

आगे की कार्रवाई:

  • अदालत ने केरल और तमिलनाडु के अधिकारियों से जिम्मेदारी से बातचीत करने और जानमाल के किसी भी खतरे को टालने के लिए कहा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है, कि यह राजनीति करने का मुद्दा नहीं है।
  • अब, पर्यवेक्षी समिति को अधिकतम ‘जल स्तर’ के बारे में निर्णय लेना होगा और इसके बारे में न्यायालय को सूचित करना होगा।

मुल्लापेरियार बांध

  • यद्यपि, मुल्लापेरियार बांध केरल में स्थित है, किंतु, वर्ष 1886 में त्रावणकोर के महाराजा तथा भारत के राज्य सचिव के मध्य, पेरियार सिंचाई कार्यों के लिए 999 वर्षों के लिए पट्टा अनुबंधपत्र (lease indenture), जिसे ‘पेरियार लेक लीज एग्रीमेंट’ भी कहा जाता है, पर हस्ताक्षर करने के बाद से इसका परिचालन तमिलनाडु द्वारा किया जाता है।
  • इसका निर्माण वर्ष 1887 और 1895 के मध्य किया गया था, इस बाँध से अरब सागर की बहने वाली नदी की धारा को मोड़कर बंगाल की खाड़ी की ओर प्रवाहित किया गया था, इसका उद्देश्य मद्रास प्रेसीडेंसी में मदुरई शुष्क वर्षा क्षेत्र को सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराना था।
  • यह बांध केरल के इडुक्की ज़िले में मुल्लायार और पेरियार नदियों के संगम पर स्थित है।

तमिलनाडु का पक्ष:

  • तमिलनाडु का कहना है कि, बाँध को बांध को मजबूत करने के उपाय किए जा चुके हैं, किंतु केरल सरकार जलाशय के जल स्तर को बढ़ाने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न कर रही है, जिससे मदुरै के किसानों को नुकसान हो रहा है।

केरल का पक्ष:

  • केरल,  बाँध के प्रवाह की दिशा में स्थिति इडुक्की के भूकंप-प्रवण जिले के निवासियों द्वारा तबाही की आशंकाओं को लेकर चिंतित है।
  • वैज्ञानिकों का कहना है, कि इस क्षेत्र में रिक्टर पैमाने पर छह माप से ऊपर भूकंप आने पर, तीन मिलियन से अधिक लोगों का जीवन गंभीर खतरे में पड़ जाएगा।
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